jabalpur:-दिमाग-का-उपयोग-किए-बिना-जारी-किया-जिला-बदर-का-आदेश,-हाईकोर्ट-ने-तल्ख-टिप्पणी-के-साथ-खारिज-किया
जबलपुर हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us जिला बदर के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने पाया कि जिला कलेक्टर ने बिना किसी गवाह को बुलाए सिर्फ पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन पर आदेश जारी किए हैं। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि आदेश पारित करने में दिमाग का उपयोग नहीं किया गया है। एकलपीठ ने तल्ख टिप्पणी के साथ जिला बदर के आदेश को निरस्त कर दिया। बता दें कि कटनी निवासी हरिभाग सिंह की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि पुलिस के प्रतिवेदन के आधार पर जिला कलेक्टर ने मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत उसके खिलाफ तीन सितंबर 2022 को जिला बदर का आदेश जारी किए थे, जिसके खिलाफ उसने संभागायुक्त के समक्ष अपील दायर की थी। संभागायुक्त ने 30 दिसंबर 2022 में उसकी अपील खारिज कर दी, जिसके कारण याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि अधिनियम की धारा-5बी में सुनवाई के दौरान गवाह को सुना जाना आवश्यक है। बिना किसी गवाह को बुलाए उसके खिलाफ आदेश जारी किए गए हैं। एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ अंतिम अपराध मई 2022 में दर्ज हुआ था। प्रत्येक पखवाड़े में थाने में उपस्थिति के आदेश का पालन भी उसके द्वारा नहीं किया गया था। जिला कलेक्टर ने अधिनियम में दिए गए प्रावधानों का पालन नहीं करते हुए सिर्फ पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन के आधार पर आदेश जारी किए हैं।

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जिला बदर के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने पाया कि जिला कलेक्टर ने बिना किसी गवाह को बुलाए सिर्फ पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन पर आदेश जारी किए हैं। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि आदेश पारित करने में दिमाग का उपयोग नहीं किया गया है। एकलपीठ ने तल्ख टिप्पणी के साथ जिला बदर के आदेश को निरस्त कर दिया।

बता दें कि कटनी निवासी हरिभाग सिंह की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि पुलिस के प्रतिवेदन के आधार पर जिला कलेक्टर ने मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत उसके खिलाफ तीन सितंबर 2022 को जिला बदर का आदेश जारी किए थे, जिसके खिलाफ उसने संभागायुक्त के समक्ष अपील दायर की थी। संभागायुक्त ने 30 दिसंबर 2022 में उसकी अपील खारिज कर दी, जिसके कारण याचिका दायर की गई है।

याचिका में कहा गया है कि अधिनियम की धारा-5बी में सुनवाई के दौरान गवाह को सुना जाना आवश्यक है। बिना किसी गवाह को बुलाए उसके खिलाफ आदेश जारी किए गए हैं। एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ अंतिम अपराध मई 2022 में दर्ज हुआ था। प्रत्येक पखवाड़े में थाने में उपस्थिति के आदेश का पालन भी उसके द्वारा नहीं किया गया था। जिला कलेक्टर ने अधिनियम में दिए गए प्रावधानों का पालन नहीं करते हुए सिर्फ पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन के आधार पर आदेश जारी किए हैं।

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