न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Tue, 03 Sep 2024 07: 50 PM IST
एमपी में इस सत्र में शुरू हुए तीन मेडिकल कॉलेज के स्टॉफ को चार माह बाद भी सैलरी नहीं मिल पाई है, उन्हें अपना खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों का तर्क है कि सरकारी काम में समय लगता है। सिवनी मेडिकल कॉलेज – फोटो : SOCIAL MEDIA
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मध्य प्रदेश सरकार ने इसी शिक्षा सत्र से नीमच, मंदसौर और सिवनी में मेडिकल कालेज की शुरुआत की है और यहां पर चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ की भर्ती भी की गई है। यह भर्ती मई महीने में पूरी हो गई थी। खास बात यह है कि भर्ती प्रक्रिया को पूरे हुए चार माह का समय बीत गया है। लेकिन स्टॉफ को अभी तक सैलरी नहीं मिली है। यहां काम करने वाले चिकत्सकों का कहना है कि सैलरी नहीं मिलने से उन्हें काम करना मुश्किल हो रहा है। वही जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि सरकारी प्रक्रिया में समय लगता है कुछ दिन बाद सभी को सैलरी मिल जाएगी।
बिल्डिंग के अभाव में दो कॉलेज नहीं हो पाए शुरू
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में राजगढ़, सिंगरौली, नीमच, मंदसौर, सिवनी और श्योपुर में कालेज खोलने की अनुमति केंद्र सरकार ने दी थी। इसमें 60 प्रतिशत लागत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकार वहन कर रही है। दरअसल शैक्षणिक सत्र 2024-25 से राजगढ़ छोड़ सभी कालेज में प्रवेश शुरू करने का लक्ष्य था, पर बाद में सिंगरौली और श्योपुर को भी छोड़ दिया गया। दरअसल, इन कालेजों के भवन निर्माण का काम पिछड़ा हुआ है। तीन कालेज शुरू किया गया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर अभी भी यहां जिला अस्पताल के बराबर भी व्यवस्था नहीं है।
अव्यवस्थाओं के चक्कर में कई डॉक्टरों ने छोड़ी नौकरी
जानकारी के अनुसार सिवनी, नीमच, मंदसौर, सिंगरौली, श्योपुर और सतना के लिए फैकल्टी (प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर) के 445 पदों के लिए भर्ती की गई थी लेकिन कई पोस्टों पर अभी भी पद खाली है कई डॉक्टरों ने ज्वाइन किया लेकिन बाद में पद से इस्तीफा दे दिया। दरअसल व्यवस्थाएं नहीं होने की वजह से यहां नौकरी करने आने वाले स्टाफ को रह पाना करना मुश्किल हो रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि उनके रहने के लिए व्यवस्था नहीं की गई है उन्हें किराए के मकान पर रहना पड़ रहा है और सैलरी नहीं मिलने से उन्हें अपना खर्च चलाना और रूम का भाड़ा देना मुश्किल हो रहा है।
सरकारी प्रक्रिया में लगता है समय
चिकित्सा शिक्षा विभाग के डीएमई डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि नए कॉलेज शुरू किए गए हैं। सरकारी प्रक्रिया में समय लगता है। चिकित्सकों की मैपिंग जैसी बहुत सारी प्रक्रिया होती है जिन्हें पूरा करने में समय लगा है। जल्द ही सभी को सैलरी मिल जाएगी। सभी तीन कॉलेजों को बजट दे दिया गया है। कई स्टॉफ को सैलरी दी जा भी चुकी है।
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