indore-night-clture:-नाइट-कल्चर-की-आड़-में-इंदौर-में-पनपने-लगा-था-नशा-कल्चर,-इसलिए-लगी-रोक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Sat, 13 Jul 2024 03: 31 PM IST सस्ता नशा, ब्राउन शुगर बेचने वाले भी एमआईजी, भंवरकुआ, विजय नगर जैसे क्षेत्रोें में सक्रिय रहते थे। रात को होने वाले ज्यादातर विवाद नशे में हुए। इसके बाद इस व्यवस्था पर सवालिया निशान लगने लगे थे। इंदौर में नाइट कल्चर पर रोक। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us इंदौर में दो साल पहले अच्छे उद्देश्य के साथ नाइट कल्चर शुरू हुआ था, ताकि रात को संचालित होने वाली आईटी कंपनी, काॅल सेंटरों के कर्मचारियों को नाश्ते, चाय व गपशप करने की सुविधा मिल सके, लेकिन नाइट कल्चर की आड़ में इंदौर मेें नशा कल्चर शुरू हो गया था। इसे रोक पाने में पुलिस नाकाम रही और नाइट कल्चर इंदौर में बंद हो गया। इंदौर में शराब दुकानें रात साढ़े 11 बजे और पब व बार रात 12 बजे बंद हो जाते है।इसके बाद शराब के नशे में युवक-युवती 24 घंटे खुली रहने वाली दुकानों पर जमा हो जाते थे। इस दौरान हुड़दंग और विवाद होते थे। सस्ता नशा, ब्राउन शुगर बेचने वाले भी एमआईजी, भंवरकुआ, विजय नगर जैसे क्षेत्रोें में सक्रिय रहते थे। रात को होने वाले ज्यादातर विवाद नशे में हुए। इसके बाद इस व्यवस्था पर सवालिया निशान लगने लगे थे। अभिभाषक प्रमोद दि्वेदी कहने है कि रात में दुकानें खुलना इस शहर की संस्कृति का हिस्सा है। सराफा चौपाटी दो बजे तक खुली रहती है। यदि बीआरटीएस पर पुलिस सुरक्षा सख्त रहती तो नई व्यवस्था को नियंत्रित तरीके से चलाया जा सकता था। 11 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस मार्ग पर पांच थाने लगते है। हर थाने से एक निगरानी टीम लगाकर इस व्यवस्था पर नजर रखी जा सकती थी। नाइट कल्चर पर रोक लगते ही कुक, वेटरों की नौकरी खतरे में बीआरटीएस दो सालों मेें 20 से ज्यादा नए रेस्त्रां खुल गए थे, जो देर रात तक चलते थे। कई रेस्टोरेेंटों में तीन शिफ्टों मेें काम होने लगा था, लेकिन नाइट कल्चर बंद होने के बाद कई कुक और वेटरों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। रेस्त्रा संचालक हेंमत बड़कुल कहते है कि बदनामी पब कल्चर के कारण होती रही। रेस्त्रां में तो देर रात तक जाॅब करने वाले, पढ़ाई करने वाले छात्र आते थे। रात की शिफ्ट के लिए मैने अलग से स्टाॅफ रखा था। जिसे अब हटाना पड़ेगा। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Sat, 13 Jul 2024 03: 31 PM IST

सस्ता नशा, ब्राउन शुगर बेचने वाले भी एमआईजी, भंवरकुआ, विजय नगर जैसे क्षेत्रोें में सक्रिय रहते थे। रात को होने वाले ज्यादातर विवाद नशे में हुए। इसके बाद इस व्यवस्था पर सवालिया निशान लगने लगे थे। इंदौर में नाइट कल्चर पर रोक। – फोटो : अमर उजाला

विस्तार Follow Us

इंदौर में दो साल पहले अच्छे उद्देश्य के साथ नाइट कल्चर शुरू हुआ था, ताकि रात को संचालित होने वाली आईटी कंपनी, काॅल सेंटरों के कर्मचारियों को नाश्ते, चाय व गपशप करने की सुविधा मिल सके, लेकिन नाइट कल्चर की आड़ में इंदौर मेें नशा कल्चर शुरू हो गया था। इसे रोक पाने में पुलिस नाकाम रही और नाइट कल्चर इंदौर में बंद हो गया।

इंदौर में शराब दुकानें रात साढ़े 11 बजे और पब व बार रात 12 बजे बंद हो जाते है।इसके बाद शराब के नशे में युवक-युवती 24 घंटे खुली रहने वाली दुकानों पर जमा हो जाते थे।

इस दौरान हुड़दंग और विवाद होते थे। सस्ता नशा, ब्राउन शुगर बेचने वाले भी एमआईजी, भंवरकुआ, विजय नगर जैसे क्षेत्रोें में सक्रिय रहते थे। रात को होने वाले ज्यादातर विवाद नशे में हुए। इसके बाद इस व्यवस्था पर सवालिया निशान लगने लगे थे।

अभिभाषक प्रमोद दि्वेदी कहने है कि रात में दुकानें खुलना इस शहर की संस्कृति का हिस्सा है। सराफा चौपाटी दो बजे तक खुली रहती है। यदि बीआरटीएस पर पुलिस सुरक्षा सख्त रहती तो नई व्यवस्था को नियंत्रित तरीके से चलाया जा सकता था। 11 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस मार्ग पर पांच थाने लगते है। हर थाने से एक निगरानी टीम लगाकर इस व्यवस्था पर नजर रखी जा सकती थी।

नाइट कल्चर पर रोक लगते ही कुक, वेटरों की नौकरी खतरे में

बीआरटीएस दो सालों मेें 20 से ज्यादा नए रेस्त्रां खुल गए थे, जो देर रात तक चलते थे। कई रेस्टोरेेंटों में तीन शिफ्टों मेें काम होने लगा था, लेकिन नाइट कल्चर बंद होने के बाद कई कुक और वेटरों की नौकरी खतरे में पड़ गई है।

रेस्त्रा संचालक हेंमत बड़कुल कहते है कि बदनामी पब कल्चर के कारण होती रही। रेस्त्रां में तो देर रात तक जाॅब करने वाले, पढ़ाई करने वाले छात्र आते थे। रात की शिफ्ट के लिए मैने अलग से स्टाॅफ रखा था। जिसे अब हटाना पड़ेगा।

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