mp-cabinet:-मप्र-नपा-अधिनियम-में-संशोधन,-अब-अध्यक्ष-और-उपाध्यक्ष-को-हटाना-आसान-नहीं,-तीन-चौथाई-बहुमत-अनिवार्य
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Tue, 20 Aug 2024 07: 24 PM IST मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अब नगर पालिका और परिषद में अध्यक्ष के खिलाफ तीन साल बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। अभी तक दो साल का नियम था। डॉ. मोहन यादव कैबिनेट (प्रतिकात्मक) - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश सरकार ने नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। अब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को हटाने के लिए दो तिहाई के बजाय तीन चौथाई पार्षदों के समर्थन की आवश्यकता होगी और यह प्रस्ताव तीन साल का समय पूरा करने के बाद ही लाया जा सकेगा। इस संशोधन के बाद नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को हटाना अब कठिन हो जाएगा। इस संशोधन में नगर निगमों को शामिल नहीं किया गया है। दरअसल, नगर निगम के महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता है। महापौर को हटाने की प्रक्रिया भी अलग होती है। इसमें निगम के कुल पार्षदों से छठवें भाग के बराबर पार्षदों के समर्थन से कलेक्टर मेयर को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।  इसलिए लाया गया संशोधन का प्रस्ताव  प्रदेश के नगरीय निकायों में बगावत के संकेत मिलने लगे थे, जहां अध्यक्षों के खिलाफ पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया था। चूंकि, अधिकतर अध्यक्ष भाजपा समर्थित हैं। हाल ही में बीनागंज-चाचौड़ा, गुना, मुरैना के बानमौर, भिंड में अध्यक्ष के खिलाफ पार्षदों ने विरोध के सुर उठे थे। अब सरकार के संशोधन के बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को हटाना आसान नहीं होगा। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Tue, 20 Aug 2024 07: 24 PM IST

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अब नगर पालिका और परिषद में अध्यक्ष के खिलाफ तीन साल बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। अभी तक दो साल का नियम था। डॉ. मोहन यादव कैबिनेट (प्रतिकात्मक) – फोटो : सोशल मीडिया

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मध्य प्रदेश सरकार ने नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। अब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को हटाने के लिए दो तिहाई के बजाय तीन चौथाई पार्षदों के समर्थन की आवश्यकता होगी और यह प्रस्ताव तीन साल का समय पूरा करने के बाद ही लाया जा सकेगा। इस संशोधन के बाद नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को हटाना अब कठिन हो जाएगा। इस संशोधन में नगर निगमों को शामिल नहीं किया गया है। दरअसल, नगर निगम के महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता है। महापौर को हटाने की प्रक्रिया भी अलग होती है। इसमें निगम के कुल पार्षदों से छठवें भाग के बराबर पार्षदों के समर्थन से कलेक्टर मेयर को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। 

इसलिए लाया गया संशोधन का प्रस्ताव 
प्रदेश के नगरीय निकायों में बगावत के संकेत मिलने लगे थे, जहां अध्यक्षों के खिलाफ पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया था। चूंकि, अधिकतर अध्यक्ष भाजपा समर्थित हैं। हाल ही में बीनागंज-चाचौड़ा, गुना, मुरैना के बानमौर, भिंड में अध्यक्ष के खिलाफ पार्षदों ने विरोध के सुर उठे थे। अब सरकार के संशोधन के बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को हटाना आसान नहीं होगा।

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