कोर्ट परिसर। – फोटो : Amar Ujala Digital
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पटवारी चयन परीक्षा 2022 में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि पटवारी चयन परीक्षा में हुई गड़बड़ी की न्यायिक जांच हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जा रही है। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी ने अगली सुनवाई तक नियुक्ति नहीं करने के आदेश जारी किए हैं।
जबलपुर विजय नगर निवासी शिवम शुक्ला की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने कई याचिकाओं पर ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत दिये जाने पर स्थगन आदेश जारी किये थे। इसके बावजूद भी पटवारी सहित अन्य परीक्षा के लिए दिसम्बर में जारी किये गये विज्ञापन में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का उल्लेख किया गया है। पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया है कि वह परीक्षा तथा चयन प्रक्रिया के संबंध में अपना पक्ष प्रस्तुत करें। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उक्त जानकारी पेश की गयी।
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि सिर्फ पटवारी चयन परीक्षा ही नहीं अन्य परीक्षों में भी ओबीसी वर्ग को अवैधानिक रूप से 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने बताया कि युगलपीठ ने चयन प्रक्रिया में हस्ताक्षेप से इंकार करते हुए अगली सुनवाई तक नियुक्ति प्रदान नहीं करने के आदेश जारी किए हैं। याचिका पर अगली सुनवाई 17 अगस्त को निर्धारित की गई है।
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