indore-news:-88-करोड़-रुपए-का-ब्याज-लेने-पर-अड़े-हुकमचंद-मिल-के-मजदूर,-हाउसिंग-बोर्ड-बोला-नहीं-दे-पाएंगे
INDORE NEWS - फोटो : अमर उजाला, इंदौर विस्तार हुकमचंद मिल मामले में हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम मजदूरों को उनका बकाया 174 करोड़ रुपए का भुगतान करने को तो तैयार है, लेकिन इस रकम पर ब्याज को लेकर विरोधाभास है। सोमवार को हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई।  हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि मिल की जमीन विकसित करने और वहां प्रोजेक्ट लाने पर काफी रकम खर्च करना पड़ेगी जबकि मजदूर इस रकम पर 88 करोड़ रुपए ब्याज की मांग कर रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड के लिए बकाया रकम पर ब्याज देना संभव नहीं क्योंकि मजदूरों के 174 करोड़ रुपए के भुगतान के अलावा उसे प्रोजेक्ट से होने वाला मुनाफा भी नगर निगम के साथ बांटना पड़ेगा। सोमवार को शासन ने कोर्ट को बताया कि ब्याज के मुद्दे पर चर्चा चल रही है। कोर्ट मंगलवार को भी इस मामले में सुनवाई जारी रखेगी। यह कहना है मजदूरों का मिल के मजदूर मिल बंद होने से लेकर मिल का कब्जा परिसमापक को सौंपे जाने की अवधि का ब्याज दिलवाए जाने की मांग कर रहे हैं। वहीं हाउसिंग सिर्फ मिल के मजदूरों के बकाया 174 करोड़ रुपए देने को तैयार है। मजदूरों का कहना है कि मिल परिसमापक को सौंपे जाने के बाद से आज दिनांक तक का ब्याज छोड़ने को तैयार हैं।  नहीं बिक पा रही जमीन मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन अपने अधिकार के लिए कई सालों से न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं। हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हो गई थी। इसके बाद से मजदूर परेशान हैं। मिल की जमीन बेचकर मजदूरों का बकाया भुगतान करने की योजना थी लेकिन जमीन बिक नहीं पा रही थी। अब नगर निगम ने हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से इस जमीन पर हाउसिंग और कमर्शियल प्रोजेक्ट लाने की पहल की है। अब मजदूरों और हाउसिंग बोर्ड के बीच ब्याज के भुगतान पर सहमति नहीं बन पा रही है। 

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INDORE NEWS – फोटो : अमर उजाला, इंदौर

विस्तार हुकमचंद मिल मामले में हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम मजदूरों को उनका बकाया 174 करोड़ रुपए का भुगतान करने को तो तैयार है, लेकिन इस रकम पर ब्याज को लेकर विरोधाभास है। सोमवार को हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई। 

हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि मिल की जमीन विकसित करने और वहां प्रोजेक्ट लाने पर काफी रकम खर्च करना पड़ेगी जबकि मजदूर इस रकम पर 88 करोड़ रुपए ब्याज की मांग कर रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड के लिए बकाया रकम पर ब्याज देना संभव नहीं क्योंकि मजदूरों के 174 करोड़ रुपए के भुगतान के अलावा उसे प्रोजेक्ट से होने वाला मुनाफा भी नगर निगम के साथ बांटना पड़ेगा। सोमवार को शासन ने कोर्ट को बताया कि ब्याज के मुद्दे पर चर्चा चल रही है। कोर्ट मंगलवार को भी इस मामले में सुनवाई जारी रखेगी।

यह कहना है मजदूरों का
मिल के मजदूर मिल बंद होने से लेकर मिल का कब्जा परिसमापक को सौंपे जाने की अवधि का ब्याज दिलवाए जाने की मांग कर रहे हैं। वहीं हाउसिंग सिर्फ मिल के मजदूरों के बकाया 174 करोड़ रुपए देने को तैयार है। मजदूरों का कहना है कि मिल परिसमापक को सौंपे जाने के बाद से आज दिनांक तक का ब्याज छोड़ने को तैयार हैं। 

नहीं बिक पा रही जमीन
मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन अपने अधिकार के लिए कई सालों से न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं। हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हो गई थी। इसके बाद से मजदूर परेशान हैं। मिल की जमीन बेचकर मजदूरों का बकाया भुगतान करने की योजना थी लेकिन जमीन बिक नहीं पा रही थी। अब नगर निगम ने हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से इस जमीन पर हाउसिंग और कमर्शियल प्रोजेक्ट लाने की पहल की है। अब मजदूरों और हाउसिंग बोर्ड के बीच ब्याज के भुगतान पर सहमति नहीं बन पा रही है। 

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