mp:-आठ-महीने-में-पटवारी-नहीं-बना-पाए-कार्यकारिणी,-उपचुनाव-तक-करना-पड़-सकता-है-इंतजार,-नेताओं-के-नाराज-होने-का-डर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Sun, 01 Sep 2024 06: 27 PM IST  कांग्रेस पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को पद संभाले करीब 8 महीने से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन पटवारी अपनी टीम का गठन नहीं कर पाए हैं।  पीसीसी चीफ जीतू पटवारी - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को पद संभाले करीब 8 महीने से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन पटवारी अभी तक अपनी टीम का गठन नहीं कर पाए हैं। प्रदेश कार्यकारिणी के घोषणा को लेकर लगातार कयास लगाया जा रहे हैं। भोपाल से दिल्ली तक मंथन चल रहा है। मध्य प्रदेश प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह भी कई बार बोल चुके हैं कि पदाधिकारियों की लिस्ट तैयार हो गई है जल्द ही घोषणा की जाएगी। कांग्रेस सूत्रों की माने तो पार्टी ने कार्यकारिणी की लिस्ट तैयार कर ली है लेकिन बुधनी और विजयपुर में होने वाले उप चुनाव के कारण कार्यकारिणी का घोषणा नहीं किया गया है। पार्टी के बड़े नेताओं को लग रहा है कि कार्यकारिणी की घोषणा होने पर कई नेता नाराज हो सकते हैं और इसका असर उपचुनाव पर पड़ सकता है। यही कारण है की कार्यकारिणी की घोषणा लगातार टलती जा रही है। गुटबाजी हावी, पटवारी कैसे बनाएंगे समन्वय  मध्य प्रदेश में कांग्रेस और गुटबाजी का गहरा नाता हो चला है। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी युवा और महिलाओं को अपनी टीम में अधिक से अधिक जगह देना चाहते हैं। जबकि कांग्रेस के बड़े नेता खुद को या अपने चाहने वालों को कार्यकारिणी में जगह दिलाना चाहते हैं। यही कारण है कि कई नेता जीतू पटवारी से नाराज चल रहे हैं। कई नेता तो खुलकर भी पटवारी के खिलाफ बयान बाजी कर चुके हैं। पटवारी के सामने परीक्षा की घड़ी है कि पार्टी को कैसे मैनेज करते हैं और कार्यकारिणी में सभी का समन्वय बनाते हैं। दरअसल राज्य में किसी दौर में कांग्रेस सत्ता में थी, संगठन भी मजबूत हुआ करता था, मगर वर्ष 2003 के बाद ऐसी स्थितियां बनी कि कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई। अब एक बार फिर से कांग्रेस को मजबूत करने में पार्टी के सभी नेता जुटे हुए है। विधानसभा चुनाव हारने के बाद कमलनाथ की हुई थी विदाई  कांग्रेस पार्टी ने दिसंबर 2023 विधानसभा में करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष की कमान जीतू पटवारी को सौंपी गई थी। कमलनाथ की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई की गई थी। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी विधानसभा के लगातार तीन चुनाव हार गई। लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अन्य दलों के सहयोग से सत्ता हासिल की। पार्टी को सत्ता जरूर मिल गई, मगर गुटबाजी के रोग ने उसे ज्यादा दिन सत्ता हाथ में नहीं रहने दिया।15 महीने ही कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने काम किया। उसके बाद सिंधिया के अलग होने से सरकार गिर गई और तब से कांग्रेस को सत्ता से बाहर रहना पड़ रहा है। कांग्रेस के प्रदर्शन में नेता दिख रहे सक्रियता  जब से जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी लगातार सड़कों पर आंदोलन करती नजर आ रही है। पिछले दो महीने में 10 से ज्यादा बड़े आंदोलन प्रदेश में हो चुके हैं। खास बात यह है कि नर्सिंग, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर कांग्रेस के प्रदर्शन में सभी बड़े नेता शामिल हो रहे हैं, यह पार्टी के लिए अच्छे संकेत है। हालांकि कई नेता पार्टी में सक्रियता दिखाकर कार्यकारिणी में जगह चाहते हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के सक्रिय नेताओं को जिम्मेदारी का इंतजार है। मीडिया विभाग के अलावा कुछ नेताओं के पास जिम्मेदारी है, मगर ज्यादातर पद अब भी खाली हैं और दावेदार जोर आजमाइश कर रहे हैं। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Sun, 01 Sep 2024 06: 27 PM IST

 कांग्रेस पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को पद संभाले करीब 8 महीने से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन पटवारी अपनी टीम का गठन नहीं कर पाए हैं।  पीसीसी चीफ जीतू पटवारी – फोटो : अमर उजाला

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मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को पद संभाले करीब 8 महीने से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन पटवारी अभी तक अपनी टीम का गठन नहीं कर पाए हैं। प्रदेश कार्यकारिणी के घोषणा को लेकर लगातार कयास लगाया जा रहे हैं। भोपाल से दिल्ली तक मंथन चल रहा है। मध्य प्रदेश प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह भी कई बार बोल चुके हैं कि पदाधिकारियों की लिस्ट तैयार हो गई है जल्द ही घोषणा की जाएगी। कांग्रेस सूत्रों की माने तो पार्टी ने कार्यकारिणी की लिस्ट तैयार कर ली है लेकिन बुधनी और विजयपुर में होने वाले उप चुनाव के कारण कार्यकारिणी का घोषणा नहीं किया गया है। पार्टी के बड़े नेताओं को लग रहा है कि कार्यकारिणी की घोषणा होने पर कई नेता नाराज हो सकते हैं और इसका असर उपचुनाव पर पड़ सकता है। यही कारण है की कार्यकारिणी की घोषणा लगातार टलती जा रही है।

गुटबाजी हावी, पटवारी कैसे बनाएंगे समन्वय
 मध्य प्रदेश में कांग्रेस और गुटबाजी का गहरा नाता हो चला है। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी युवा और महिलाओं को अपनी टीम में अधिक से अधिक जगह देना चाहते हैं। जबकि कांग्रेस के बड़े नेता खुद को या अपने चाहने वालों को कार्यकारिणी में जगह दिलाना चाहते हैं। यही कारण है कि कई नेता जीतू पटवारी से नाराज चल रहे हैं। कई नेता तो खुलकर भी पटवारी के खिलाफ बयान बाजी कर चुके हैं। पटवारी के सामने परीक्षा की घड़ी है कि पार्टी को कैसे मैनेज करते हैं और कार्यकारिणी में सभी का समन्वय बनाते हैं। दरअसल राज्य में किसी दौर में कांग्रेस सत्ता में थी, संगठन भी मजबूत हुआ करता था, मगर वर्ष 2003 के बाद ऐसी स्थितियां बनी कि कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई। अब एक बार फिर से कांग्रेस को मजबूत करने में पार्टी के सभी नेता जुटे हुए है।

विधानसभा चुनाव हारने के बाद कमलनाथ की हुई थी विदाई 
कांग्रेस पार्टी ने दिसंबर 2023 विधानसभा में करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष की कमान जीतू पटवारी को सौंपी गई थी। कमलनाथ की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई की गई थी। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी विधानसभा के लगातार तीन चुनाव हार गई। लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अन्य दलों के सहयोग से सत्ता हासिल की। पार्टी को सत्ता जरूर मिल गई, मगर गुटबाजी के रोग ने उसे ज्यादा दिन सत्ता हाथ में नहीं रहने दिया।15 महीने ही कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने काम किया। उसके बाद सिंधिया के अलग होने से सरकार गिर गई और तब से कांग्रेस को सत्ता से बाहर रहना पड़ रहा है।

कांग्रेस के प्रदर्शन में नेता दिख रहे सक्रियता 
जब से जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी लगातार सड़कों पर आंदोलन करती नजर आ रही है। पिछले दो महीने में 10 से ज्यादा बड़े आंदोलन प्रदेश में हो चुके हैं। खास बात यह है कि नर्सिंग, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर कांग्रेस के प्रदर्शन में सभी बड़े नेता शामिल हो रहे हैं, यह पार्टी के लिए अच्छे संकेत है। हालांकि कई नेता पार्टी में सक्रियता दिखाकर कार्यकारिणी में जगह चाहते हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के सक्रिय नेताओं को जिम्मेदारी का इंतजार है। मीडिया विभाग के अलावा कुछ नेताओं के पास जिम्मेदारी है, मगर ज्यादातर पद अब भी खाली हैं और दावेदार जोर आजमाइश कर रहे हैं।

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