5 और चीतों को छोड़ा जाएगा खुले जंगल में – फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए एक और चीते की मौत हो गई है। अब तक तीन चीतों की मौत हो चुकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तीसरे चीते की मौत कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े में आपसी लड़ाई में हुई है। इससे पहले दो चीते मारे गए थे, उनमें से एक की मौत किडनी के इंफेक्शन की वजह से हुई थी और दूसरे चीते की मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई थी।
वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक नौ मई को सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क में छोड़ी गई मादा चीता दक्षा को मॉनिटरिंग दल ने घायल पाया था। पशु चिकित्सकों ने उसका उपचार किया। दोपहर 12ः00 बजे दक्षा चीता की मृत्यु हो गई। दक्षा बाडा क्रमांक एक में छोड़ी गई थी तथा समीप के बोमा क्रमांक सात में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीता वायु तथा अग्नि को छोड़ा गया था।
विशेषज्ञ टीम ने दी थी साथ रखने की सलाह
30 अप्रैल को कूनो में एक बैठक हुई थी। इसमें नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के आईजी डॉ. अमित मल्लिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान के डॉ. कमर कुरैशी, दक्षिण अफ्रीका से आए प्रो. एड्रियन टोर्डिफ तथा दक्षिण अफ्रीका से आये चीता मेटा पापुलेशन इनिशियटिव के विन्सेंट वेन डार शामिल हुए थे। इस बैठक में ही तय हुआ था कि बाड़ा क्रमांक सात में मौजूद दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों अग्नि तथा वायु को मादा चीता दक्षा के साथ रखा जाए। इसके बाद बाड़ा क्रमांक सात और एक के बीच का गेट एक मई को खोला गया था। छह मई को एक नर चीता दीक्षा चीता के बाड़े में दाखिल हुआ था।
नर चीते के हमले के मिले संकेत
विशेषज्ञों का कहना है कि मादा चीता दक्षा पर जो घाव पाए गए हैं, वह पहली नजर में चीते का हमला प्रतीत हो रहे हैं। दरअसल, मेटिंग के दौरान चीतों के बीच हिंसक व्यवहार सामान्य है। ऐसी स्थिति में निगरानी टीम की ओर से हस्तक्षेप की संभावना लगभग न के बराबर होती है। नियमानुसार मादा चीता का पोस्टमॉर्टम विशेषज्ञों की टीम कर रही है।
पांच और चीतों को जल्द ही खुले जंगल में छोड़ा जाएगा
कूनो के अधिकारियों से चर्चा के बाद तय किया गया है कि पांच और चीतों (तीन मादा और दो नर) को जल्द ही खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। जून में मानसून की बारिश शुरू होने से पहले यह किया जाएगा। जिन चीतों को छोड़ा जाना है, उनका चयन उनके व्यक्तिगत परीक्षण के बाद होगा कि वह किस तरह से नए माहौल में घुल-मिल रहे हैं। इन चीतों की निगरानी भी वैसे ही होगी, जैसे पहले छोड़े गए चीतों की हो रही है।
अब तक तीन चीतों की मौत
दक्षा से पहले दो चीतों- साशा और उदय की मौत हो चुकी है। नामीबिया से लाई गई साशा चीता को किडनी की बीमारी थी। दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीता उदय की 23 अप्रैल को मौत हो गई थी। ब्लड रिपोर्ट कहती है कि उसकी मौत किसी संक्रामक रोग की वजह से नहीं हुई। इस वजह से अन्य चीतों में बीमारी फैलने की आशंका नहीं है। दक्षा की मौत के साथ अब तक तीन चीतों की मौत हो चुकी है। इससे कूनो में चीतों की संख्या घटकर 21 रह गई है। नामीबिया से आठ चीते आए थे और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते। इनमें से तीन की मौत हो चुकी है। वहीं, सियाया चीता ने मार्च में चार शावकों को जन्म दिया था। इन्हें फिलहाल बाड़े में ही रखा जाएगा। मानसून खत्म होने के बाद सितंबर में समीक्षा होगी और उसके बाद अन्य चीतों को खुले जंगल में छोड़ने का फैसला होगा। चीता कंजर्वेशन एक्शन प्लान के तहत गांधीसागर और अन्य इलाकों में इन्हें भेजने का फैसला होगा।
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