न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: अरविंद कुमार Updated Mon, 17 Jul 2023 08: 11 PM IST
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Mahakal Ki Shahi Sawari: सावन के दूसरे सोमवार पर महाकाल चंद्रमौलेश्वर के रूप में प्रजा के बीच निकले। इस बीच तेज बारिश होती रही, लेकिन भक्तों के जोश में कोई कमी नहीं रही। तेज बारिश के बीच सबसे पहले बाबा महाकाल को सशस्त्र पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया, इसके बाद पूरे शहर में सवारी निकाली गई। दूसरी सवारी पर गूंज उठा जय श्री महाकाल – फोटो : अमर उजाला
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12 ज्योतिलिंर्गों में से एक दक्षिणमुखी भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण/भाद्रपद माह में निकलने वाली दूसरे सोमवार की सवारी आज नगर में धूमधाम से निकली। इस दौरान बाबा महाकाल श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में तथा हाथी पर श्री मनमहेश के रूप में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले।
सवारी प्रारंभ होने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में षोडशोपचार पूजन-अर्चन श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा द्वारा भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया। इसके पश्चात भगवान की आरती की गई। आरती के पश्चात भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर पालकी में और हाथी पर श्री मनमहेश विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले।
मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी गई, उसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची। जहां बाबा महाकाल का शिप्रा के जल से अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यीनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची।
बाबा महाकाल उज्जैन के राजा इसिलिए हाथी पर हुए सवार…
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से श्रावण के दूसरे सोमवार सोमवती अमावस्या के महासंयोग में भगवान महाकाल की दूसरी सवारी में बाबा महाकाल भक्तों को एक साथ दो रूपों के दर्शन दिए। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर सवार होकर मनमहेश रूप में निकले। पुजारियों के अनुसार, हमेशा नंदी की सवारी करने वाले शिव शंभु भगवान महाकाल उज्जैन के राजा होने के कारण पालकी व हाथी की सवारी करते हैं। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि भगवान महाकाल लौकिक जगत में अवंतिका के राजा माने गए हैं। इसलिए ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा में राजसी ठाठ नजर आया।
ऐसी मान्यता है कि राजा-महाराजा जब नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं, तो पालकी अथवा हाथी पर सवार होकर निकलते हैं। यही परंपरा ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में आज भी जारी है। भगवान महाकाल चंद्रमौलेश्वर रूप मे चांदी की पालकी और मनमहेश रूप मे हाथी पर सवार होकर निकले।
इन्होंने किया पूजन-अर्चन…
सवारी के निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभामंडप में खुजराहो सांसद वी.डी. शर्मा, विधायक पारस जैन, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा, पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज, आदि ने भगवान महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन किया और आरती में सम्मिलित हुए। भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले।
पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार श्री चन्द्रमोलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई। इंद्रदेव ने भी इस दौरान बारिश से बाबा महाकाल का स्वागत किया। सवारी मार्ग में स्थान-स्थान पर खड़े श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के घोष के साथ उज्जैन नगरी के राजा भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की।
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