चंपत राय – फोटो : अमर उजाला
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रामजन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राम मंदिर आंदोलन आजादी की लड़ाई से कम नहीं था। राय ने कहा अयोध्या में राम मंदिर को तोड़ कर इस देश और हिंदू समाज का अपमान किया गया। फिर से मंदिर बनाना हमारी अस्मिता से जुड़ा था, क्योंकि गुलामी की निशानियां चिपका कर नहीं रखी जाती है। यह लड़ाई देश हित के लिए की गई। राम मंदिर फिर से बनाना हिंदुस्तान की मूंछ का सवाल था। राम मंदिर हिंदुस्तान के अपमान का परिमार्जन है। राय ने कहा कि दस करोड़ लोगों से 2800 करोड़ रुपए इस मंदिर के लिए दिए। मंदिर के लिए समाज ने खून पसीने की कमाई दी है। हमने हर प्रकार के टैक्स दिए। कोई कर चोरी नहीं की।
अब संघ के प्रति समाज की सोच बदली है
राय ने कहा कि 60 के दशक में समाज में संघ के प्रति आकर्षण नही था। आरोप-प्रत्यारोप भी चलते रहते थे। हमने उस माहौल में काम किया। जो गीत हम शाखा में गाते है, वे सच हो रहे है।अब संघ के प्रति समाज की सोच बदली है।हमने पुराने लोगों से सुना कि संघ का प्रचारक देश को राज्यों में नहीं देखता। वो संपूर्ण भारत की सोच रखता है। किसी भी हिस्से में वो काम करने के लिए तैयार रहता है।
उन्होंने कहा कि हजारों संतों ने राम मंदिर के प्रति जागरण किया। ये किसी एक व्यक्ति से संभव नहीं है। 500 साल में कितने लोगों का जीवन गया, ये कोई नहीं जानता। राम का मन्दिर तोड़ना राष्ट्र,समाज का अपमान था। देश की तुलना सोते शेर से को गई है। साधु संतों ने इस शेर को जगाया और एकजुट किया।
परकोटे में छह मंदिर बनेंगे
राय ने मंदिर निर्माण की योजना के बारे में बताया कि मंदिर में लोहे सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया। तीन मंजिला मंदिर 400 खंबों पर खड़ा है। पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे का उपयोग किया गया। एक-एक पत्थर को परखा गया कि कही किसी पत्थर में दरार तो नहीं है। राय ने कहा कि उपरी मंजिल बनने के बाद उसमें राम दरबार लगेगा। मंदिर के चारों और परकोटा बन रहा है। उस परोकोट में छह मंदिर बनेंगे।लक्ष्मण जी का भी एक मंदिर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 70 एकड़ जमीन में 50 एकड़ जमीन में सिर्फ पौधे लगाए जा रहे है। पर्यावरण का विचार भी मंदिर में निहित है। 25 लाख घन फुट पत्थर इस मंदिर निर्माण में लग रहा है।
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