पिपल्याहाना तालाब – फोटो : amar ujala
विस्तार जलकुंभी और बदबू किसी समय पीपल्याहाना तालाब की पहचान हुआ करती थी, लेकिन अब उसमे पानी दिखता है और वह भी साफ। इसके पीछे मेहतन आईआईटी मुंबई से पासआउट एक छात्र की। डे़ढ़ साल पहले उनकी शादी हुई थी। तबी उन्होंने पीपल्याहाना तालाब के जीर्णोद्धार का काम हाथ में लिया। रिश्तेदारों परिचितों को ऑनलाइन पैमेंट की एक लिंक भेजी और कहा कि आप शादी में जो भी गिफ्ट देंगे। उससे तालाब को संवारा जाएगा,हालांकि बाद में उन्हें ग्रांट भी मिल गई। उसकी मदद से उन्होंने तालाब की सूूरत बदल दी।
प्रियांशु ने ऐसे बैक्टेरिया पानी में डाले, जिससे बदबू खत्म हुई और फ्लोटिंग वेटलैंड से जलकुंभी को तालाब में फैलने से रोका।आईआईटी मुंबई के छात्र रहे प्रियांशु कुमठ ने अपना कैरियर जलाशयों को प्रदूषण से मुक्त का चुना है। वे इंदौर में ही जन्मे है और स्कूली पढ़ाई भी इंदौर में हुई।
अब तक वे पांच प्रदेशों के १२ जलाशयों को साफ कर चुके है। इंदौर के पीपल्याहाना को साफ करने का जिम्मा उन्होंने शादी के समय लिया था। शादी में मिले गिफ्ट से उन्होंने पांच फ्लोटिंग वेटलैंड बनाए। बाद में प्रोजेक्ट अमृत के तहत उन्हें ग्रांट मिल गई। इसके बाद प्रियांशुु ने पांच पांच अौर वेटलैंड तालाब में डाले। इनमें ऐसे पौधे लगाए गए थे, जो पानी को साफ रखते है और जलकुंभी को भी तालाब में फैलने नहीं देते और आक्सीजन का स्तर भी बढाते है। इस फ्लोटिंग वेटलैंड में लगे पौधों में पक्षी भी अपना घोसला बनाते है। प्रियांशु ने तालाब के पानी में ऐसे बैक्टेरिया भी डाले, जो पानी की बदबू को कम करते है। प्रियांशु मुसाखेड़ी के पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज के तालाब को भी खूबसुरत बना चुके है।
ऐसे काम करता है फ्लोटिंग वेटलैंड
फ्लोटिंग वेटलैंड ऐसे प्लेटफार्म होते है, जो जलीय पौधों को पानी में बढ़ाने में मददगार होते है। इनकी जड़े पानी में काफी गहराई तक फैलती है। एफटीडब्लू विधि पानी के प्रदूषण को रोकने में मदद करती है। इन पौधों की जड़े पानी से नाइट्रोजन सहित अन्य हानिकारक तत्वों को सोख लेता है। ज़ड़ों से मछलियों को भी आहार मिलता है।
Comments