न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Fri, 04 Aug 2023 08: 25 AM IST
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2020 में होमगार्ड विभाग ने बाध्य कॉल ऑफ का आदेश जारी किया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने विभाग के आदेश पर स्टे लगाया। जब विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना याचिकाएं प्रस्तुत की गईं। सुनवाई के बाद न्यायालय ने रोक के निर्देश दिए। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो) – फोटो : अमर उजाला
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से होमगार्डस सैनिकों को राहत मिली है। जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की अदालत ने होमगार्ड्स की ड्यूटी में दो माह का कॉल ऑफ देने पर अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायालय ने याचिका को पूर्व से लंबित मामलों के साथ लिंक करते हुए राज्य शासन, डीजी होमगार्ड व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश भी दिए।
छिंदवाड़ा होमगार्ड्स में पदस्थ आनंद सूर्यवंशी और भानू मिंटो की ओर से दायर मामले में सरकार द्वारा 13 सितंबर 2022 को होमगार्ड रूल्स 2016 में किए गए संशोधन को चुनौती दी है। जिसमें कहा गया कि संशोधन के जरिए एक साल में दो माह के कॉल ऑफ को बदलकर तीन साल में दो माह का कॉल ऑफ कर दिया गया। जबकि 2010 में होमगार्ड्स कर्मचारियों द्वारा हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा याचिका दायर कर नियमितीकरण, आरक्षकों के समान वेतन, पूरे वर्ष कार्य प्रदान करने एवं अन्य अनुतोष की प्रार्थना की गई थी। 2011 में हाईकोर्ट द्वारा आंशिक रूप से स्वीकार कर मध्यप्रदेश शासन को आदेशित किया था कि वे होमगार्ड्स की सेवा नियम बनाये एवं उन्हें पूरे वर्ष कार्य पर रखा जाए। इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखा। इसके बाद सरकार ने 2016 में नियम बनाये और आदेश के विपरीत पुन: एक वर्ष में दो माह का बाध्य कॉल ऑफ का प्रावधान रख दिया। इसे लेकर कई याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित हैं। 2020 में होमगार्ड विभाग द्वारा बाध्य कॉल ऑफ का आदेश जारी किया गया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने विभाग के आदेश पर स्टे कर दिया। जब विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना याचिकाएं प्रस्तुत की गईं। सुनवाई के बाद न्यायालय ने ये निर्देश दिए।
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