न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Fri, 02 Aug 2024 06: 47 PM IST
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि जब विवादित संपत्ति को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत प्राचीन और संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया जाता है तो इसे वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला एसआई के पक्ष में दिया है। high court
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मध्य प्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट ने संरक्षित स्मारक को वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं माना। जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के सीईओ के 2013 में जारी उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बेगम बिलकिस के मकबरे समेत बुरहानपुर शहर में स्थित तीन प्राचीन स्मारकों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित किया गया था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि जब विवादित संपत्ति को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत प्राचीन और संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया जाता है तो इसे वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता। बुरहानपुर किले के भीतर तीन विवादित स्थल – शाह शुजा स्मारक जिसमें मुगल सम्राट शाहजहां के बेटे शाह शुजा की पत्नी बेगम बिलकिस की कब्र है, जिनकी प्रसव के दौरान हुई मौत के बाद बुरहानपुर में दफनाया गया था। नादिर शाह की कब्र जिसके बारे में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उसका नाम गलत है और वास्तव में वह फारूकी वंश के शासक की है। गुजरात के शासक सुल्तान मुजफ्फर शाह की बेटी रानी बेगम रोकैया द्वारा निर्मित बीबी साहेबा की मस्जिद या बीबी की मस्जिद प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 11 के अनुसार एएसआई आयुक्त के संरक्षण में है। याचिका में कहा गया था कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 की धारा 14 के तहत जब तक एएसआई संरक्षकता नहीं छोड़ी जाती, तब तक इसे वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता है।
एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा है कि विचाराधीन संपत्ति को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 1(1) और 3(1) के तहत पहले ही प्राचीन संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है। वक्फ बोर्ड के सीईओ ने याचिकाकर्ता को इसे खाली करने का निर्देश देकर एक वास्तविक अवैधता की है। संपत्ति को प्राचीन संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने के बाद यह एएसआई आयुक्त के संरक्षकता के अधीन आ जाती है। इसे प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 की धारा 14 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही उनके संरक्षकता से मुक्त किया जा सकता है। रिकॉर्ड के अनुसार आयुक्त ने विवादित संपत्ति पर कभी भी अपना संरक्षकता नहीं छोडी है। एकलपीठ ने संपत्ति के संबंध में सीईओ वक्फ बोर्ड द्वारा जारी आदेश को निरस्त कर दिया।
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