न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Fri, 09 Aug 2024 09: 37 AM IST एकलपीठ ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विशेष न्यायालयों के पास पूर्व और वर्तमान विधानमंडलों के खिलाफ सभी मामलों की सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र है। भले ही ऐसे अपराध किए जाने के समय उनकी स्थिति कुछ भी हो। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को जबलपुर हाईकोर्ट से झटका लगा है। भाजपा नेत्री इमरती देवी पर की गई विवादित टिप्पणी के मामले में डबरा जिले में दर्ज अपराधिक केस की सुनवाई एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट द्वारा ही की जाएगी। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश जारी किए हैं।  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि जब उन्होंने कथित अपराध किया वह विधायक नहीं थे और वर्तमान में भी विधायक नहीं है। इसलिए उनके खिलाफ एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए। एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ के संबंध में पारित आदेश का समीक्षा करते हुए कहा कि इस के पीछे मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि निर्वाचित प्रतिनिधियों (सांसदों और विधायकों) के खिलाफ आपराधिक केस जल्द समाप्त हो जाएं। विशेष विचार की आवश्यकता देश की राजनीति में अपराधीकरण की बढ़ती लहर के कारण और निर्वाचित प्रतिनिधियों (वर्तमान या पूर्व) के पास प्रभावी अभियोजन को प्रभावित करने या बाधित करने की शक्ति के कारण है। जन प्रतिनिधि अपने मतदाताओं के विश्वास और भरोसे के भंडार होते हैं, इसलिए निर्वाचित व्यक्ति के पूर्ववृत्त के बारे में जागरूक होना आवश्यक है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार वर्तमान, पूर्व विधायकों और सांसदों के मुकदमों की सुनवाई के लिए मध्य प्रदेश राज्य में विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई है। विशेष न्यायालयों की स्थापना का उद्देश्य ऐसे मुकदमों की सुनवाई में तेजी लाना है। याचिकाकर्ता पूर्व विधायक है, लेकिन अपराध के समय वह विधायक नहीं था और वर्तमान में भी नहीं है। अपराध की प्रासंगिक तारीख के अनुसार अभियुक्त पर विशेष न्यायालय द्वारा मुकदमा चलाया जाना है या नहीं, इसकी व्याख्या करना विशेष न्यायालयों की स्थापना के उद्देश्य को विफल कर देगा। अभियुक्त की स्थिति महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण पहलू वह शक्ति है, जिसका वह आनंद लेता है जो गवाहों को प्रभावित या प्रभावी अभियोजन को बाधित कर सकती है। एकलपीठ ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विशेष न्यायालयों के पास पूर्व और वर्तमान विधानमंडलों के खिलाफ सभी मामलों की सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र है, भले ही ऐसे अपराध किए जाने के समय उनकी स्थिति कुछ भी हो। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद प्रकरण एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए।  रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Fri, 09 Aug 2024 09: 37 AM IST

एकलपीठ ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विशेष न्यायालयों के पास पूर्व और वर्तमान विधानमंडलों के खिलाफ सभी मामलों की सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र है। भले ही ऐसे अपराध किए जाने के समय उनकी स्थिति कुछ भी हो। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी – फोटो : अमर उजाला

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मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को जबलपुर हाईकोर्ट से झटका लगा है। भाजपा नेत्री इमरती देवी पर की गई विवादित टिप्पणी के मामले में डबरा जिले में दर्ज अपराधिक केस की सुनवाई एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट द्वारा ही की जाएगी। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश जारी किए हैं। 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि जब उन्होंने कथित अपराध किया वह विधायक नहीं थे और वर्तमान में भी विधायक नहीं है। इसलिए उनके खिलाफ एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए। एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ के संबंध में पारित आदेश का समीक्षा करते हुए कहा कि इस के पीछे मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि निर्वाचित प्रतिनिधियों (सांसदों और विधायकों) के खिलाफ आपराधिक केस जल्द समाप्त हो जाएं। विशेष विचार की आवश्यकता देश की राजनीति में अपराधीकरण की बढ़ती लहर के कारण और निर्वाचित प्रतिनिधियों (वर्तमान या पूर्व) के पास प्रभावी अभियोजन को प्रभावित करने या बाधित करने की शक्ति के कारण है। जन प्रतिनिधि अपने मतदाताओं के विश्वास और भरोसे के भंडार होते हैं, इसलिए निर्वाचित व्यक्ति के पूर्ववृत्त के बारे में जागरूक होना आवश्यक है।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार वर्तमान, पूर्व विधायकों और सांसदों के मुकदमों की सुनवाई के लिए मध्य प्रदेश राज्य में विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई है। विशेष न्यायालयों की स्थापना का उद्देश्य ऐसे मुकदमों की सुनवाई में तेजी लाना है। याचिकाकर्ता पूर्व विधायक है, लेकिन अपराध के समय वह विधायक नहीं था और वर्तमान में भी नहीं है। अपराध की प्रासंगिक तारीख के अनुसार अभियुक्त पर विशेष न्यायालय द्वारा मुकदमा चलाया जाना है या नहीं, इसकी व्याख्या करना विशेष न्यायालयों की स्थापना के उद्देश्य को विफल कर देगा। अभियुक्त की स्थिति महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण पहलू वह शक्ति है, जिसका वह आनंद लेता है जो गवाहों को प्रभावित या प्रभावी अभियोजन को बाधित कर सकती है। एकलपीठ ने मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विशेष न्यायालयों के पास पूर्व और वर्तमान विधानमंडलों के खिलाफ सभी मामलों की सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र है, भले ही ऐसे अपराध किए जाने के समय उनकी स्थिति कुछ भी हो। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद प्रकरण एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए। 

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