पुलिस व परिजनों के साथ पकंज – फोटो : अमर उजाला
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रक्षाबंधन से पहले मंदसौर पुलिस ने बहनों को उनके 18 वर्ष पूर्व बिछड़े भाई से मिलाया। इसके बाद थाने में अपने बिछड़े हुए भाई से मिलकर बहनों की आंखों में खुशी के आंसू रूक नहीं रहे थे और पुलिस को धन्यवाद देते हुए हाथ थक नहीं रहे थे। ये नजारा देखकर यहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई, क्योंकि ऐसे नजारे सिर्फ फिल्मों में ही देखने को मिलते हैं।
पुलिस अधीक्षक अनुराग सुजानिया के निर्देशन में जिले में ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा है। इसमें गुमशुदा बालक बालिकाओं की तलाश के लिए सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित किया गया है। 25 अगस्त को काबरा पेट्रोल पंप के पास एक युवक जिसकी उम्र करीब 30-32 वर्ष थी। इससे वायडीनगर थाना प्रभारी धर्मेश यादव ने पूछताछ की तो पता चला कि युवक न बोल सकता है और न सुन सकता है। सिर्फ लिख सकता है। जब मनोवैज्ञानिक ढंग से बातचीत करने की कोशिश की गई तो इसने अपना नाम कागज पर पंकज लिखकर बताया और इशारों में बताया कि उसकी तीन बहनें हैं, जिसमें बड़ी बहन की शादी जब वो छोटा था तब हो चुकी थी, उससे छोटा वो है और मंदसौर के किसी गांव का रहने वाला है। लेकिन गांव का नाम पता नहीं है। गांव में बजरंग बली का मंदिर है।
ऐसे मिली परिजनों के बारे में जानकारी
पुलिस ने जानकारी जुटाना शुरू की। कन्ट्रोल रूम, सोशल मीडिया और जिले के सभी थानों पर पुराने गुम हुए लोगों की जानकारी निकाली गई। ऐसे में पता चला कि 7 फरवरी 2006 में पिपलियामंडी थाने में एक नाबालिग की गुमशुदगी दर्ज हुई थी। जिसका नाम पंकज पिता रंगलाल सूर्यवंशी उम्र 17 साल निवासी बहीपार्श्वनाथ का था। इसके बाद गुमशुदा के परिजनों से संपर्क कर थाने बुलाया गया। प्रारंभिक तौर पर पिता द्वारा पहचान नहीं की जा सकी, लेकिन जब मां और बहनें थाने पहुंची तो उन्होंने तत्काल पंकज को पहचान लिया। इसके बाद पंकज को पिपलियामंडी थाने भेजा गया। यहां से परिजनों के हवाले किया गया।
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