न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: अरविंद कुमार Updated Tue, 01 Aug 2023 09: 51 PM IST
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सीहोर जिले के ग्राम मुगावली में विगत छह जून को तीन साल की मासूम सृष्टि खेलते समय खेत में खुले हुए बोरवेल के अंदर गिर गई थी। बच्ची बोलवेल में 40 फीट अंदर जाकर फंस गई थी। ऐसे में बोरवेल के संबंध में सरकार पॉलिसी तैयार कर रही है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर – फोटो : Social Media
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सीहोर जिले में विगत दिनों बोरबेल की घटना में तीन वर्षीय मासूम बच्ची की मौत के मामले को गंभीरता से लेते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के आदेश दिए थे। याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि बोरवेल के संबंध में सरकार पॉलिसी तैयार कर रही है, जिससे भविष्य में ऐसी हद्वय विदारक घटना न हो। सरकार की आग्रह पर युगलपीठ ने पॉलिसी तैयार करने के लिए चार सप्ताह का समय प्रदान किया है।
गौरतलब है कि सीहोर के ग्राम मुगावली में विगत छह जून को तीन साल की मासूम सृष्टि खेलते समय खेत में खुले हुए बोरवेल के अंदर गिर गई थी। बच्ची बोलवेल में 40 फीट अंदर जाकर फंस गई थी। उसे बचाने के लिए रोबोटिक विशेषज्ञों, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ कर्मियों की टीम ने रेस्क्यू आपरेशन प्रारंभ किया था। रेस्क्यू आपरेशन में इस्तेमाल की जा रही मशीनों के कंपन के कारण वह 100 फीट गहराई तक चली गई थी। रेस्क्यू आपरेशन लगभग 50 घंटे तक चला और उसे बेहोशी की हालत में बाहर निकाला गया। उसे उपचार के लिए ले जाया गया और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
संज्ञान याचिका में कहा गया था कि बच्चों को जिंदा दफन करने वाले किलर बोरवेल का जाल बन गया है। यह सूची काफी लंबी है। राजकुमार, माही, साई, नदीम, सीमा, फतेहवीर, रितेश और हाल ही में सृष्टि के साथ-साथ कई और खुशमिजाज प्यारे बच्चे की मौत बोरवेल में गिरने के कारण हुई है। कुछ को बचा लिया गया और कुछ इस गहरी, अंधेरी खाई में खो गए। बोरवेल दुर्घटनाएं हमारे समाज के लिए काली छाया है, जिससे निर्दोष लोगों की जान को गंभीर खतरा होता है। ऐसी घटनाओं से पूरे देश व परिवारों को असहनीय पीड़ा देती है। भूजल तक पहुंचने के लिए मूल्यवान संसाधन बोरवेल साइलेंट किलर बन गए हैं। बोरवेल में दुर्घटनाएं आमतौर पर लापरवाही, जागरुकता की कमी और अपर्याप्त सुरक्षा उपाय के कारण होती हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए छोटे बच्चों के बोरवेलों और नलकूपों में गिरने के कारण होने वाली घातक दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय करने सभी राज्यों को निर्देश जारी किए थे। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश तथा केंद्र व राज्य सरकारों के दिशा-निर्देशों के बावजूद कोई कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव तथा पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उक्त जानकारी पेश की गई।
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