न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Wed, 09 Aug 2023 01: 16 PM IST
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छिंदवाड़ा में पूर्व सीएम कमलनाथ ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा कराई। अब पं. प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा करा रहे हैं। चुनाव से पहले छिंदवाड़ा में कथा के आयोजन पर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस नेता कमलनाथ (फाइल फोटो) – फोटो : PTI
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मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने गढ़ छिंदवाड़ा में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की दिव्य राम कथा कराई। अब पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा की तैयारी कर रहे हैं। इन कथाओं को लेकर वह न केवल भाजपा बल्कि अपनी पार्टी के नेताओं और केंद्र में गठबंधन सहयोगियों के भी निशाने पर हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा था कि कमलनाथ चुनावी हिंदू हैं। इस पर कमलनाथ भड़क गए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रदेश को जन भक्त सरकार चाहिए, घोषणा और भ्रष्टाचार भक्त नहीं।
छिंदवाड़ा में पं. प्रदीप मिश्रा की कथा पांच से नौ सितंबर तक होगी। चुनाव से पहले नाथ के छिंदवाड़ा में कथा कराने पर सियासत गरमा गई है। चुनावी भक्त के बयान पर कमलनाथ ने कहा कि जो इंसान जैसा होता है वह वैसी ही दृष्टि से बाहरी दुनिया को देख पाता है। निश्चित ही आप चुनावी भक्त होंगे, इसलिए आप दूसरों में भी चुनावी भक्ति खोज रहे हैं। जीवन के हर पहलू को चुनाव के रंग से ही देख पा रहे हैं। आस्था और विश्वास, व्यक्ति की आंतरिक अनुभूमि होती है। स्थाई होती है। मेरी आस्था आंतरिक है।
नाथ ने कहा कि मेरी हनुमान भक्ति पर विचार करने के स्थान पर आप मध्य प्रदेश की जन-शक्ति पर विचार कीजिए, जो आपका संवैधानिक उत्तरदायित्व है और जन-उपयोगी है। मध्य प्रदेश की जनता को जन-भक्त सरकार चाहिए। भाजपा की घोटाला-भक्त, घोषणा-भक्त, भ्रष्टाचार-भक्त, अत्याचार-भक्त और नौटंकी-भक्त सरकार नहीं। मध्य प्रदेश की जनता भाजपा सरकार को अंदर और बाहर से अच्छे से देख-समझ चुकी है। पलटकर जवाब देने के लिए केवल समय का इंतजार कर रही है।
यह कहा था शिवराज ने
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा था कि कांग्रेस कंफ्यूज है और कई चीजों के लिए मजबूर है। जो लोग कभी राम भगवान का नाम लेने से परहेज करते थे, काल्पनिक मानते थे। आज वो कथाएं करा रहे हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करा रहे है। अब यह करने के लिए मजबूर है क्योंकि चुनाव आ रहे हैं। यह कांग्रेस की चुनावी भक्ति है। उनके अंदर ही अंदर अंतर्द्वंद मचा है। कमलनाथ जी सोच रहे हैं, मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं; बड़ी मुश्किल है किधर जाऊं? अब तो उनके एक नेता ने ही कह दिया है, कि मुख्यमंत्री कौन बनना चाहिए? उनके तो नेता होने पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। अब मुझे लग रहा है कि वह नेता का दावा पुख्ता करने के लिए कथाओं के आयोजन में भी लग गए है।
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