mp:-ग्वालियर-के-जयारोग्य-अस्पताल-के-icu-वार्ड-में-लगी-आग,-एक-मरीज-की-मौत;-फायर-एक्सटिंग्विशर-निकले-एक्सपायर
वार्ड में लगी आग। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर के आईसीयू में मंगलवार सुबह आग लग गई। शॉर्ट सर्किट से चली आग के कारण आईसीयू के अंदर अफरा तफरी मच गई। आईसीयू वार्ड में भर्ती मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। इस दौरान इलाज के आभाव में शिवपुरी के रहने वाले एक मरीज की मौत हो गई।    हादसे के दौरान अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि आईसीयू के अंदर मौजूद फायर सेफ्टी सिलेंडर एक्सपायर हो चुके थे। कुछ सिलेंडर पर उसके रिफिलिंग और एक्सपायरी से जुड़े स्टीकर भी गायब थे। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ आरकेएस धाकड़ ने मामले की जांच के आदेश दिए है।  दरअसल, ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू के पैनल एसी में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। जिस समय यह हादसा हुआ उस दौरान वहां 10 गंभीर मरीज भर्ती थे। आग लगने से वार्ड में अफरा तफरी मच गई। आईसीयू के अंदर मौजूद डॉक्टर और अटेंडरों ने वार्ड में भर्ती गंभीर मरीजों को बाहर निकालना शुरू किया और फायर एक्सटिंग्विशर से आग बुझाने की कोशिश की तो वह एक्सपायर डेट के निकले। हालांकि, उसके जरिए आग को फैलने से रोक लिया गया। सूचना पर जब तक फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची, आग पर काबू पा लिया गया था। आग लगने के बाद मरीजों को वार्ड से बाहर निकालने के बीच शिवपुरी जिले के रहने वाले एक मरीज की मौत हो गई। उसके परिजनों का आरोप है कि हादसे के दौरान ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण उसकी जान गई हैं।  मामले की जांच के आदेश दिए हैं इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ आरकेएस धाकड़ ने कहा कि आग लगने के बाद तत्काल बाद अस्थाई आईसीयू तैयार कर मरीजों को शिफ्ट किया गया था। जिस मरीज की मौत होने की बात कही जा रही है, वह शिवपुरी मेडिकल कॉलेज से ग्वालियर रेफर किया गया था। वह पहले से ही ब्रेन डेड था। हालांकि, आग लगने की घटना को सामान्य नहीं लिया जा सकता, इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं। फायर सेफ्टी से जुड़े संसाधनों के एक्सपायर होने की बात जो सामने आई है, उसे लेकर भी संबंधित अधिकारी को नोटिस जारी किया है।  पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं बता दें कि शासकीय अस्पतालों में आगजनी का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व में भी मध्य प्रदेश के कई शासकीय अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं समाने आ चुकी हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि वहां फायर सेफ्टी से जुड़े संसाधनों का अभाव था या फिर उपकरण एक्सपायर थे। अब एक बार फिर फायर सेफ्टी नॉर्म्स के पालन में लापरवाही सामने आई है। ऐसे में देखना होगा कि किस तरह का एक्शन लिया जाता है।

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वार्ड में लगी आग। – फोटो : अमर उजाला

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ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर के आईसीयू में मंगलवार सुबह आग लग गई। शॉर्ट सर्किट से चली आग के कारण आईसीयू के अंदर अफरा तफरी मच गई। आईसीयू वार्ड में भर्ती मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। इस दौरान इलाज के आभाव में शिवपुरी के रहने वाले एक मरीज की मौत हो गई।   

हादसे के दौरान अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि आईसीयू के अंदर मौजूद फायर सेफ्टी सिलेंडर एक्सपायर हो चुके थे। कुछ सिलेंडर पर उसके रिफिलिंग और एक्सपायरी से जुड़े स्टीकर भी गायब थे। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ आरकेएस धाकड़ ने मामले की जांच के आदेश दिए है। 

दरअसल, ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू के पैनल एसी में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। जिस समय यह हादसा हुआ उस दौरान वहां 10 गंभीर मरीज भर्ती थे। आग लगने से वार्ड में अफरा तफरी मच गई। आईसीयू के अंदर मौजूद डॉक्टर और अटेंडरों ने वार्ड में भर्ती गंभीर मरीजों को बाहर निकालना शुरू किया और फायर एक्सटिंग्विशर से आग बुझाने की कोशिश की तो वह एक्सपायर डेट के निकले। हालांकि, उसके जरिए आग को फैलने से रोक लिया गया। सूचना पर जब तक फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची, आग पर काबू पा लिया गया था। आग लगने के बाद मरीजों को वार्ड से बाहर निकालने के बीच शिवपुरी जिले के रहने वाले एक मरीज की मौत हो गई। उसके परिजनों का आरोप है कि हादसे के दौरान ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण उसकी जान गई हैं। 

मामले की जांच के आदेश दिए हैं
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ आरकेएस धाकड़ ने कहा कि आग लगने के बाद तत्काल बाद अस्थाई आईसीयू तैयार कर मरीजों को शिफ्ट किया गया था। जिस मरीज की मौत होने की बात कही जा रही है, वह शिवपुरी मेडिकल कॉलेज से ग्वालियर रेफर किया गया था। वह पहले से ही ब्रेन डेड था। हालांकि, आग लगने की घटना को सामान्य नहीं लिया जा सकता, इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं। फायर सेफ्टी से जुड़े संसाधनों के एक्सपायर होने की बात जो सामने आई है, उसे लेकर भी संबंधित अधिकारी को नोटिस जारी किया है। 

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
बता दें कि शासकीय अस्पतालों में आगजनी का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व में भी मध्य प्रदेश के कई शासकीय अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं समाने आ चुकी हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि वहां फायर सेफ्टी से जुड़े संसाधनों का अभाव था या फिर उपकरण एक्सपायर थे। अब एक बार फिर फायर सेफ्टी नॉर्म्स के पालन में लापरवाही सामने आई है। ऐसे में देखना होगा कि किस तरह का एक्शन लिया जाता है।

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