jabalpur-news:-अतिक्रमण-के-कारण-होती-है-श्रद्धालुओं-को-परेशानी,-मैहर-शारदा-मंदिर-मामले-में-नोटिस-जारी
जबलपुर हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us मैहर स्थित शारदा माता मंदिर मार्ग में अतिक्रमण के कारण श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए मंदिर प्रबंधन समिति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता हरिचरण सिंह बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि मैहर स्थित शादरा मंदिर परिसर में अवैध रूप से दुकानों का संचालन हो रहा है। मंदिर मार्ग में संचालित दुकानों को कारण श्रद्धालुओं को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके खिलाफ उन्होंने साल 2015 में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर को अतिक्रमण को हटाने के आदेश जारी किए थे। आदेश का पालन नहीं होने पर साल 2018 में अवमानना याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान कलेक्टर ने न्यायालय में हलफनामा पेश किया था कि एक महीने में अतिक्रमण को हटा दिया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि चार साल से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद भी अतिक्रमण को नहीं हटाया गया है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आशीष रावत ने पैरवी की।

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मैहर स्थित शारदा माता मंदिर मार्ग में अतिक्रमण के कारण श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए मंदिर प्रबंधन समिति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता हरिचरण सिंह बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि मैहर स्थित शादरा मंदिर परिसर में अवैध रूप से दुकानों का संचालन हो रहा है। मंदिर मार्ग में संचालित दुकानों को कारण श्रद्धालुओं को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके खिलाफ उन्होंने साल 2015 में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर को अतिक्रमण को हटाने के आदेश जारी किए थे।

आदेश का पालन नहीं होने पर साल 2018 में अवमानना याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान कलेक्टर ने न्यायालय में हलफनामा पेश किया था कि एक महीने में अतिक्रमण को हटा दिया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि चार साल से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद भी अतिक्रमण को नहीं हटाया गया है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आशीष रावत ने पैरवी की।

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