सतना कॉलेज में प्रोफेसर की नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। – फोटो : ANI
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रोस्टर प्रणाली को ताक में रखकर बाहरी व्यक्ति को शासकीय मेडिकल कॉलेज सतना में नियुक्ति दिए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि चयनित उम्मीदवार जॉइनिंग कर सके, इसके लिए दूसरे कट ऑफ लिस्ट जारी करने की तिथि को आगे बढ़ा दिया गया। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता डॉ. मंजुलता शाक्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह शासकीय मेडिकल कॉलेज सतना में साल 2019 से असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति हुई थी। इसके बाद उसे एसोसिएट प्रोफेसर पद पर पदोन्नति प्रदान की गई। अस्पताल प्रबंधन द्वारा साल 2023 में प्रोफेसर पद के लिए नियुक्ति निकाली गई। इसके लिए याचिकाकर्ता तथा अनावेदक डॉ. बीना कुशवाह ने आवेदन किया था। अनावेदक का चयन सूची में तथा याचिकाकर्ता का प्रतिक्षा सूची में प्रथम स्थान था। याचिका में कहा गया था कि अनावेदक उक्त मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत नहीं थी। अस्पताल में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत होने के कारण सरकार की रोस्टर प्रणाली के तहत बाहरी व्यक्ति अपेक्षा उसे वरीयता दी जानी चाहिए थी।
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने एकलपीठ को बताया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा दूसरी कट ऑफ लिस्ट 7 जून 2023 को जारी करनी थी। चेहते उम्मीदवार को उपकृत करने के लिए दूसरी कट ऑफ लिस्ट की तिथि बढ़ाकर 28 जून 2023 कर दी गई। जिससे चयनित बाहरी उम्मीदवार 26 जून को पदभार ग्रहण कर सके। नियुक्ति प्रक्रिया में पूरी तरह से नियमों का उल्लंघन किया गया है, जो भ्रष्टाचार के पक्षपात को दिखा रहा है। याचिका में प्रमुख सचिव तथा संचालक स्वास्थ्य विभाग, आयुक्त लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण तथा डॉ. बीना कुशवाह को अनावेदक बनाया गया था।
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