न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: शबाहत हुसैन Updated Sun, 25 Aug 2024 05: 18 PM IST
MP: भारत ने पहले दक्षिणी गोलार्ध के दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीते लाकर भारत में बसाने की कोशिश की। अब तक 20 चीतों को लाया गया है और उन्हें श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में बसाया गया है। बायोरिदम जटिलताओं का सामना भी इस दौरान करना पड़ा। अब इससे सबक लेकर सरकार भूमध्य रेखा के करीब और उत्तरी गोलार्ध की अन्य रेंज से चीतों को लाने का विचार कर रही है।
चीता – फोटो : अमर उजाला
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आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच सर्कैडियन लय में अंतर है। इस वजह से पिछले साल भारतीय गर्मियों और मानसून में कुछ चीतों में अफ्रीकी सर्दियों (जून से सितंबर) की आशंका को देखते हुए सर्दियों के लिए मोटी खालें विकसित कीं। इनमें से तीन चीते- एक नामीबियाई मादा और दो दक्षिण अफ्रीकी नर – अपनी सर्दियों की खालों के नीचे, पीठ और गर्दन पर घावों के कारण मारे गए। उनमें कीड़े लग गए और ब्लड इन्फेक्शन भी हुआ था। इस साल भी नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के चीतों ने सर्दियों के लिए मोटे कोट विकसित कर लिए हैं।
इन चिंताओं के बावजूद नए चीतों को लाने के लिए दक्षिणी गोलार्ध के देशों के साथ चर्चा चल रही है। एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि, “दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया सहित सभी देशों के साथ बातचीत चल रही है। हमने औपचारिक रूप से किसी से संपर्क नहीं किया है। वर्तमान में हमारा ध्यान सामने आ रहे मुद्दों को संबोधित करने पर है। मसलन- शिकार को बढ़ाना, तेंदुओं की आबादी का प्रबंधन करना और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को तैयार करना।”
स्थानीय पर्यावरण में एडजस्ट होने की दिक्कतें
आरटीआई आवेदन के माध्यम से पीटीआई ने दस्तावेज हासिल किए हैं। इनसे पता चला है कि 10 अगस्त 2023 को संचालन समिति की बैठक हुई थी। इसमें स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राजेश गोपाल ने कहा था कि दक्षिणी गोलार्ध के देशों से चीतों को कूनो नेशनल पार्क में बसाने के दौरान स्थानीय पर्यावरण, जलवायु और परिस्थितियों के अनुसार बायोरिदम को समायोजित करने में समय लग रहा है। उनकी मौतों का यह एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। उन्होंने कहा था कि “बायोरिदमिक एडजस्टमेंट की कमी के कारण कुछ चीते अपने फर चेंज के दौरान एक्टोपैरासिटिक संक्रमण के शिकार हुए। यह उनके पहले के निवास स्थान की जलवायु स्थितियों के हिसाब से उपयुक्त था। जीवित चीतों की तीसरी संतान पीढ़ी अधिक प्रतिरोधी होगी और कुनो स्थितियों के लिए बेहतर रूप से अनुकूलित होगी।”
केन्या या सोमालिया से लाया जाना चाहिए चीते
राजेश गोपाल ने चीतों की मृत्यु दर की संभावना को स्वीकार किया। सिफारिश की थी कि बायोरिदमिक जटिलताओं से बचने के लिए भविष्य में चीतों को केन्या या सोमालिया जैसे उत्तरी गोलार्ध के देशों से लाया जाना चाहिए। 4 सितंबर 2023 को स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में राजेश गोपाल ने स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के साथ बायोरिदम, विशेष रूप से सर्कैडियन लय को समन्वयित करने के महत्व को दोहराया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दक्षिण अफ्रीका के चीते दक्षिणी गोलार्ध की जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं, जिसकी जलवायु अलग है। यह महत्वपूर्ण है कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी केन्या और सोमालिया जैसे उत्तरी गोलार्ध के देशों से नए चीतों को मंगाने को प्राथमिकता दे।
अक्टूबर और दिसंबर में भी यही बात आई थी सामने
27 अक्टूबर को एक अन्य बैठक में समिति ने सर्कैडियन लय समायोजन और त्वचीय संक्रमण से संबंधित अनुभवों के आधार पर इस बात पर जोर दिया कि चीतों को दक्षिणी गोलार्ध के अफ्रीकी देशों से नहीं मंगाया जाना चाहिए। 13 दिसंबर को बैठक में तत्कालीन वन महानिरीक्षक, एनटीसीए, अमित मलिक ने कहा था कि “केन्या, तंजानिया और सूडान सहित अन्य रेंज देशों से और अधिक चीते लाने के लिए कदम उठाए गए हैं।”
गांधी सागर में बसाने की तैयारी
हालांकि, यह मुद्दा 12 मार्च, 18 जून और 23 अगस्त की बैठकों में नहीं उठा। इसमें शिकार बढ़ाने, कूनो और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में तेंदुओं की आबादी का प्रबंधन, घास पुनरुद्धार, क्षमता निर्माण, एसओपी को मजबूत करने और कूनो में चीतों को खुले जंगल में छोड़ने के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
अक्टूबर में छोड़ा जाएगा खुले जंगल में
अब तक भारत लाए गए 20 चीतों में से कुछ – सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ और पिछले फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 – को शुरू में जंगल में छोड़ा गया था। पिछले साल 13 अगस्त तक तीन चीतों की सेप्टीसीमिया के कारण मृत्यु हो जाने के बाद उन्हें वापस उनके बाड़ों में लाया गया था। शुक्रवार को हुई बैठक में स्टीयरिंग कमेटी ने भारत में जन्मे अफ्रीकी चीतों और उनके शावकों को देश के मध्य भागों से मानसून के चले जाने के बाद चरणबद्ध तरीके से जंगल में छोड़ने का फैसला किया, जो आमतौर पर अक्टूबर के पहले सप्ताह में होता है। वयस्क चीतों को बारिश खत्म होने के बाद जंगल में छोड़ा जाएगा। शावकों और उनकी माताओं को दिसंबर के बाद छोड़ा जाएगा। सभी 25 चीते – 13 वयस्क और 12 शावक – वर्तमान में ठीक हैं। जानवरों को बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाया गया है और प्रोफिलैक्सिस दिया गया है।
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