Maratha Reservation: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अपना अनिश्चितकालीन अनशन नौ दिन बाद गुरुवार को खत्म करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे के गुर्दे और जिगर में सूजन है और उन्हें स्वस्थ होने में समय लगेगा. डॉक्टरों की ओर से शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी गई. करीब 40 वर्षीय जरांगे का वर्तमान में महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर के उल्कानगरी इलाके में एक निजी अस्पताल में इलाज हो रहा है. अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि मनोज जरांगे के शरीर में पानी की कमी हो गई है तथा उनके गुर्दे और जिगर में सूजन है. उनके शरीर में यूरिया और क्रिटिनिन का स्तर अत्यधिक है। उन्हें स्वस्थ होने में समय लगेगा.
सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में मराठाओं के लिए आरक्षण की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता जरांगे 25 अक्टूबर से जालना जिले में अंतरवाली सराटी गांव में आंदोलन कर रहे थे. महाराष्ट्र के चार मंत्रियों ने गुरुवार को उनसे मुलाकात की और अनिश्चितकालीन अनशन खत्म करने की अपील की, जिसके बाद उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया. डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल के एक निजी कक्ष में गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) जैसी व्यवस्था की गई है, जहां जरांगे का इलाज हो रहा है.
संजय राउत के बयान पर टिप्पणी करने से इनकार
सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शुक्रवार को सुबह अस्पताल में मीडिया से बात की. सामाजिक कार्यकर्ता ने शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के उस बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि जरांगे ने सरकार को 24 दिसंबर की समय सीमा इसलिए दी है क्योंकि वह जानते हैं कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार 30 दिसंबर तक नहीं रहेगी. जरांगे ने कहा कि यह एक राजनीतिक बयान है और इस बारे में बात करने का मुझे कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर काम कर रहीं विभिन्न समितियां तब भी मौजूद रहेंगी.
मुंबई तक एक ‘‘विशाल’’ रैली निकालने का संकल्प
उनकी मांगों में से एक यह भी है कि मराठाओं को कुनबी जाति प्रमाण पत्र दिया जाए. कृषक कुनबी समुदाय को पहले से ही अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ मिल रहा है. जरांगे ने सरकार से 24 दिसंबर तक मुद्दे को सुलझाने के लिए कहा है. उन्होंने गुरुवार को कहा कि मैंने अपना अनशन खत्म कर लिया है लेकिन मराठा आरक्षण आंदोलन जारी है. क्रमिक अनशन भी जारी रहेगा. उन्होंने दो महीने के भीतर इस भावनात्मक मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लेने की स्थिति में मुंबई तक एक ‘‘विशाल’’ रैली निकालने का संकल्प लिया है.
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