न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Thu, 20 Jun 2024 08: 05 PM IST
मानसून में देरी और भीषण गर्मी अब लोगों के लिए असहनीय होती जा रही है। इंदौर में सामान्यतः मानसून का आगमन 12 जून के आसपास माना जाता है। पिछले साल 2023 में भी मानसून लेट हुआ था और 25 जून को आया था और उससे पहले 2022 में मानसून 17 जून को आ गया था। इस बार प्री मानसून एक्टिविटी में भी बारिश नहीं हुई जिसकी वजह से शहर में उमस और गर्मी से लोग परेशान हैं। मई में इस बार पारा 44 पार गया और हीट वेव चली अभी भी पारा 38 पार चल रहा है।
डेढ़ हजार रुपए तक हुए टैंकर
शहर में तीन सौ से पांच सौ रुपए तक मिलने वाले टैंकर डेढ़ हजार रुपए तक हो गए हैं। लोग सुबह से अपनी नौकरी और व्यापार को छोड़कर टैंकरों के लिए लाइन में लगे हैं। टैंकर भी वेटिंग में चल रहे हैं। पार्षदों के दफ्तरों पर लोग सुबह से लाइन में लग जाते हैं, यदि यहां से निःशु्ल्क टैंकर मिलता है तो ठीक है वरना वह डेढ़ हजार रुपए तक टैंकर खरीद रहे हैं।
तालाबों में जल स्तर कम
पिछले साल की तुलना में ताबालों की स्थिति भी ठीक नहीं है। यशवंत सागर में 2023 की तुलना में इस साल एक फीट और पानी कम हो गया है और बड़ा बिलावली तालाब में तो पानी पिछले साल की तुलना में चार फीट तक कम है। पीपल्यापाला में पिछले साल 15 जून तक 12 फीट पानी था जो इस साल 3.8 फीट ही रह गया है।
800 फीट तक पहुंचे बोरिंग
शहर के 40 प्रतिशत से अधिक बोरिंग सूख चुके हैं। 800 फीट तक बोरिंग करके पानी निकालना पड़ रहा है। रेवती रेंज में 11 लाख पौध रोपण के लिए बोरिंग किया गया। यहां जल स्तर 800 फीट नीचे चला गया। शहर का 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पानी के लिए बोरिंग पर निर्भर है। यहां पर नर्मदा का पानी नहीं आता है, यहां पर तो हालात बेहद कठिन हैं। लोग एक एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। चंदन नगर, बाणगंगा, देव नगर, गणराज नगर, मुसाखेड़ी जैसे इलाकों में ज्यादा जलसंकट हैं।
15 जून तक तालाबों की स्थिति
तालाब क्षमता 2023 2024
यशवंत सागर 19 फीट 11.8 फीट 10.5 फीट
बड़ा बिलावली 34 फीट 23.7 फीट 19 फीट
छोटा बिलावली 12 फीट 0 0
बड़ा सिरपुर 16 फीट 9.2 फीट 9.3 फीट
छोटा सिरपुर 13 फीट 10.9 फीट 12 फीट
पीपल्यापाला 22 फीट 12 फीट 3.8 फीट
लिम्बोदी 16 फीट 0 0
मानसून की स्थिति
मौसम वैज्ञानिक एचएल तापड़िया के मुताबिक इंदौर में अभी एक दो दिन गर्मी बनी रहेगी। हवाओं की गति के अनुसार 23-24 जून के आसपास मानसून आने की संभावना है। साल 2023 में प्रदेश में 100 फीसदी बारिश हुई थी, मौसम विभाग के मुताबिक इस बार भी इससे ज्यादा आंकड़ा रहने की उम्मीद है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक मानसून महाराष्ट्र में स्थिर है। अगले 2 से 3 दिन में यह आगे बढ़ सकता है। इसके बाद ही मध्यप्रदेश में आएगा। सीनियर वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह के मुताबिक फिलहाल, वेस्टर्न डिस्टबेंस और साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से मध्यप्रदेश के ज्यादातर हिस्से में आंधी, बारिश और गरज-चमक की स्थिति बनी हुई है।
निगम ने अभी तक शुरू नहीं की नालों की सफाई
नगर निगम ने मानसून के करीब आने बावजूद नालों की सफाई और जल निकासी की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना का शुरू नहीं किया है। वहीं नागरिकों से अपील की है कि वे अपने आसपास के जलभराव वाले क्षेत्रों का ध्यान रखें और सफाई का विशेष ध्यान दें, ताकि बारिश के दौरान कोई परेशानी न हो।
बोरिंग सूखे, नर्मदा सप्लाई आधी
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर में भूजल का स्तर क्रिटिकल स्थिति में पहुंच गया है। इसी तरह लगातार भूजल दोहन के कारण भविष्य में सूखे का खतरा बढ़ सकता है। हाल ही में नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि अगले एक दशक में देशभर के करीब 30 शहरों में जल संकट उत्पन्न हो सकता है। इंदौर इस सूची में शामिल है। यह शहर अतिदोहित श्रेणी में आता है। भूजल स्तर पिछले 10 वर्षों में 10 मीटर से अधिक गिर गया है। यह गिरावट बढ़ती आबादी, अनियंत्रित भूजल दोहन, अनियंत्रित शहर विस्तार और जल संचय की कमी के कारण हुई है। जानकारी के मुताबिक, इंदौर में भूजल का स्तर 2012 में 150 मीटर था, जो 2023 में 160 मीटर से अधिक हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भूजल दोहन इसी गति से जारी रहा, तो 2030 तक भूजल स्तर 200 मीटर से अधिक गहरा हो सकता है। भूजल स्तर में गिरावट के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इंदौर शहर में पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत नर्मदा नदी है। नर्मदा नदी का पानी शहर में पाइपलाइन के माध्यम से पहुंचाया जाता है। हालांकि, बढ़ती आबादी और अनियंत्रित भूजल दोहन के कारण नर्मदा नदी पर भी दबाव बढ़ रहा है। अभी नर्मदा का पानी भी आधी सप्लाई के साथ पहुंचाया जा रहा है।
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