jabalpur-high-court:-ऑफलाइन-आरोप-पत्र-दाखिल-करना-पूर्वाग्रह-से-ग्रसित-नहीं,-हाईकोर्ट-ने-खारिज-की-अपील
जबलपुर हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us ऑफलाइन मोड से अंतिम चार्ज दायर किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। दायर अपील में कहा गया था कि अंतिम चार्जशीट थाना प्रभारी द्वारा पेश की जानी चाहिए थी। इसके विपरित विवेचना अधिकारी ने अंतिम चालन पेश किया। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि ऑफलाइन मोड से अंतिम चार्जशीट को पेश करना पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं माना जा सकता है। निलंबित आरक्षण अनुकूल मिश्रा की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि लोकायुक्त ने दस हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। न्यायालय में अंतिम चालन ऑफलाइन मोड से विवेचना अधिकारी द्वारा पेश किया गया। नियमानुसार सीसीटीएनएफ मोड से पेश किया जाना चाहिए था। इसके अलावा अंतिम चालन थाना प्रभारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए था। प्रावधानों का पालन नहीं किए जाने के कारण उसने दर्ज प्रकरण को खारिज करने के लिए विशेष न्यायाधीष लोकायुक्त के समक्ष आवेदन पेश किया था। न्यायालय द्वारा उसका आवेदन खारिज कर दिया गया था, जिसके कारण अपील दायर की गई है। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि लोकायुक्त विभाग ने विवेचना अधिकारी को चालन पेश करने अधिकार प्रदान किए थे। युगलपीठ ने आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया।

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ऑफलाइन मोड से अंतिम चार्ज दायर किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। दायर अपील में कहा गया था कि अंतिम चार्जशीट थाना प्रभारी द्वारा पेश की जानी चाहिए थी। इसके विपरित विवेचना अधिकारी ने अंतिम चालन पेश किया। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि ऑफलाइन मोड से अंतिम चार्जशीट को पेश करना पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं माना जा सकता है।

निलंबित आरक्षण अनुकूल मिश्रा की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि लोकायुक्त ने दस हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। न्यायालय में अंतिम चालन ऑफलाइन मोड से विवेचना अधिकारी द्वारा पेश किया गया। नियमानुसार सीसीटीएनएफ मोड से पेश किया जाना चाहिए था। इसके अलावा अंतिम चालन थाना प्रभारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए था।

प्रावधानों का पालन नहीं किए जाने के कारण उसने दर्ज प्रकरण को खारिज करने के लिए विशेष न्यायाधीष लोकायुक्त के समक्ष आवेदन पेश किया था। न्यायालय द्वारा उसका आवेदन खारिज कर दिया गया था, जिसके कारण अपील दायर की गई है। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि लोकायुक्त विभाग ने विवेचना अधिकारी को चालन पेश करने अधिकार प्रदान किए थे। युगलपीठ ने आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया।

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