jabalpur:-अविश्वास-प्रस्ताव-पर-नया-अध्यादेश-लंबित-प्रकरणों-पर-भी-होगा-लागू,-हाईकोर्ट-का-आदेश
विस्तार Follow Us मप्र जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि नगरीय निकायों में अविश्वास प्रस्ताव के लिए बनाया गया नया अध्यादेश सभी लंबित प्रकरणों पर भी लागू होगा। जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने उक्त मत के साथ दमोह नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव निरस्त कर दिया। दमोह नगर पालिका अध्यक्ष मंजू राय की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह 5 अगस्त 2022 से नगर पालिका दमोह के अध्यक्ष पद पर पदस्थ हैं। दो वर्ष के कार्यकाल के बाद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया है। कलेक्टर दमोह ने 23 अगस्त 2024 को अपर कलेक्टर को निर्णय लेने के लिए अधिकृत था। अपर कलेक्टर ने उक्त प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 4 सितंबर को बैठक आयोजित की।   याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि पूर्व में नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो वर्ष की बाध्यता थी। पिछले महीने कैबिनेट ने मप्र नगर पालिक अधिनियम की धारा 43-ए (1) में संशोधन कर दो वर्ष की जगह तीन वर्ष कर दिया गया। सरकार ने मप्र नगर पालिक (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश 2024 लागू भी कर दिया। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह अध्यादेश नगरीय निकाय के अविश्वास प्रस्ताव के सभी लंबित मामलों पर लागू होगा। न्यायालय ने सभी कलेक्टरों को आदेश की प्रति भी भेजने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा,अधिवक्ता वरुण तन्खा तथा अधिवक्ता हर्षित बारी ने पैरवी की। 

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मप्र जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि नगरीय निकायों में अविश्वास प्रस्ताव के लिए बनाया गया नया अध्यादेश सभी लंबित प्रकरणों पर भी लागू होगा। जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने उक्त मत के साथ दमोह नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव निरस्त कर दिया।

दमोह नगर पालिका अध्यक्ष मंजू राय की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह 5 अगस्त 2022 से नगर पालिका दमोह के अध्यक्ष पद पर पदस्थ हैं। दो वर्ष के कार्यकाल के बाद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया है। कलेक्टर दमोह ने 23 अगस्त 2024 को अपर कलेक्टर को निर्णय लेने के लिए अधिकृत था। अपर कलेक्टर ने उक्त प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 4 सितंबर को बैठक आयोजित की।  

याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि पूर्व में नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो वर्ष की बाध्यता थी। पिछले महीने कैबिनेट ने मप्र नगर पालिक अधिनियम की धारा 43-ए (1) में संशोधन कर दो वर्ष की जगह तीन वर्ष कर दिया गया। सरकार ने मप्र नगर पालिक (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश 2024 लागू भी कर दिया। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह अध्यादेश नगरीय निकाय के अविश्वास प्रस्ताव के सभी लंबित मामलों पर लागू होगा। न्यायालय ने सभी कलेक्टरों को आदेश की प्रति भी भेजने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा,अधिवक्ता वरुण तन्खा तथा अधिवक्ता हर्षित बारी ने पैरवी की। 

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