मध्य प्रदेश का वल्लभ भवन (भोपाल) - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने 2.50 लाख संविदा कर्मचारियों की नई सेवा शर्ते जारी कर दी है। इसका संविदा कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार सेवा शर्ते नहीं बनाई है। इसको लेकर हमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करेंगे और घोषणा के अनुसार सेवा शर्ते लागू करने की मांग करेंगे।  सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से 32 विभागों में कार्यरत कर्मचारियों का अनुबंध की जगह नवीनीकरण किया जाएगा। कर्मचारियों का कहना है  इसमें सिर्फ नाम बदला है। यानी अनुबंध की तरह ही वार्षिक मूल्यांकन के आधार पर सेवा आगे बढ़ाएंगे। मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा कि जबकि मुख्यमंत्री ने अनुबंध समाप्त करने को कहा था। यहां पर सिर्फ नवीनीकरण कर दिया गया। अवकाश भी नियमित कर्मचारियों से आधे है। महंगाई भत्ता की जगह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक देने का प्रावधान किया गया है। सीधी भर्ती में परीक्षा देना पड़ेगा। राठौर ने कहा कि वह इन मुद्दों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर उनकी घोषणा के अनुसार आदेश जारी करने की मांग करेंगे।  इन बिन्दुओं पर विरोध  - नियमित कर्मचारियों को 13 सीएल, 30 अर्जित अवकाश, 20 मेडिकल अवकाश, 3 एच्छिक अवकाश यानी 66 अवकाश मिलते है। जबकि संविदा कर्मचारियों को 13 सीएम, तीन एक्च्छिक, 15 विशेष अवकाश यानी 31 अवकाश दिए गए। जो नियमित कर्मचारियों से आधे भी नहीं है।  - संविदा कर्मचारियों को पद के न्यूनतम वेतन में महंगाई भत्ते की बजाए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का प्रावधान किया गया है। नियमित कर्मचारियों का महंगाई भत्ता साल में दो बार बढ़ता है, लेकिन संविदा कर्मचारियों का साल में एक बार एक अप्रैल को बढ़ेगा। कई विभागों में संविदाा कर्मचारियों को पहले से नियमित कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता मिल रहा है, लेकिन नई संविदा नीति में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का प्रावधान किया गया है।  - सीधी भर्ती के 50 प्रतिशत पद संविदा कर्मचारियों के लिए आरक्षित होंगे। संविदा कर्मचारी पहले से ही व्यापम समेत अन्य विधिवत चयन परीक्षा देकर संविदा में भर्ती होकर 15 से 20 साल की नौकरी कर चुके है। उनको नए अभ्यार्थियों के साथ परीक्षा देनी होगी। सीधी भर्ती में 50 प्रतिशत आरक्षण होरिजेंटल रखा गया है। इसका मतलब यदि संविदा कर्मचारी क्वालीफाई नहीं कर पाए तो पद पर नए अभ्यार्थी की भर्ती की जाएगी।  यह तर्क भी गिनाए  संविदा कर्मचारियों ने कहा कि सरपंचों के द्वारा बिना किसी चयन परीक्षा के नियुक्त पंचायत कर्मी, शिक्षा कर्मी को बिना किसी परीक्षा के नियमित कर दिया। 2018 में जनअभियान परिषद के 418 संविदा कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया। विधानसभा ने बिना परीक्षा के विधानसभा में काम करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की घोषणा की है।    सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से जारी सेवा शर्तों के अनुसार संविदा कर्मचारियों को नियमित पद के लिए निर्धारित अधिकतम आयुसीमा में छूट मिलेगी। यह छूट कर्मचारी को उसकी संविदा पद पर कार्यरत वर्ष के अनुसार दी जाएगी। आयु संबंध छूट 55 वर्ष से अधिक नहीं होगी। 1 अप्रैल 2018 से पहले नियुक्त संविदा कर्मचारी को नियमित पद के बराबर वेतन का निर्धारण 7वें वेतनमान के अंतर्ग संबंधित पे-मेट्रिक्स स्तर के न्यूनतम वेतन के बराकबर काल्पनिक आधार पर तय किया जाएगा। 

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मध्य प्रदेश का वल्लभ भवन (भोपाल) – फोटो : अमर उजाला

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मध्य प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने 2.50 लाख संविदा कर्मचारियों की नई सेवा शर्ते जारी कर दी है। इसका संविदा कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार सेवा शर्ते नहीं बनाई है। इसको लेकर हमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करेंगे और घोषणा के अनुसार सेवा शर्ते लागू करने की मांग करेंगे। 

सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से 32 विभागों में कार्यरत कर्मचारियों का अनुबंध की जगह नवीनीकरण किया जाएगा। कर्मचारियों का कहना है  इसमें सिर्फ नाम बदला है। यानी अनुबंध की तरह ही वार्षिक मूल्यांकन के आधार पर सेवा आगे बढ़ाएंगे। मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा कि जबकि मुख्यमंत्री ने अनुबंध समाप्त करने को कहा था। यहां पर सिर्फ नवीनीकरण कर दिया गया। अवकाश भी नियमित कर्मचारियों से आधे है। महंगाई भत्ता की जगह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक देने का प्रावधान किया गया है। सीधी भर्ती में परीक्षा देना पड़ेगा। राठौर ने कहा कि वह इन मुद्दों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर उनकी घोषणा के अनुसार आदेश जारी करने की मांग करेंगे। 

इन बिन्दुओं पर विरोध 
– नियमित कर्मचारियों को 13 सीएल, 30 अर्जित अवकाश, 20 मेडिकल अवकाश, 3 एच्छिक अवकाश यानी 66 अवकाश मिलते है। जबकि संविदा कर्मचारियों को 13 सीएम, तीन एक्च्छिक, 15 विशेष अवकाश यानी 31 अवकाश दिए गए। जो नियमित कर्मचारियों से आधे भी नहीं है। 
– संविदा कर्मचारियों को पद के न्यूनतम वेतन में महंगाई भत्ते की बजाए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का प्रावधान किया गया है। नियमित कर्मचारियों का महंगाई भत्ता साल में दो बार बढ़ता है, लेकिन संविदा कर्मचारियों का साल में एक बार एक अप्रैल को बढ़ेगा। कई विभागों में संविदाा कर्मचारियों को पहले से नियमित कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता मिल रहा है, लेकिन नई संविदा नीति में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का प्रावधान किया गया है। 

– सीधी भर्ती के 50 प्रतिशत पद संविदा कर्मचारियों के लिए आरक्षित होंगे। संविदा कर्मचारी पहले से ही व्यापम समेत अन्य विधिवत चयन परीक्षा देकर संविदा में भर्ती होकर 15 से 20 साल की नौकरी कर चुके है। उनको नए अभ्यार्थियों के साथ परीक्षा देनी होगी। सीधी भर्ती में 50 प्रतिशत आरक्षण होरिजेंटल रखा गया है। इसका मतलब यदि संविदा कर्मचारी क्वालीफाई नहीं कर पाए तो पद पर नए अभ्यार्थी की भर्ती की जाएगी। 

यह तर्क भी गिनाए 
संविदा कर्मचारियों ने कहा कि सरपंचों के द्वारा बिना किसी चयन परीक्षा के नियुक्त पंचायत कर्मी, शिक्षा कर्मी को बिना किसी परीक्षा के नियमित कर दिया। 2018 में जनअभियान परिषद के 418 संविदा कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया। विधानसभा ने बिना परीक्षा के विधानसभा में काम करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की घोषणा की है। 

 
सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से जारी सेवा शर्तों के अनुसार संविदा कर्मचारियों को नियमित पद के लिए निर्धारित अधिकतम आयुसीमा में छूट मिलेगी। यह छूट कर्मचारी को उसकी संविदा पद पर कार्यरत वर्ष के अनुसार दी जाएगी। आयु संबंध छूट 55 वर्ष से अधिक नहीं होगी। 1 अप्रैल 2018 से पहले नियुक्त संविदा कर्मचारी को नियमित पद के बराबर वेतन का निर्धारण 7वें वेतनमान के अंतर्ग संबंधित पे-मेट्रिक्स स्तर के न्यूनतम वेतन के बराकबर काल्पनिक आधार पर तय किया जाएगा। 

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