विस्तार Follow Us नर्सिंग कॉलेज घोटाले मामले में कोर्ट ने निजी विश्वविद्यालयों को फटकार लगाई है। निजी विश्वविद्यालयों की ओर से कोर्ट में आवेदन पेश करने पर आपत्ति ली गई थी। इस पर कोर्ट ने कहा है कि पेश किए गए आवेदनों पर कोर्ट को निर्णय लेना है। बता दें कि नर्सिंग कॉलेज घोटाले मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता निजी विश्वविद्यालय की तरफ से कहा गया कि मुख्य याचिकाकर्ता लगातार आवेदन पर आवेदन पेश करते हैं। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने उनकी मौखिक आपत्ति को दरकिनार करते हुए कहा कि पेश किए जाने वाले आवेदन पर कोर्ट को निर्णय लेना है। युगलपीठ ने महाधिवक्ता की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई स्थगित कर दी। गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को संचालन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के आदेश सीबीआई को दिए थे। सीबीआई की तरफ से पेश रिपोर्ट में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 56 कॉलेजों की जांच पर स्थगन आदेश जारी किए हैं। प्रदेश में संचालित 169 नर्सिंग कालेज पात्र पाए गए हैं। जबकि 74 नर्सिंग कालेज ऐसे पाए गए जो मानकों को पूरा नहीं करते हैं, किंतु उनमें ऐसी अनियमितताएं हैं जिन्हें सुधारा जा सकता है तथा 65 कॉलेज आयोग्य पाए गए है। युगलपीठ ने अपने आदेश में मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों की खामियां दूर करने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस आरके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। रिपोर्ट के आधार पर खामियां दूर नहीं करने वाले कॉलेजों पर राज्य सरकार कार्यवाही करेगी। हाईकोर्ट ने कॉलेजों को मान्यता देने के लिए निरीक्षण करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा के निर्देश भी कमेटी को दिए थे। पूर्व में हुई याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पात्र पाए गए कॉलेज की पुनः जांच न्यायिक अधिकारियों की उपस्थिति में करने के आदेश सीबीआई को जारी किए थे। इसके अलावा मानकों में खरे नहीं उतरने वाले तथा अपात्र कॉलेज के छात्रों को परीक्षा में शामिल करने के आदेश जारी किए थे। याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। अगली सुनवाई 13 अगस्त को निर्धारित की है।

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नर्सिंग कॉलेज घोटाले मामले में कोर्ट ने निजी विश्वविद्यालयों को फटकार लगाई है। निजी विश्वविद्यालयों की ओर से कोर्ट में आवेदन पेश करने पर आपत्ति ली गई थी। इस पर कोर्ट ने कहा है कि पेश किए गए आवेदनों पर कोर्ट को निर्णय लेना है।

बता दें कि नर्सिंग कॉलेज घोटाले मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता निजी विश्वविद्यालय की तरफ से कहा गया कि मुख्य याचिकाकर्ता लगातार आवेदन पर आवेदन पेश करते हैं। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने उनकी मौखिक आपत्ति को दरकिनार करते हुए कहा कि पेश किए जाने वाले आवेदन पर कोर्ट को निर्णय लेना है। युगलपीठ ने महाधिवक्ता की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई स्थगित कर दी।

गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को संचालन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के आदेश सीबीआई को दिए थे। सीबीआई की तरफ से पेश रिपोर्ट में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 56 कॉलेजों की जांच पर स्थगन आदेश जारी किए हैं। प्रदेश में संचालित 169 नर्सिंग कालेज पात्र पाए गए हैं। जबकि 74 नर्सिंग कालेज ऐसे पाए गए जो मानकों को पूरा नहीं करते हैं, किंतु उनमें ऐसी अनियमितताएं हैं जिन्हें सुधारा जा सकता है तथा 65 कॉलेज आयोग्य पाए गए है।

युगलपीठ ने अपने आदेश में मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों की खामियां दूर करने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस आरके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। रिपोर्ट के आधार पर खामियां दूर नहीं करने वाले कॉलेजों पर राज्य सरकार कार्यवाही करेगी। हाईकोर्ट ने कॉलेजों को मान्यता देने के लिए निरीक्षण करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा के निर्देश भी कमेटी को दिए थे।

पूर्व में हुई याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पात्र पाए गए कॉलेज की पुनः जांच न्यायिक अधिकारियों की उपस्थिति में करने के आदेश सीबीआई को जारी किए थे। इसके अलावा मानकों में खरे नहीं उतरने वाले तथा अपात्र कॉलेज के छात्रों को परीक्षा में शामिल करने के आदेश जारी किए थे। याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। अगली सुनवाई 13 अगस्त को निर्धारित की है।

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