jabalpur-high-court:-हाईकोर्ट-ने-लगाई-20-हजार-की-कास्ट,-करदाता-को-परेशान-करने-पर-कोर्ट-सख्त
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर - फोटो : Social Media विस्तार Follow Us जबलपुर हाईकोर्ट में न्यायधीश शील नागू और न्यायाधीश एके सिंह की खंडपीठ ने वैट अधिनियम की धारा-37 (5) की व्याख्या करते हुए कहा, यदि किसी करदाता को किसी रकम की वापसी का आदेश दिया जाता है। यह रकम उसे 60 दिन के भीतर वापस नहीं दी जाती है तो करदाता ब्याज की राशि पाने की पात्रता रखता है।  न्यायालय ने व्यर्थ में समय बर्बाद किये जाने पर विभाग पर 20 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है। इसमें से 10 हजार याचिकाकर्ता को और 10 हजार लीगल सेल अथॉरिटी में जमा करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि यह मामला जबलपुर के मेसर्स ग्लोरी क्रिएशन्स के कन्हैयालाल अदनानी ने टैक्स रिफंड की राशि पर ब्याज के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा, शासन ने करदाता को व्यर्थ में अदालत तक आने के लिए बाध्य किया। युगलपीठ ने कहा कि इस मामले का निराकरण वाणिज्यिक विभाग स्वयं कर सकता था। लेकिन ऐसा नहीं होने से न्यायालय समय बर्बाद हुआ, जिसके लिए विभाग पर 20 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई।

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जबलपुर हाईकोर्ट में न्यायधीश शील नागू और न्यायाधीश एके सिंह की खंडपीठ ने वैट अधिनियम की धारा-37 (5) की व्याख्या करते हुए कहा, यदि किसी करदाता को किसी रकम की वापसी का आदेश दिया जाता है। यह रकम उसे 60 दिन के भीतर वापस नहीं दी जाती है तो करदाता ब्याज की राशि पाने की पात्रता रखता है। 

न्यायालय ने व्यर्थ में समय बर्बाद किये जाने पर विभाग पर 20 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है। इसमें से 10 हजार याचिकाकर्ता को और 10 हजार लीगल सेल अथॉरिटी में जमा करने के निर्देश दिए हैं।

बता दें कि यह मामला जबलपुर के मेसर्स ग्लोरी क्रिएशन्स के कन्हैयालाल अदनानी ने टैक्स रिफंड की राशि पर ब्याज के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा, शासन ने करदाता को व्यर्थ में अदालत तक आने के लिए बाध्य किया।

युगलपीठ ने कहा कि इस मामले का निराकरण वाणिज्यिक विभाग स्वयं कर सकता था। लेकिन ऐसा नहीं होने से न्यायालय समय बर्बाद हुआ, जिसके लिए विभाग पर 20 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई।

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