न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: दिनेश शर्मा Updated Mon, 14 Aug 2023 09: 22 PM IST
श्रावण के षष्ठम सोमवार पर भगवान श्री महाकालेश्वर की छठी सवारी धूमधाम से निकाली गई। पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव और नन्दी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, नवीन रथ पर भगवान श्री महाकालेश्वर श्री घटाटोप स्वरूप में विराजित होकर अपनी प्रजा की कुशलक्षेम जानने नगर भ्रमण पर निकले। जिसमें भगवान श्री महाकालेश्वर के वैभव, ऐश्वर्य व गरिमा की छटा चारों ओर देखते ही बन रही थी।
सवारी के निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में सर्वप्रथम भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन कर भगवान की आरती की गई। पूजन-अर्चन मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा संपन्न कराया गया। मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, कलेक्टर एवं अध्यक्ष श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कुमार पुरुषोत्तम, अविनाश लवानिया भोपाल, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज, महापौर मुकेश टटवाल आदि ने भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन किया और आरती में सम्मिलित हुए। पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य् द्वार पर पहुंची सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार श्री चन्द्रमोलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई। सवारी मार्ग में स्थान-स्थान पर खडे श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के घोष के साथ उज्जैन नगरी के राजा भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की।
परंपरागत मार्ग पर किया भ्रमण
श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी महाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए रामघाट पहुंची रामघाट पर श्री चन्द्रमोलेश्वर व श्री मनमहेश का मॉ क्षिप्रा के जल से अभिषेक पूजन किया गया। पूजन -अर्चन के बाद भगवान महाकाल की सवारी रामघाट से रामानुज कोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिकचौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक होते हुए गोपाल मंदिर पहुंची। श्री गोपाल मंदिर पर परंपरानुसार सिंधिया स्टेट की ओर से गोपाल मंदिर के पुजारी द्वारा पालकी में विराजित श्री चन्द्रमोलेश्वर का पूजन किया गया। इसके पश्चात सवारी गोपाल मंदिर से पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में श्री जी के सभी विग्रहों के पूजन-आरती पश्चात सवारी का विश्राम हुआ।
पूरी नगरी शिवमय हो गई
भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। श्रावण के छठे सोमवार पर भगवान की सवारी के दौरान पूरी नगरी शिवमय हो गई। श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी में हजारों भक्त झांझ, मंजीरे, डमरू, ढोल आदि वाद्य बजाते हुए महाकाल की आराधना करते हुए पालकी के साथ चल रहे थे। सम्पूर्ण मार्ग में चोपदार व तोपची भगवान के आगमन की सूचना देते हुए आगे-आगे चल रहे थे। झाडूवाहक चांदी की झाडू से मार्ग को स्वच्छ करते हुए चल रहे थे। भगवान के नगर भ्रमण पर ढोलवादक, झांझवादक आदि अपने वाद्यों को बजाते हुए हर्षोंउल्हास के साथ अवन्तिका नाथ की भक्ति मे लीन दिखाई दे रहे थे। कलाकार के.बी.पंड्या अपनी टीम के साथ सम्पूर्ण सवारी मार्ग पर रंगोली बनाते हुए चल रहे थे।
रंगोली, आतिशबाजी से किया स्वागत
सवारी के क्रम में उद्घोषक वाहन, तोपची, भगवान श्री महाकाल का ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल, पुलिस बैण्ड, नगर सेना, महाकाल के पुजारी-पुरोहित, ढोलवादक, झांझवादक, चोपदार, चांदी की झाड़ूवाहक, अन्य आवश्यक व्यवस्था में लगने वाले अधिकारी-कर्मचारी साथ चल रहे थे। बाबा श्री महाकालेश्वर के नगर भ्रमण के दौरान संपूर्ण मार्ग में फूलों व रंगों की रंग-बिरंगी रंगोली, आतिशबाजी, ध्वज,आदि के माध्यम से सजाया गया। सवारी मार्ग को आकर्षक बनाने के लिये आधुनिक सज्जा के उपायों द्वारा सुसज्जित, सुन्दर व भव्य बनाया गया।
बाबा महाकाल की सवारी में दिखा देशभक्ति का रंग
बाबा महाकाल की छठी सवारी में देशभक्ति का एक अलग ही रूप देखने को मिला, क्योंकि सवारी के आगे-आगे एसपी सचिन शर्मा घोड़े पर बैठकर हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर नजर आ रहे थे तो वहीं दूसरी ओर बाबा महाकाल की पालकी को भी तिरंगा ध्वज के रंगों से सजाया गया था। इनके साथ ही सवारी में देशभक्ति के गीत भी सुनाई दे रहे थे जिस पर भक्ति जमकर नाच रहे थे।
इन 6 स्वरूपों में बाबा महाकाल ने दिए दर्शन
भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण में निकलने वाली सवारियों के क्रम में छठी सवारी परम्परानुसार धूमधाम से शुरू हुई। सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर ने छह विभिन्न स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दिए। इसमें पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड रथ पर शिवतांडव एवं बैलगाड़ी में नंदी पर श्री उमा-महेश, डोल रथ पर होलकर स्वरूप के साथ ही नए रथ पर घटाटोप स्वरूप में दर्शन दिए।
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