राजवाड़ा पर कीलें ठोक दी गई। - फोटो : amar ujala digital विस्तार इंदौर नगर निगम ने गेर के दौरान शहर को रंगों से तो राजवाड़ा को बचा लिया, लेकिन कीलों से राजवाड़ा को घायल कर दिया। तिरपाल से राजवाड़ा को ढकने के लिए 100 से ज्यादा कील ठोक दी गई। इस कारण कई जगह से उसकी दीवारों का प्लास्टर उखड़ गया अौर कीलों के छेंद की वजह से सीमेंट भी निकल रही है। रंग पंचमी पर इंदौर में निकलने वाली गेर से राजवाड़ा को बचाने के लिए आठ लाख रुपये खर्च कर तिरपाल से ढका गया, लेकिन राजवाड़ा को कवर करने के लिए कीलें लापरवाही से ठोक दी गई। इसे लेकर पुरातत्व विभाग ने आपति्त ली है और उन्होंने कहा कि पुर्ननिर्माण करने वाली एजेंसी से गारंटी पीरियड में राजवाड़ा की मरम्मत कराई जा सकती है। कील के कारण राजवाड़ा की छत की मुंडेर एक हिस्से का प्लास्टर उखड़ गया। इसके अलावा कीलों से भी मुंडेर कमजोर हो गई। पुरातत्व विभाग के अफसरों ने किया दौरा गेेर के बाद राजवाड़ा से तिरपाल हटा दी गई। इससे हुए नुकसान की जानकारी मिलने के बाद पुरातत्व विभाग के अफसरों ने राजवाड़ा का दौरा किया अौर कीलों के कारण हुए नुकसान की जानकारी नगर निगम के अफसरों को दी, ताकि उसकी मरम्मत की जा सके। 30 करोड़ खर्च कर 100 साल के लिए मजबूत किया राजवाड़ा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजवाड़ा का जीर्णोद्धार 30 करोड़ रुपये खर्च कर किया गया। राजवाड़ा को अगले 100 सालों के लिए मजबूत किया गया है। सात मंजिला राजवाड़ा इंदौर के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। होलकर शासनकाल में 1766 में राजवाड़ा बनाया गया था।जानकारों के अनुसार राजवाड़ा का निर्माण 1766 के बीच मल्हार राव होलकर के शासन काल में हुआ था। सात मंजिला पैलेस की निचली तीन मंजिलें पत्थर की और ऊपरी मंजिलें लकड़ी की बनी हैं। ईंट और चूने से बनी दीवारें और लकड़ी के बहुत खराब हो चुके थे। इसे अभी स्टील से मजबूत किया गया है। 1984 में राजवाड़ा का पिछला हिस्सा जल गया था। उसे भी होलकर परिवार ने नए सिरे से तैयार कराया हैै। इसके अलावा पांच साल पहले राजवाड़ा के बाएं हिस्से की एक मंजिल टूट गई थी। उसे भी हुबहू बनाया गया। राजवाड़ा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है अौर यहां रात को लाइट एंड साउंड शो भी संचालित होता है।

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राजवाड़ा पर कीलें ठोक दी गई। – फोटो : amar ujala digital

विस्तार इंदौर नगर निगम ने गेर के दौरान शहर को रंगों से तो राजवाड़ा को बचा लिया, लेकिन कीलों से राजवाड़ा को घायल कर दिया। तिरपाल से राजवाड़ा को ढकने के लिए 100 से ज्यादा कील ठोक दी गई। इस कारण कई जगह से उसकी दीवारों का प्लास्टर उखड़ गया अौर कीलों के छेंद की वजह से सीमेंट भी निकल रही है।

रंग पंचमी पर इंदौर में निकलने वाली गेर से राजवाड़ा को बचाने के लिए आठ लाख रुपये खर्च कर तिरपाल से ढका गया, लेकिन राजवाड़ा को कवर करने के लिए कीलें लापरवाही से ठोक दी गई। इसे लेकर पुरातत्व विभाग ने आपति्त ली है और उन्होंने कहा कि पुर्ननिर्माण करने वाली एजेंसी से गारंटी पीरियड में राजवाड़ा की मरम्मत कराई जा सकती है। कील के कारण राजवाड़ा की छत की मुंडेर एक हिस्से का प्लास्टर उखड़ गया। इसके अलावा कीलों से भी मुंडेर कमजोर हो गई।

पुरातत्व विभाग के अफसरों ने किया दौरा

गेेर के बाद राजवाड़ा से तिरपाल हटा दी गई। इससे हुए नुकसान की जानकारी मिलने के बाद पुरातत्व विभाग के अफसरों ने राजवाड़ा का दौरा किया अौर कीलों के कारण हुए नुकसान की जानकारी नगर निगम के अफसरों को दी, ताकि उसकी मरम्मत की जा सके।

30 करोड़ खर्च कर 100 साल के लिए मजबूत किया राजवाड़ा

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजवाड़ा का जीर्णोद्धार 30 करोड़ रुपये खर्च कर किया गया। राजवाड़ा को अगले 100 सालों के लिए मजबूत किया गया है। सात मंजिला राजवाड़ा इंदौर के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। होलकर शासनकाल में 1766 में राजवाड़ा बनाया गया था।जानकारों के अनुसार राजवाड़ा का निर्माण 1766 के बीच मल्हार राव होलकर के शासन काल में हुआ था। सात मंजिला पैलेस की निचली तीन मंजिलें पत्थर की और ऊपरी मंजिलें लकड़ी की बनी हैं।

ईंट और चूने से बनी दीवारें और लकड़ी के बहुत खराब हो चुके थे। इसे अभी स्टील से मजबूत किया गया है। 1984 में राजवाड़ा का पिछला हिस्सा जल गया था। उसे भी होलकर परिवार ने नए सिरे से तैयार कराया हैै। इसके अलावा पांच साल पहले राजवाड़ा के बाएं हिस्से की एक मंजिल टूट गई थी। उसे भी हुबहू बनाया गया। राजवाड़ा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है अौर यहां रात को लाइट एंड साउंड शो भी संचालित होता है।

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