न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: दिनेश शर्मा Updated Wed, 21 Aug 2024 08: 16 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग को 2024-25 के शैक्षणिक सत्र में एमबीबीएस अनारक्षित सरकारी स्कूलों (यूआर-जीएस) कोटे की सीटों पर एससी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के सात उम्मीदवारों को प्रवेश देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट – फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है। इस आदेश के मुताबिक एससी/एसटी या ओबीसी व ईडब्ल्यूएस श्रेणी का कोई सदस्य क्षैतिज (हॉरिजेंटल) कोटे की सीटों पर विचार किए जाने का हकदार है, यदि उसके अंक सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए निर्धारित कट ऑफ अंकों से अधिक हैं। क्षैतिज आरक्षण एक प्रकार का आरक्षण है जो सभी जाति श्रेणियों में प्रदान किया जाता है। दूसरे शब्दों में, इस तरह के आरक्षण प्रत्येक श्रेणी में दिए जाते हैं, जैसे कि सामान्य श्रेणी, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग को 2024-25 के शैक्षणिक सत्र में एमबीबीएस अनारक्षित सरकारी स्कूलों (यूआर-जीएस) कोटे की सीटों पर एससी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के सात उम्मीदवारों को प्रवेश देने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा, क्षैतिज आरक्षण में विभिन्न श्रेणियों को अलग-अलग करने और मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के अनारक्षित सीटों पर जाने को प्रतिबंधित करने में प्रतिवादियों की ओर से अपनाई गई कार्यप्रणाली पूरी तरह से अस्थिर है।
अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया था कि यूआर-जीएस सीटों में, उनसे बहुत कम मेधावी और 214, 150 से भी कम अंक प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को प्रवेश मिल गया है, जबकि यूआर-जीएस उम्मीदवारों की तुलना में बहुत अधिक मेधावी अपीलकर्ता प्रवेश से वंचित रह गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नीति के गलत अनुप्रयोग के कारण, यूआर-जीएस के रूप में वर्गीकृत 77 सीटें जीएस कोटे से नहीं भरी गईं और उन्हें उम्मीदवारों के खुले पूल में छोड़ दिया गया।
अपीलकर्ताओं ने दिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला
अपीलकर्ताओं ने सौरव यादव और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य (2021) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। इसमें कहा गया था कि क्षैतिज आरक्षण के मामले में भी, एससी/एसटी/ओबीसी जैसी आरक्षित श्रेणियों के उम्मीदवार, यदि वे जीएस कोटे में अपनी योग्यता के आधार पर हकदार हैं, तो उन्हें जीएस कोटे (अनारक्षित सीटों) में प्रवेश दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षित श्रेणी के मेधावी छात्र जिन्होंने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की है, उन्हें खुली श्रेणी में आने से पहले अनारक्षित श्रेणी के सरकारी स्कूल कोटे की एमबीबीएस सीटें आवंटित की जानी चाहिए।
वर्टिकल आरक्षण की श्रेणी को क्षैतिज में स्थानांतरित करना संभव नहीं
मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि एससी/एसटी/ओबीसी/ईडब्ल्यूएस जैसी ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) आरक्षण की श्रेणी को यूआर-जीएस की क्षैतिज श्रेणी में स्थानांतरित करना संभव नहीं है। ऊर्ध्वाधर आरक्षण सामाजिक-रूप से पिछड़ी जातियों के लिए होता है। इसी श्रेणी के अंतर्गत पिछड़ा, अति-पिछड़ा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को आरक्षण दिया जाता है। हालांकि, पीठ ने कहा कि यह अच्छी तरह से स्थापित है कि किसी भी ऊर्ध्वाधर आरक्षण श्रेणी से संबंधित कोई उम्मीदवार जो अपनी योग्यता के आधार पर खुली या सामान्य श्रेणी में चयनित होने का हकदार है, उसे सामान्य श्रेणी में चुना जाएगा और उसका चयन ऐसी ऊर्ध्वाधर आरक्षण श्रेणियों के लिए आरक्षित कोटे में नहीं गिना जाएगा। पीठ ने कहा, यह सिद्धांत क्षैतिज आरक्षण के मामलों पर भी लागू होगा। उन्होंने कहा कि एससी/एसटी/ओबीसी से संबंधित मेधावी उम्मीदवार, जो अपनी योग्यता के आधार पर यूआर-जीएस कोटे में चयनित होने के हकदार थे, उन्हें जीएस कोटे में खुली सीटों में जगह देने से मना कर दिया गया है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग के उस फैसले को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। इसमें सरकारी स्कूलों से उत्तीर्ण मेधावी आरक्षित उम्मीदवारों को एमबीबीएस अनारक्षित (यूआर) श्रेणी के सरकारी स्कूल (जीएस) कोटे की सीटें आवंटित नहीं करने का निर्णय लिया गया था।
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