indore-news:-सोने,-चांदी-और-हीरे-से-बनी-एशिया-की-सबसे-विशाल-प्रतिमा,-बड़ा-गणपति-नाम-पड़ा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sat, 07 Sep 2024 07: 48 PM IST Bada Ganpati Indore: 119 साल पुरानी 25 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा को सजाने में 15 दिन का समय लगता है। यह सोना चांदी, हीरा, मोती, पुखराज, माणिक से बनाई गई है।   बड़ा गणपति इंदौर। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर विस्तार Follow Us गणेशोत्सव शुरू होते ही इंदौर के बड़ा गणपति मंदिर पर भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। 119 साल पुरानी 25 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा को सजाने में 15 दिन का समय लगता है। सवा मन शुद्ध देशी घी (14 किलो) और 25 किलो सिंदूर से एशिया के सबसे बड़े गणपति का श्रंगार होता है। 25 फीट ऊंची और 14 फीट चौड़ी मूर्ति को 11 ब्राह्मणों द्वारा चोला चढ़ाया जाता है। यह मूर्ति हीरा, मोती, पुखराज, माणिक से बनाई गई है। प्रतिमा के निर्माण में सभी तीर्थ नदियों के जल का उपयोग किया गया था। मूर्ति चार फीट ऊंचे चबूतरे पर विराजित है। भगवान की 25 फीट की मूर्ति को सवा मन घी और सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। साल में 4 बार श्रृंगार होता है। मंदिर के रख-रखाव की जिम्मेदारी नारायण दाधीच की तीसरी पीढ़ी के पं. धनेश्वर दाधीच देख रहे हैं। मंदिर बड़ा गणपति चौराहे पर स्थित है।  एशिया की सबसे बड़ी प्रतिमा माना जाता है कि एशिया में यह सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा है। इस प्रतिमा को बनाने में करीब तीन साल का समय लगा था और इसका निर्माण कार्य 17 जनवरी 1901 को पूरा हुआ। भगवान की मूर्ति को सवा मन घी और सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। मंदिर के पुजारी पंडित प्रमोद दाधीच, राकेश दाधीच, राजेश दाधीच बताते हैं कि इंदौर के अतिप्राचीन मंदिर बड़ा गणपति का इतिहास एक स्वप्न से जुड़ा हुआ है। मंदिर में इन दिनों गणेशोत्सव की धूम है। मंदिर की आधारशिला के पीछे भी एक रोचक कहानी है। गणेश जी के अनन्य भक्त स्व. पं. नारायण दाधीच को एक स्वप्न आया। भगवान गणेश ने नारायण को ऐसी ही मूर्ति के रूप में दर्शन दिए थे। स्वप्न की घटना के बाद ही इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। भगवान गणेश की 25 फीट ऊंची प्रतिमा के रूप में दर्शन देते हैं।  सोने चांदी से बनी प्रतिमा इस प्रतिमा को बनाने के लिए अलग-अलग धातुओं का प्रयोग किया गया है। कान, हाथ और सूंड तांबे से बने हैं और पैरों के लिए लोहे के सरियों का इस्तेमाल हुआ है। मुख के लिए सोने और चांदी का उपयोग किया गया है। प्रतिमा को बनाने में तीर्थ स्थानों का जल लिया गया है। इसमें काशी, अवंतिका, अयोध्या और मथुरा की मिट्टी के साथ घुड़साल, हाथीखाना, गौशाला की मिट्टी ली गई है। रत्नों में हीरा पन्ना, पुखराज, मोती, माणिक के साथ ईंट, बालू, चूना और मेथी के दाने के मसाले का इस्तेमाल किया गया है।  15 दिन में होता है भगवान का श्रंगार मंदिर के पुजारी बताते हैं कि भगवान गणेश जी को साल में चार बार यह चोला चढ़ाया जाता है। चोले में सवा मन घी और सिंदूर का उपयोग किया जाता है। उनके श्रृंगार में करीब 15 दिन का समय लगता है। जिसमें भाद्रपद सुदी चतुर्थी, कार्तिक बदी चतुर्थी, माघ बदी चतुर्थी और बैशाख सुदी चतुर्थी पर चोला और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है।  रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sat, 07 Sep 2024 07: 48 PM IST

Bada Ganpati Indore: 119 साल पुरानी 25 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा को सजाने में 15 दिन का समय लगता है। यह सोना चांदी, हीरा, मोती, पुखराज, माणिक से बनाई गई है।
  बड़ा गणपति इंदौर। – फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर

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गणेशोत्सव शुरू होते ही इंदौर के बड़ा गणपति मंदिर पर भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। 119 साल पुरानी 25 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा को सजाने में 15 दिन का समय लगता है। सवा मन शुद्ध देशी घी (14 किलो) और 25 किलो सिंदूर से एशिया के सबसे बड़े गणपति का श्रंगार होता है। 25 फीट ऊंची और 14 फीट चौड़ी मूर्ति को 11 ब्राह्मणों द्वारा चोला चढ़ाया जाता है। यह मूर्ति हीरा, मोती, पुखराज, माणिक से बनाई गई है। प्रतिमा के निर्माण में सभी तीर्थ नदियों के जल का उपयोग किया गया था। मूर्ति चार फीट ऊंचे चबूतरे पर विराजित है। भगवान की 25 फीट की मूर्ति को सवा मन घी और सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। साल में 4 बार श्रृंगार होता है। मंदिर के रख-रखाव की जिम्मेदारी नारायण दाधीच की तीसरी पीढ़ी के पं. धनेश्वर दाधीच देख रहे हैं। मंदिर बड़ा गणपति चौराहे पर स्थित है। 

एशिया की सबसे बड़ी प्रतिमा
माना जाता है कि एशिया में यह सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा है। इस प्रतिमा को बनाने में करीब तीन साल का समय लगा था और इसका निर्माण कार्य 17 जनवरी 1901 को पूरा हुआ। भगवान की मूर्ति को सवा मन घी और सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। मंदिर के पुजारी पंडित प्रमोद दाधीच, राकेश दाधीच, राजेश दाधीच बताते हैं कि इंदौर के अतिप्राचीन मंदिर बड़ा गणपति का इतिहास एक स्वप्न से जुड़ा हुआ है। मंदिर में इन दिनों गणेशोत्सव की धूम है। मंदिर की आधारशिला के पीछे भी एक रोचक कहानी है। गणेश जी के अनन्य भक्त स्व. पं. नारायण दाधीच को एक स्वप्न आया। भगवान गणेश ने नारायण को ऐसी ही मूर्ति के रूप में दर्शन दिए थे। स्वप्न की घटना के बाद ही इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। भगवान गणेश की 25 फीट ऊंची प्रतिमा के रूप में दर्शन देते हैं। 

सोने चांदी से बनी प्रतिमा
इस प्रतिमा को बनाने के लिए अलग-अलग धातुओं का प्रयोग किया गया है। कान, हाथ और सूंड तांबे से बने हैं और पैरों के लिए लोहे के सरियों का इस्तेमाल हुआ है। मुख के लिए सोने और चांदी का उपयोग किया गया है। प्रतिमा को बनाने में तीर्थ स्थानों का जल लिया गया है। इसमें काशी, अवंतिका, अयोध्या और मथुरा की मिट्टी के साथ घुड़साल, हाथीखाना, गौशाला की मिट्टी ली गई है। रत्नों में हीरा पन्ना, पुखराज, मोती, माणिक के साथ ईंट, बालू, चूना और मेथी के दाने के मसाले का इस्तेमाल किया गया है। 

15 दिन में होता है भगवान का श्रंगार
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि भगवान गणेश जी को साल में चार बार यह चोला चढ़ाया जाता है। चोले में सवा मन घी और सिंदूर का उपयोग किया जाता है। उनके श्रृंगार में करीब 15 दिन का समय लगता है। जिसमें भाद्रपद सुदी चतुर्थी, कार्तिक बदी चतुर्थी, माघ बदी चतुर्थी और बैशाख सुदी चतुर्थी पर चोला और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है। 

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