khandwa-news:-लाउडस्पीकर-विवाद,-खंडवा-कलेक्टर-और-इंदौर-कमिश्नर-को-हाईकोर्ट-की-अवमानना-का-नोटिस,-जानें-मामला
लाउडस्पीकर विवाद में हाईकोर्ट ने जारी किया अवमानना नोटिस। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव की सरकार बनते ही उनके लिए सबसे पहले फैसले के बाद से शुरू हुआ लाउडस्पीकर विवाद, अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को इस मामले में नया मोड़ आ गया। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में जिला कलेक्टर खंडवा सहित इंदौर कमिश्नर को हाईकोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया है। यही नहीं इस दौरान हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने इस मामले में कड़ी नाराजगी जताते हुए की गई तल्ख टिप्पणी में कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों ने न्यायालय के आदेश का पालन नहीं की, जिसके चलते यह अवमानना का मामला बनता है। बता दें कि प्रदेश के कई जिलों के धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर को प्रशासन ने अचानक दिए मौखिक आदेश से हटवा दिया था। इसके बाद इसको लेकर प्रदेश के इंदौर, भोपाल सहित खंडवा जिलों से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इनमें से खंडवा की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के उपयोग को लेकर पुलिस एवं प्रशासनिक अमले के द्वारा की गई कार्रवाई के मामले में जिला कलेक्टर खंडवा और कमिश्नर इंदौर के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किए हैं। दरअसल प्रदेश भर से लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई किए जाने के बाद, प्रदेश के कई जिलों से इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस दौरान प्रदेश के खंडवा जिले के दो याचिका कर्ताओं की ओर से दायर याचिका में मांग की गई थी कि उन्हें नियमानुसार धर्म स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने दिया था 30 दिन के भीतर निर्णय लेने का आदेश इस मामले में सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने पाया था कि लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई में निर्देशों एवं कोलाहल नियंत्रण अधिनियम का पालन नहीं किया गया है। इसके बाद कानून का पालन करते हुए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल करने की विधिवत अनुमति दिए जाने के हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे। इसको लेकर हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने जिला कलेक्टर खंडवा सहित इंदौर कमिश्नर को 30 दिन के भीतर याचिका कर्ताओं की अपील सुनकर उस पर निर्णय लेने का आदेश दिया था। हालांकि करीब 50 दिन से अधिक गुजरने के बावजूद अब तक प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा इस पर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया। इसको लेकर एक बार फिर से खंडवा के याचिका कर्ताओं के द्वारा हाई कोर्ट में अवमानना से जुड़ी याचिका दायर की गई थी। विधि विरुद्ध हटाए गए धर्म स्थलों से लाउडस्पीकर इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आर्यन उरमलिया ने पैरवी की थी। उन्होंने न्यायालय के समक्ष तर्क रखा कि प्रशासन द्वारा न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी की गई है और धार्मिक स्थलों पर विधि के विरुद्ध बिना किसी पूर्व सूचना के लाउडस्पीकर हटाए गए हैं। यही नहीं उन्होंने कोर्ट के सामने तर्क दिया कि प्रशासनिक अधिकारियों की इस लापरवाही से न्यायालय की गरिमा को भी ठेस पहुंची है। इसके बाद हाई कोर्ट ने जिला कलेक्टर खंडवा सहित इंदौर कमिश्नर को कोर्ट की अवमानना से जुड़े नोटिस जारी किए हैं।

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लाउडस्पीकर विवाद में हाईकोर्ट ने जारी किया अवमानना नोटिस। – फोटो : अमर उजाला

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मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव की सरकार बनते ही उनके लिए सबसे पहले फैसले के बाद से शुरू हुआ लाउडस्पीकर विवाद, अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को इस मामले में नया मोड़ आ गया। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में जिला कलेक्टर खंडवा सहित इंदौर कमिश्नर को हाईकोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया है। यही नहीं इस दौरान हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने इस मामले में कड़ी नाराजगी जताते हुए की गई तल्ख टिप्पणी में कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों ने न्यायालय के आदेश का पालन नहीं की, जिसके चलते यह अवमानना का मामला बनता है।

बता दें कि प्रदेश के कई जिलों के धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर को प्रशासन ने अचानक दिए मौखिक आदेश से हटवा दिया था। इसके बाद इसको लेकर प्रदेश के इंदौर, भोपाल सहित खंडवा जिलों से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इनमें से खंडवा की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के उपयोग को लेकर पुलिस एवं प्रशासनिक अमले के द्वारा की गई कार्रवाई के मामले में जिला कलेक्टर खंडवा और कमिश्नर इंदौर के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किए हैं। दरअसल प्रदेश भर से लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई किए जाने के बाद, प्रदेश के कई जिलों से इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस दौरान प्रदेश के खंडवा जिले के दो याचिका कर्ताओं की ओर से दायर याचिका में मांग की गई थी कि उन्हें नियमानुसार धर्म स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए।

कोर्ट ने दिया था 30 दिन के भीतर निर्णय लेने का आदेश
इस मामले में सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने पाया था कि लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई में निर्देशों एवं कोलाहल नियंत्रण अधिनियम का पालन नहीं किया गया है। इसके बाद कानून का पालन करते हुए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल करने की विधिवत अनुमति दिए जाने के हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे। इसको लेकर हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने जिला कलेक्टर खंडवा सहित इंदौर कमिश्नर को 30 दिन के भीतर याचिका कर्ताओं की अपील सुनकर उस पर निर्णय लेने का आदेश दिया था। हालांकि करीब 50 दिन से अधिक गुजरने के बावजूद अब तक प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा इस पर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया। इसको लेकर एक बार फिर से खंडवा के याचिका कर्ताओं के द्वारा हाई कोर्ट में अवमानना से जुड़ी याचिका दायर की गई थी।

विधि विरुद्ध हटाए गए धर्म स्थलों से लाउडस्पीकर
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आर्यन उरमलिया ने पैरवी की थी। उन्होंने न्यायालय के समक्ष तर्क रखा कि प्रशासन द्वारा न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी की गई है और धार्मिक स्थलों पर विधि के विरुद्ध बिना किसी पूर्व सूचना के लाउडस्पीकर हटाए गए हैं। यही नहीं उन्होंने कोर्ट के सामने तर्क दिया कि प्रशासनिक अधिकारियों की इस लापरवाही से न्यायालय की गरिमा को भी ठेस पहुंची है। इसके बाद हाई कोर्ट ने जिला कलेक्टर खंडवा सहित इंदौर कमिश्नर को कोर्ट की अवमानना से जुड़े नोटिस जारी किए हैं।

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