jabalpur:-गैर-कृषि-विवि-कॉलेजों-में-कृषि-पाठ्यक्रम-शुरू-करने-के-आदेश-पर-लगे-रोक,-हाईकोर्ट-में-लगाई-याचिका
दायर मामले में कहा गया कि ऐसे कॉलेजों में कृषि पाठ्यक्रम शुरू किया गया है, जहां आईसीएमआर की संबद्धता नहीं और न ही स्टाफ और पर्याप्त भूमि है। इतना ही नहीं वे भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन भी नहीं करते।  सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Freepik विस्तार Follow Us मप्र उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 20 जून 2024 को गैर कृषि विश्वविद्यालय व कॉलेज में कृषि पाठ्यक्रम शुरू करने के आदेश पर रोक लगाए जाने को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से हाईकोर्ट में आवेदन पेश किया गया है। एनयूएमएम के डॉ. पीजी नाजपांडे ने बताया कि उनकी ओर से पूर्व में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें नियम विरुद्ध तरीके से कृषि पाठ्यक्रम शुरु किए जाने को चुनौती दी गई थी। दायर मामले में कहा गया था कि ऐसे कॉलेजों में कृषि पाठ्यक्रम शुरू किया गया है, जहां आईसीएमआर की संबद्धता नहीं और न ही स्टाफ और पर्याप्त भूमि है। इतना ही नहीं वे भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन भी नहीं करते। उक्त मामले में न्यायालय ने शासन से जवाब-तलब किया है। ऐसे में शासन को उक्त आदेश जारी नहीं करना चाहिए था। 

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दायर मामले में कहा गया कि ऐसे कॉलेजों में कृषि पाठ्यक्रम शुरू किया गया है, जहां आईसीएमआर की संबद्धता नहीं और न ही स्टाफ और पर्याप्त भूमि है। इतना ही नहीं वे भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन भी नहीं करते।  सांकेतिक तस्वीर – फोटो : Freepik

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मप्र उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 20 जून 2024 को गैर कृषि विश्वविद्यालय व कॉलेज में कृषि पाठ्यक्रम शुरू करने के आदेश पर रोक लगाए जाने को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से हाईकोर्ट में आवेदन पेश किया गया है।

एनयूएमएम के डॉ. पीजी नाजपांडे ने बताया कि उनकी ओर से पूर्व में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें नियम विरुद्ध तरीके से कृषि पाठ्यक्रम शुरु किए जाने को चुनौती दी गई थी। दायर मामले में कहा गया था कि ऐसे कॉलेजों में कृषि पाठ्यक्रम शुरू किया गया है, जहां आईसीएमआर की संबद्धता नहीं और न ही स्टाफ और पर्याप्त भूमि है। इतना ही नहीं वे भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन भी नहीं करते। उक्त मामले में न्यायालय ने शासन से जवाब-तलब किया है। ऐसे में शासन को उक्त आदेश जारी नहीं करना चाहिए था। 

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