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रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय व साईखेड़ा जिला छिंदवाड़ा के निजी संस्थान में नेशनल काउसिंल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च की अनुमति के बिना कृषि कोर्स संचालित किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई दौरान याचिकाकर्ता को निर्देशित किया है कि गैर कृषि कॉलेजों में कृषि पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के लिए सुविधाओं की कमी की जानकारी वे शपथ पत्र में पेश करें। इसके लिए युगलपीठ ने दो सप्ताह की मोहलत प्रदान की है।
उल्लेखनीय है कि यह मामला नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि रादुविवि तथा निजी संस्थान में कृषि कोर्स में प्रवेश के लिए आवश्यक प्री-एग्रीकल्चर टेस्ट में उत्तीर्ण हुए बगैर ही छात्रों को प्रवेश दिया जा रहा है। राज्य कृषि यूनिवर्सिटीज में प्रवेश के लिए यह परीक्षा पास करना अनिवार्य है। इस कारण छात्रों में भेदभाव निर्माण हो रहा है। आईसीएआर के अनुशंसाओं बगैर संचालित कृषि कोर्स से प्राप्त डिग्रियों की मान्यता पर सवालिया निशान खड़े हुए हैं, तो छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। जबलपुर तथा ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालयों के कोर्स को आईसीएआर के मापदण्ड परीक्षण बोर्ड द्वारा सर्टिफिकेट दिया गया है। जबलपुर के रादुविवि तथा निजी संस्थान के कृषि शिक्षण को आईसीएआर के मापदण्ड बोर्ड द्वारा सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त निर्देश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुरेन्द्र वर्मा पैरवी कर रहे हैं।
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