न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Sat, 31 Aug 2024 09: 58 AM IST
किसान कमल सिंह लोधी ने अपने बेटों के साथ यूट्यूब पर गोबर गैस प्लांट तैयार करने का तरीका सीखा और फिर उसे घर पर ही बना लिया। अब उसी गैस का उपयोग कर उनके घर में खाना बन रहा है। गोबर गैस प्लांट से गैस के साथ-साथ जैविक खाद भी मिल रही है। गोबर गैस से जल रहा चूल्हा
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दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लॉक की ग्राम पंचायत गढ़ोलाखाड़े में एक किसान ने यूट्यूब से गोबर गैस बनाने का तरीका सीखा और घर पर ही गोबर गैस का प्लांट स्थापित कर लिया। आज इस प्लांट से निकलने वाली गैस से उनके घर में भोजन बन रहा है। गांव के अन्य किसान जब इस प्रयोग को देख रहे हैं, तो वे भी इसकी तारीफ कर रहे हैं।
दरअसल, दमोह जिले के बटियागढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत गढ़ोलाखाड़े के किसान कमल सिंह लोधी का परिवार चूल्हा जलाने के लिए गैस पर निर्भर है, लेकिन वह एलपीजी नहीं है। किसान ने अपने मवेशियों के गोबर से चूल्हा जलाने का इंतजाम कर लिया है। कमल सिंह लोधी ने बताया कि उन्होंने अपने बेटों के साथ यूट्यूब पर गोबर गैस का प्लांट तैयार करने का तरीका सीखा और उसे घर पर बना लिया। अब उसी गैस का उपयोग कर घर में खाना बन रहा है।
गोबर गैस प्लांट से गैस के साथ-साथ जैविक खाद भी मिलती है, जो फसलों के लिए संजीवनी का काम करती है। इसके निर्माण के दौरान एक ओवरफ्लो पाइप डाला जाता है, जब टैंक गोबर से भर जाता है, तो इस पाइप के जरिए जैविक खाद के रूप में बाहर निकलने लगता है। इसमें नाइट्रोजन होने के कारण यह फसल के लिए फायदेमंद है। हमारे परिवार में 20 लोगों का खाना इसी प्लांट से निकलने वाली गैस पर बनता है और फिर भी गैस बची रहती है। इस गोबर गैस की लागत लगभग 40 से 50 हजार रुपये आई है।
ईंधन के रूप में किया जाता उपयोग
सबसे बड़ी बात तो यह है कि कृत्रिम गैसों की तरह गोबर गैस नुकसानदायक नहीं होती। इसमें कई गैसों का मिश्रण होता है, जो प्राकृतिक रूप से तब बनता है जब हवा की अनुपस्थिति में कार्बनिक यौगिक यानी गोबर सड़ता है। गोबर गैस में मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैस का मिश्रण होता है, जिससे यह ज्वलनशील यानी आग पकड़ने वाली गैस होती है। इस तरह इसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। गोबर गैस गाय और भैंस के गोबर से बनाई जाने वाली एक ऐसी गैस है, जिसका उपयोग घर में भोजन बनाने के लिए किया जाता है। वहीं, गैस चैंबर से उपयोग के बाद निकलने वाले गोबर का जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।
गोबर गैस के फायदे
चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी की जरूरत नहीं पड़ती। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर चूल्हा जलता है, जिससे धुएं से छुटकारा मिलता है और खाना कम समय में तैयार हो जाता है। घर पर ही गोबर उपलब्ध हो जाता है, जिससे बाजार से गैस सिलेंडर भी नहीं खरीदना पड़ता।
खुद के पैसे से बनाया गोबर गैस प्लांट
बटियागढ़ कृषि अधिकारी दिनेश पटेल ने बताया कि किसान कमल सिंह लोधी नई तकनीकों को अपना रहे हैं। उन्होंने खुद के पैसों से घर पर गोबर गैस प्लांट लगाया है, जिसमें शासकीय सहायता नहीं है। हमने भी गोबर गैस प्लांट देखा है, और खाना अब इसी प्लांट से निकलने वाली गैस पर बन रहा है। बटियागढ़ क्षेत्र में किसानों को नई तकनीक की ओर आगे आना चाहिए।
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