न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सतना Published by: रवींद्र भजनी Updated Wed, 28 Aug 2024 02: 34 PM IST
मैहर जिले के करौंदिया गांव में ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की। फिर चुनावों में नेताओं से वादा भी लिया। इसके बाद भी पुल की उनकी मांग अधूरी ही रही। थक-हारकर ग्रामीणों ने 11 हजार रुपये खर्च कर 11 दिन श्रमदान किया। तब जाकर बांस से ईको पुल बनाकर आवागमन सुगम बना दिया है। पुल के बन जाने से इन गांवों के डेढ़ सौ से अधिक ग्रामीणों को आवागमन में राहत मिली है। इस कदम से ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के सामने यह उदाहरण पेश किया है कि अगर इच्छा शक्ति मजबूत हो, तो कोई भी काम किया जा सकता है।
यह मामला मैहर जिले के रामनगर के करौंदिया गांव का है। यह गांव कहने को तो नगर परिषद न्यू रामनगर का हिस्सा है, लेकिन पिछले एक दशक से नगर परिषद यहां के निवासियों के लिए एक पुल तक मंजूर नहीं कर सका है। करौंदिया गांव के निवासी नत्थूलाल पटेल ने बताया कि गांव में करीब डेढ़ सौ लोगों का निवास है, जिनके स्कूल, कॉलेज, खेती और रोजगार के साधन पूरी तरह से बाहरी क्षेत्र पर निर्भर हैं। लेकिन बरसात के दिनों में सड़क की हालत बहुत खराब हो जाती है। नदी के उफान के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, किसान अपने खेतों तक नहीं पहुंच पाते, और मरीज रास्ते के अभाव में घरों में कैद हो जाते हैं। पुल न होने के कारण गांव का जीवन बेहद कठिन हो गया है।
ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन को इस बारे में उचित कदम उठाने के लिए आवेदन दिया, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला। हाल ही में जिला कलेक्टर ने भी सात दिनों के भीतर रास्ता और पुल की व्यवस्था करने का वादा किया था, लेकिन जमीनी हकीकत में कुछ भी नहीं बदला। गांव के निवासी भूरेलाल पटेल ने बताया कि गांव के सभी लोगों ने मिलकर पहले बांस की लकड़ियां जुटाईं, फिर उसे खड़ा करने में करीब 11 दिन लगे और लगभग 11 हजार रुपये खर्च हुए।
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सुरक्षित नहीं है अस्थायी पुल
यह पुल अस्थायी रूप से बनाया गया है, और नदी के ऊपर बना होने के कारण एक बार में दो से तीन लोगों के गुजरने पर इसके टूटने का खतरा रहता है। इस वजह से लोग बारी-बारी से पुल पार करते हैं, और बच्चों को भी सावधानीपूर्वक पार कराया जाता है। ग्रामीण उमाकांत पटेल ने बताया कि कई बार शिकायत करने के बाद भी जब पुल नहीं बना, तो गांव वालों ने मिलकर बांस और बल्ली का यह पुल बना लिया। अब लोग इसी रास्ते से निकलते हैं, लेकिन यह पुल खतरे से खाली नहीं है।
नदी में उफान आने पर डूब जाता है पुल
एक ग्रामीण ने बताया कि नदी का जलस्तर बढ़ते ही पुल डूब जाता है, लेकिन फिर भी जिम्मेदार अधिकारियों ने कभी उनकी सुध नहीं ली। चुनाव के समय पुल बनाने का वादा किया जाता है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई भी इस वादे को पूरा नहीं करता।
एसडीएम ने कहा- जल्द ही होगा समाधान
रामनगर एसडीएम आरती सिंह से जब इस मामले पर पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि करौंदिया गांव की समस्या को लेकर हमारी बात रामनगर सीएमओ से हुई है। जानकारी मिली है कि बजट की समस्या बनी हुई है, लेकिन जल्द ही इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।
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