kailash-mansarovar-:-इस-बार-भी-कैलाश-में-भगवान-शिव-रह-जाएंगे-'प्यासे',-वजह-चीन
Sawan 2024/ Kailash Mansarovar : सावन का महीना शुरू होने वाला है. लोग अपने भगवान पर जल चढ़ाने शिवालयों में जाएंगे. कैलाश मानसरोवर में भी भगवान शिव विराजमान हैं, लेकिन भारतीयों के लिए यहां की यात्रा साल 2020 से लगातार पांचवें साल भी बंद है. यहां पहुंचने के दो आधिकारिक रास्ते हैं और दोनों ही बंद पड़े हैं. नेपाल के रास्ते पिछले साल चीन ने खोले लेकिन लेकिन उसकी चालाकी यहां भी दिखाई दी. दरअसल, कड़े नियमों की बात की गई जिस वजह से भारतीयों के लिए व्यावहारिक रूप से यह रास्ता भी बंद है. महामारी कोरोना को यात्रा बंद होने का कारण बताया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता कुछ अलग है. 2020 से भारत-चीन सीमा तनाव के बाद से यह चीन की एक रणनीति है जिसकी वजह से भारत के लोग अपने अराध्य के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. अब लोगों को कैलाश मानसरोवर जाने के लिए इंतजार करना होगा. जब चीन की सहमति होगी तो भारत के लोग वहां पहुंच सकेंगे. नेपाल के रास्ते छूट महज दिखावा कैलाश यात्रा 3 अलग-अलग राजमार्ग से होती है लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) दूसरा- नाथू दर्रा (सिक्किम) काठमांडू उपरोक्त तीनों रास्तों पर कम से कम 14 और अधिकतम 21 दिन का वक्त लगता है. साल 2019 में 31 हजार भारतीय कैलाश की यात्रा पर गए थे.

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Sawan 2024/ Kailash Mansarovar : सावन का महीना शुरू होने वाला है. लोग अपने भगवान पर जल चढ़ाने शिवालयों में जाएंगे. कैलाश मानसरोवर में भी भगवान शिव विराजमान हैं, लेकिन भारतीयों के लिए यहां की यात्रा साल 2020 से लगातार पांचवें साल भी बंद है. यहां पहुंचने के दो आधिकारिक रास्ते हैं और दोनों ही बंद पड़े हैं. नेपाल के रास्ते पिछले साल चीन ने खोले लेकिन लेकिन उसकी चालाकी यहां भी दिखाई दी. दरअसल, कड़े नियमों की बात की गई जिस वजह से भारतीयों के लिए व्यावहारिक रूप से यह रास्ता भी बंद है.

महामारी कोरोना को यात्रा बंद होने का कारण बताया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता कुछ अलग है. 2020 से भारत-चीन सीमा तनाव के बाद से यह चीन की एक रणनीति है जिसकी वजह से भारत के लोग अपने अराध्य के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. अब लोगों को कैलाश मानसरोवर जाने के लिए इंतजार करना होगा. जब चीन की सहमति होगी तो भारत के लोग वहां पहुंच सकेंगे.

नेपाल के रास्ते छूट महज दिखावा कैलाश यात्रा 3 अलग-अलग राजमार्ग से होती है लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) दूसरा- नाथू दर्रा (सिक्किम) काठमांडू उपरोक्त तीनों रास्तों पर कम से कम 14 और अधिकतम 21 दिन का वक्त लगता है. साल 2019 में 31 हजार भारतीय कैलाश की यात्रा पर गए थे.