जबलपुर हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला डिजिटल विस्तार Follow Us ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ नहीं दिये जाने को चुनौती देते हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि मुख्य सूची में चयनित मेडिकल ऑफिसर को ओल्ड पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। उनकी नियुक्ति पूरक सूची में होने के बावजूद भी लाभ से वंचित किया जा रहा है। जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने मामले में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब देने के निर्देश दिये है। जबलपुर निवासी डॉ. धीरज दवांडे, भोपाल के डॉ. राजेश वर्मा, रायसेन के डॉ. हरिनारायण मुंद्रे सहित अलग-अलग जिलों में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि सरकार ने साल 2005 में नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। मुख्य सूची में पदस्थ चिकित्सा अधिकारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिल रहा है। आवेदकों की ओर से कहा गया कि जिस विज्ञापन के जरिए उन्हें नियुक्तियों दी गयी थी, उसी के तहत पूरक सूची में बैकलॉग पदों पर उन्हें नियुक्ति प्रदान की गयी थी। पूरक सूची में नियुक्ति होने के कारण उन्हें ओल्ड पेंशन के लाभ से वंचित किया जा रहा है।     याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने एकलपीठ के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार एक समान अधिकारियों से इस तरह का भेदभाव नहीं कर सकते। याचिकाकर्ताओं को भी पुरानी पेंशन योजना के तहत लाभ दिया जाये।  

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ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ नहीं दिये जाने को चुनौती देते हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि मुख्य सूची में चयनित मेडिकल ऑफिसर को ओल्ड पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। उनकी नियुक्ति पूरक सूची में होने के बावजूद भी लाभ से वंचित किया जा रहा है। जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने मामले में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब देने के निर्देश दिये है।

जबलपुर निवासी डॉ. धीरज दवांडे, भोपाल के डॉ. राजेश वर्मा, रायसेन के डॉ. हरिनारायण मुंद्रे सहित अलग-अलग जिलों में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि सरकार ने साल 2005 में नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। मुख्य सूची में पदस्थ चिकित्सा अधिकारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिल रहा है। आवेदकों की ओर से कहा गया कि जिस विज्ञापन के जरिए उन्हें नियुक्तियों दी गयी थी, उसी के तहत पूरक सूची में बैकलॉग पदों पर उन्हें नियुक्ति प्रदान की गयी थी। पूरक सूची में नियुक्ति होने के कारण उन्हें ओल्ड पेंशन के लाभ से वंचित किया जा रहा है।  

 
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने एकलपीठ के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार एक समान अधिकारियों से इस तरह का भेदभाव नहीं कर सकते। याचिकाकर्ताओं को भी पुरानी पेंशन योजना के तहत लाभ दिया जाये।  

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