jagannath-temple-ratna-bhandar:-क्या-सच-में-खजाने-की-रखवाली-कर-रहे-थे-सांप?
Jagannath Temple Ratna Bhandar: ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद फिर से खोला गया. इसके बाद लोग ये जानने को उत्सुक दिख रहे हैं कि आखिर यहां से निकला क्या? इस बीच यह आशंका जताई गई थी कि खजाने के अंदर सांप हैं. तो क्या सांप निकला ? भक्तों का मानना ​​था कि सांप कीमती सामान की रखवाली कर रहे हैं, यहीं वजह थी कि सांप पकड़ने वालों को बुलाया गया था, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि कोई सांप नहीं मिला. सूची बनाने का काम अबतक शुरू नहीं हो सका आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए रत्न भंडार को खोला गया. इसके पहले 1978 में इसे खोला गया था. राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्यों ने दोपहर करीब 12 बजे मंदिर में इंट्री ली. अनुष्ठान करने के बाद रत्न भंडार को दोपहर 1.28 बजे शुभ मुहूर्त पर फिर से खोला गया. रत्न भंडार की चीजों की सूची बनाने का काम अबतक शुरू नहीं हो सका है. रत्न भंडार को खोलते वक्त मौजूद थे 11 लोग मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीन ताले तोड़ दिए गए एसओपी के अनुसार सभी काम किए गए. पहले रत्न भंडार के बाहरी कक्ष को खोला गया. वहां रखे सभी आभूषणों और कीमती सामान को मंदिर के अंदर अस्थायी ‘स्ट्रॉन्ग रूम’ में ट्रांसफर किया गया. स्ट्रॉन्ग रूम को सील कर दिया गया है. अधिकृत व्यक्ति खजाने के आंतरिक कक्ष में दाखिल हुए, जहां तीन ताले थे. जिला प्रशासन के पास उपलब्ध चाबी से कोई भी ताला नहीं खोला जा सकता था. इसलिए, एसओपी के अनुसार, मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीन ताले तोड़ दिए गए. फिर आंतरिक कक्ष में सभी दाखिल हुए. अलमारियों और संदूकों में रखे कीमती सामान का निरीक्षण किया गया.

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Jagannath Temple Ratna Bhandar: ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद फिर से खोला गया. इसके बाद लोग ये जानने को उत्सुक दिख रहे हैं कि आखिर यहां से निकला क्या? इस बीच यह आशंका जताई गई थी कि खजाने के अंदर सांप हैं. तो क्या सांप निकला ? भक्तों का मानना ​​था कि सांप कीमती सामान की रखवाली कर रहे हैं, यहीं वजह थी कि सांप पकड़ने वालों को बुलाया गया था, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि कोई सांप नहीं मिला.

सूची बनाने का काम अबतक शुरू नहीं हो सका आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए रत्न भंडार को खोला गया. इसके पहले 1978 में इसे खोला गया था. राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्यों ने दोपहर करीब 12 बजे मंदिर में इंट्री ली. अनुष्ठान करने के बाद रत्न भंडार को दोपहर 1.28 बजे शुभ मुहूर्त पर फिर से खोला गया. रत्न भंडार की चीजों की सूची बनाने का काम अबतक शुरू नहीं हो सका है.

रत्न भंडार को खोलते वक्त मौजूद थे 11 लोग मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीन ताले तोड़ दिए गए एसओपी के अनुसार सभी काम किए गए. पहले रत्न भंडार के बाहरी कक्ष को खोला गया. वहां रखे सभी आभूषणों और कीमती सामान को मंदिर के अंदर अस्थायी ‘स्ट्रॉन्ग रूम’ में ट्रांसफर किया गया. स्ट्रॉन्ग रूम को सील कर दिया गया है. अधिकृत व्यक्ति खजाने के आंतरिक कक्ष में दाखिल हुए, जहां तीन ताले थे. जिला प्रशासन के पास उपलब्ध चाबी से कोई भी ताला नहीं खोला जा सकता था. इसलिए, एसओपी के अनुसार, मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीन ताले तोड़ दिए गए. फिर आंतरिक कक्ष में सभी दाखिल हुए. अलमारियों और संदूकों में रखे कीमती सामान का निरीक्षण किया गया.