Left Wing Extremism: वामपंथी हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के साथ विकास योजनाओं को भी प्राथमिकता दी जा रही है. इन इलाकों के विकास के लिए केंद्र कई योजना चला रहा है. साथ ही गृह मंत्रालय विशेष केंद्रीय सहायता योजना भी चला रहा है. इस योजना के तहत 3450 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. jharkhand News naxal encounter Left Wing Extremism: देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए वामपंथी उग्रवाद चुनौती और खतरा रहा है. वामपंथी उग्रवादी को देश के संविधान में कभी भरोसा नहीं रहा और वे हिंसा के जरिए सत्ता पर काबिज होने की कोशिश करते रहे. लेकिन सरकार के सख्त रवैये के कारण देश में पिछले कुछ सालो में वामपंथी उग्रवाद की हिंसा में कमी आयी है. पिछले 10 साल यानी वर्ष 2004 से 2014 तक देश में वामपंथी उग्रवादी हिंसा के 16274 मामले सामने आए, लेकिन वर्ष 2014 से 2024 के दौरान हिंसा की घटना कम होकर 7696 हो गयी. यानि इस दौरान वामपंथी उग्रवाद की हिंसा में 53 फीसदी की कमी दर्ज की गयी. अगर सुरक्षा बलों के जवानों के इस हिंसा में मारे में जाने के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2004-2014 के दौरान 1824 जवानों को जान गंवानी पड़ी, जबकि 2014-24 के दौरान इस हिंसा में जान गंवाने वाले जवानों की संख्या घटकर 509 हो गयी. यूपीए सरकार के मुकाबले एनडीए सरकार के दौरान सुरक्षा बलों के मौत की संख्या में 73 फीसदी की कमी दर्ज की गयी है. यही नहीं यूपीए सरकार के दौरान वामपंथी हिंसा में जान गंवाने वाले आम नागरिकों की संख्या 4744 थी, जो मौजूदा सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान कम होकर 1481 हो गयी है. लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी देते हुए कहा कि हिंसा में एक भी मौत को सही नहीं ठहराया जा सकता है. वामपंथी उग्रवाद वाले प्रभाव क्षेत्र में भी आयी है भारी कमी  देश में पहले के मुकाबले वामपंथी हिंसा के क्षेत्र में भी कमी आयी है. वर्ष 2013 में 10 राज्य के 126 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित थे, जबकि अप्रैल 2024 तक 9 राज्य के सिर्फ  38 जिले उग्रवाद से पाए गए. वर्ष 2010 में 96 जिलों के 465 थाने उग्रवादी हिंसा से प्रभावित थे, जबकि वर्ष 2023 में 42 जिलों के सिर्फ 171 थाने में हिंसा का प्रभाव देखा गया है. वर्ष 2024 के 6 महीने में 166 वामपंथी उग्रवादी मारे गये और 600 से अधिक उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है. मोदी सरकार के प्रयासों से आने वाले समय में देश पूरी तरह वामपंथी उग्रवाद से मुक्त हो जाएगा.  विकास को भी दी जा रही है प्राथमिकता वामपंथी हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के साथ विकास योजनाओं को भी प्राथमिकता दी जा रही है. इन इलाकों के विकास के लिए केंद्र कई योजना चला रहा है. कई मंत्रालय की योजना के साथ गृह मंत्रालय की विशेष केंद्रीय सहायता योजना चला रहा है. इस योजना के तहत 3450 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. हिंसा प्रभावित क्षेत्र में दो तरह की सड़क योजना, सड़क आवश्यकता योजना और सड़क संपर्क परियोजना चलायी जा रही है. इन क्षेत्रों में 12230 करोड़ रुपये की लागत से सड़क परियोजना का काम चल रहा है. इसके तहत 12228 किलोमीटर सड़क और 700 पुल के निर्माण को मंजूरी दी गयी है. साथ ही 10449 मोबाइल टावर लगाने की योजना को मंजूरी दी गयी है, जिसमें 5139 टावर चालू हो चुका है. केंद्रीय, नवोदय विद्यालय की स्थापना के साथ ही कौशल विकास को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है. बैंक, पोस्ट ऑफिस और एटीएम को भी इन इलाकों में शुरू किया गया है. 

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Left Wing Extremism: वामपंथी हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के साथ विकास योजनाओं को भी प्राथमिकता दी जा रही है. इन इलाकों के विकास के लिए केंद्र कई योजना चला रहा है. साथ ही गृह मंत्रालय विशेष केंद्रीय सहायता योजना भी चला रहा है. इस योजना के तहत 3450 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

jharkhand News naxal encounter Left Wing Extremism: देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए वामपंथी उग्रवाद चुनौती और खतरा रहा है. वामपंथी उग्रवादी को देश के संविधान में कभी भरोसा नहीं रहा और वे हिंसा के जरिए सत्ता पर काबिज होने की कोशिश करते रहे. लेकिन सरकार के सख्त रवैये के कारण देश में पिछले कुछ सालो में वामपंथी उग्रवाद की हिंसा में कमी आयी है. पिछले 10 साल यानी वर्ष 2004 से 2014 तक देश में वामपंथी उग्रवादी हिंसा के 16274 मामले सामने आए, लेकिन वर्ष 2014 से 2024 के दौरान हिंसा की घटना कम होकर 7696 हो गयी. यानि इस दौरान वामपंथी उग्रवाद की हिंसा में 53 फीसदी की कमी दर्ज की गयी. अगर सुरक्षा बलों के जवानों के इस हिंसा में मारे में जाने के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2004-2014 के दौरान 1824 जवानों को जान गंवानी पड़ी, जबकि 2014-24 के दौरान इस हिंसा में जान गंवाने वाले जवानों की संख्या घटकर 509 हो गयी. यूपीए सरकार के मुकाबले एनडीए सरकार के दौरान सुरक्षा बलों के मौत की संख्या में 73 फीसदी की कमी दर्ज की गयी है. यही नहीं यूपीए सरकार के दौरान वामपंथी हिंसा में जान गंवाने वाले आम नागरिकों की संख्या 4744 थी, जो मौजूदा सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान कम होकर 1481 हो गयी है. लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी देते हुए कहा कि हिंसा में एक भी मौत को सही नहीं ठहराया जा सकता है.

वामपंथी उग्रवाद वाले प्रभाव क्षेत्र में भी आयी है भारी कमी 
देश में पहले के मुकाबले वामपंथी हिंसा के क्षेत्र में भी कमी आयी है. वर्ष 2013 में 10 राज्य के 126 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित थे, जबकि अप्रैल 2024 तक 9 राज्य के सिर्फ  38 जिले उग्रवाद से पाए गए. वर्ष 2010 में 96 जिलों के 465 थाने उग्रवादी हिंसा से प्रभावित थे, जबकि वर्ष 2023 में 42 जिलों के सिर्फ 171 थाने में हिंसा का प्रभाव देखा गया है. वर्ष 2024 के 6 महीने में 166 वामपंथी उग्रवादी मारे गये और 600 से अधिक उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है. मोदी सरकार के प्रयासों से आने वाले समय में देश पूरी तरह वामपंथी उग्रवाद से मुक्त हो जाएगा. 

विकास को भी दी जा रही है प्राथमिकता वामपंथी हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के साथ विकास योजनाओं को भी प्राथमिकता दी जा रही है. इन इलाकों के विकास के लिए केंद्र कई योजना चला रहा है. कई मंत्रालय की योजना के साथ गृह मंत्रालय की विशेष केंद्रीय सहायता योजना चला रहा है. इस योजना के तहत 3450 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. हिंसा प्रभावित क्षेत्र में दो तरह की सड़क योजना, सड़क आवश्यकता योजना और सड़क संपर्क परियोजना चलायी जा रही है. इन क्षेत्रों में 12230 करोड़ रुपये की लागत से सड़क परियोजना का काम चल रहा है. इसके तहत 12228 किलोमीटर सड़क और 700 पुल के निर्माण को मंजूरी दी गयी है. साथ ही 10449 मोबाइल टावर लगाने की योजना को मंजूरी दी गयी है, जिसमें 5139 टावर चालू हो चुका है. केंद्रीय, नवोदय विद्यालय की स्थापना के साथ ही कौशल विकास को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है. बैंक, पोस्ट ऑफिस और एटीएम को भी इन इलाकों में शुरू किया गया है.