jabalpur-news:-पटवारी-भर्ती-के-संबंध-में-सरकार-पेश-करे-जवाब,-obc-आरक्षण-को-लेकर-कोर्ट-में-दी-गई-थी-चुनौती
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर - फोटो : Social Media विस्तार Follow Us पटवारी चयन परीक्षा 2022 में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि परीक्षा विवादित है। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी ने 11 अगस्त तक सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश जारी किए हैं। जबलपुर विजय नगर निवासी शिवम शुक्ला की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। हाईकोर्ट ने कई याचिकाओं पर ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत दिये जाने पर स्थगन आदेश जारी किये थे। इसके बावजूद भी पटवारी चयन परीक्षा में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। याचिका की सुनवाई के दौरान ओबीसी, एसटी-एसटी संगठन की तरफ से इंटरविनर बनने आवेदन दायर किया गया था। याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि परीक्षा प्रक्रिया विवादों में है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद इंटरविनर आवेदन खारिज कर दिया। युगलपीठ ने तर्क दिया कि ओबीसी वर्ग के किसी अभियार्थी ने आवेदन दायर नहीं किया है। युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया है कि वह परीक्षा तथा चयन प्रक्रिया के संबंध में अपना जवाब पेश करे। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुल तिवारी तथा सरकार की तरफ से विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने पैरवी की।

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पटवारी चयन परीक्षा 2022 में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि परीक्षा विवादित है। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी ने 11 अगस्त तक सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश जारी किए हैं।

जबलपुर विजय नगर निवासी शिवम शुक्ला की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। हाईकोर्ट ने कई याचिकाओं पर ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत दिये जाने पर स्थगन आदेश जारी किये थे। इसके बावजूद भी पटवारी चयन परीक्षा में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।

याचिका की सुनवाई के दौरान ओबीसी, एसटी-एसटी संगठन की तरफ से इंटरविनर बनने आवेदन दायर किया गया था। याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि परीक्षा प्रक्रिया विवादों में है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद इंटरविनर आवेदन खारिज कर दिया।

युगलपीठ ने तर्क दिया कि ओबीसी वर्ग के किसी अभियार्थी ने आवेदन दायर नहीं किया है। युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया है कि वह परीक्षा तथा चयन प्रक्रिया के संबंध में अपना जवाब पेश करे। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुल तिवारी तथा सरकार की तरफ से विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने पैरवी की।

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