indore-news:-रजिस्ट्री-थी,-बैंक-लोन-लिया,-निगम-को-टैक्स-दिया…-फिर-भी-तोड़-दिए-घर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sat, 27 Jul 2024 09: 22 PM IST न्याय नगर के कृष्णबाग में 15 मकान तोड़े गए, 20 साल से यहां पर रह रहे थे परिवार, सभी अनुमतियों के बाद भी टूट गए आशियाने, जिम्मेदार कौन...   घरों पर हाईकोर्ट के स्टे का एस लिखा था फिर भी तोड़ दिए घर। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर विस्तार Follow Us इंदौर के न्याय नगर में प्रशासन ने 15 लोगों के घर तोड़ दिए। इनमें से अधिकतर के घरों पर हाईकोर्ट ने स्टे दिया था। नगर निगम और प्रशासन की टीम ने बाकायदा इन घरों पर एस लिखा था ताकि स्टे वाले घरों को तोड़ा न जाए। जब कार्रवाई शुरू हुई तो स्टे वाले घरों को भी तोड़ दिया गया। जिन घरों को तोड़ा गया उनमें से अधिकतर के पास मकानों की रजिस्ट्री है। ये लोग नगर निगम को हाउस टैक्स भर रहे थे, जलकर भर रहे थे और कई लोगों ने तो बैंकों से लोन भी लिया था। सवाल यह उठता है कि जब मकानों की रजिस्ट्री की गई, पानी बिजली की लाइनें डाली गई, बैंकों ने लोन दिया और नगर निगम हाउस टैक्स ले रहा था तो 20 साल तक किसी भी अधिकारी ने इन मकानों को बनने से क्यों नहीं रोका। क्या इन सभी विभागों और अधिकारियों की इस मामले में कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है। इस मामले में हमने शहर के विशेषज्ञों से बात की और जाना कि वे क्या कहते हैं... Trending Videos प्रशासन को जिम्मेदारी लेना होगी  टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के रिटायर्ड इंजीनियर और मास्टर प्लान विशेषज्ञ जयवंत होलकर ने कहा कि अवैध कालोनी अचानक नहीं बनती। जब ये घर बन रहे थे तब सभी विभागों को इसकी जानकारी थी। कलेक्टर कार्यालय, नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और संबंधित सभी विभागों के पास फाइलें जाने के बाद ही किसी जगह पर निर्माण कार्य शुरू होता है। बिजली विभाग ने वहां पर बिजली दी, निगम ने पानी, ड्रेनेज और अन्य सुविधाएं दी। यह साफ है कि सभी को पता था कि यहां पर लोग घर बना रहे हैं। बैंकों की लीगल सेल ने कागज जांचकर लोगों को लोन दिए। इन सबसे यह स्पष्ट हो जाता है कि सभी विभागों की अनुमतियों के बाद ही यहां पर लोगों ने घर बनाए हैं। इसलिए वहां पर जो भी हुआ उसकी जिम्मेदारी प्रशासन को खुद लेना होगी। दूसरी जिम्मेदारी नगर निगम की है जिसने वहां पर लोगों को मूलभूत सुविधाएं दी। तभी लोग वहां पर घर बना पाए।  आपका घर वैध है आप पता नहीं कर सकते इंजीनियर अतुल सेठ ने कहा कि आपका घर वैध है या अवैध है यह आप पता नहीं कर सकते। इस तरह का कोई विभाग ही नहीं है। साधारण इंसान रजिस्ट्री होने पर ही अपने घर को वैध मान लेता है। जनप्रतिनिधियों को एक विभाग बनाना चाहिए जहां पर एक एप्लीकेशन देकर पता किया जा सके कि उसका प्लाट वैध है या अवैध है। सिंगल विंडो सिस्टम होना चाहिए। यदि यह सिस्टम नहीं बनाया गया तो इसी तरह से लोग ठगाए जाते रहेंगे और घर टूटते रहेंगे।  रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sat, 27 Jul 2024 09: 22 PM IST

न्याय नगर के कृष्णबाग में 15 मकान तोड़े गए, 20 साल से यहां पर रह रहे थे परिवार, सभी अनुमतियों के बाद भी टूट गए आशियाने, जिम्मेदार कौन…
  घरों पर हाईकोर्ट के स्टे का एस लिखा था फिर भी तोड़ दिए घर। – फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर

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इंदौर के न्याय नगर में प्रशासन ने 15 लोगों के घर तोड़ दिए। इनमें से अधिकतर के घरों पर हाईकोर्ट ने स्टे दिया था। नगर निगम और प्रशासन की टीम ने बाकायदा इन घरों पर एस लिखा था ताकि स्टे वाले घरों को तोड़ा न जाए। जब कार्रवाई शुरू हुई तो स्टे वाले घरों को भी तोड़ दिया गया। जिन घरों को तोड़ा गया उनमें से अधिकतर के पास मकानों की रजिस्ट्री है। ये लोग नगर निगम को हाउस टैक्स भर रहे थे, जलकर भर रहे थे और कई लोगों ने तो बैंकों से लोन भी लिया था। सवाल यह उठता है कि जब मकानों की रजिस्ट्री की गई, पानी बिजली की लाइनें डाली गई, बैंकों ने लोन दिया और नगर निगम हाउस टैक्स ले रहा था तो 20 साल तक किसी भी अधिकारी ने इन मकानों को बनने से क्यों नहीं रोका। क्या इन सभी विभागों और अधिकारियों की इस मामले में कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है। इस मामले में हमने शहर के विशेषज्ञों से बात की और जाना कि वे क्या कहते हैं…

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प्रशासन को जिम्मेदारी लेना होगी 
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के रिटायर्ड इंजीनियर और मास्टर प्लान विशेषज्ञ जयवंत होलकर ने कहा कि अवैध कालोनी अचानक नहीं बनती। जब ये घर बन रहे थे तब सभी विभागों को इसकी जानकारी थी। कलेक्टर कार्यालय, नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और संबंधित सभी विभागों के पास फाइलें जाने के बाद ही किसी जगह पर निर्माण कार्य शुरू होता है। बिजली विभाग ने वहां पर बिजली दी, निगम ने पानी, ड्रेनेज और अन्य सुविधाएं दी। यह साफ है कि सभी को पता था कि यहां पर लोग घर बना रहे हैं। बैंकों की लीगल सेल ने कागज जांचकर लोगों को लोन दिए। इन सबसे यह स्पष्ट हो जाता है कि सभी विभागों की अनुमतियों के बाद ही यहां पर लोगों ने घर बनाए हैं। इसलिए वहां पर जो भी हुआ उसकी जिम्मेदारी प्रशासन को खुद लेना होगी। दूसरी जिम्मेदारी नगर निगम की है जिसने वहां पर लोगों को मूलभूत सुविधाएं दी। तभी लोग वहां पर घर बना पाए। 

आपका घर वैध है आप पता नहीं कर सकते
इंजीनियर अतुल सेठ ने कहा कि आपका घर वैध है या अवैध है यह आप पता नहीं कर सकते। इस तरह का कोई विभाग ही नहीं है। साधारण इंसान रजिस्ट्री होने पर ही अपने घर को वैध मान लेता है। जनप्रतिनिधियों को एक विभाग बनाना चाहिए जहां पर एक एप्लीकेशन देकर पता किया जा सके कि उसका प्लाट वैध है या अवैध है। सिंगल विंडो सिस्टम होना चाहिए। यदि यह सिस्टम नहीं बनाया गया तो इसी तरह से लोग ठगाए जाते रहेंगे और घर टूटते रहेंगे। 

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