indore-news:-मजदूर-और-किसान-परेशान,-उद्योगपतियों-के-अनुसार-नीतियां-बना-रही-सरकार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sun, 08 Sep 2024 10: 08 PM IST कामरेड होमी एफ दाजी एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है जिसने हमेशा श्रम की प्रतिष्ठा बढ़ाई और जीवन भर श्रमिकों के अधिकारों और गैर बराबर समाज के लिए लड़ते रहे। होमी दाजी केवल इंदौर के ही नहीं देश और दुनिया के मजदूर नेता थे जिन्हें सुनने के लिए भीड़ जमा होती थी। ये विचार वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के हैं, जो उन्होंने पूर्व सांसद एवं जन नेता कामरेड होमी एफ दाजी स्मृति राष्ट्रीय संवाद वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में हमारी भूमिका में कहे। अभिनव कला समाज में यह आयोजन समाजवादी विचार प्रसार केंद्र न्यास, स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र., अभ्यास मंडल, श्रम संगठनों की संयुक्त अभियान समिति ने संयुक्त रूप से किया था। मंच पर कांग्रेस के राष्टीय प्रवक्ता अभय दुबे, सामाजिक कार्यकर्ता जया मेहता, भाकपा मप्र के राज्य सचिव मंडल सदस्य सत्यम सागर, इंटक के अध्यक्ष श्याम सुंदर यादव, स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, रुद्रपाल यादव, फारूक भाई मंच पर विशेष रूप से उपस्थित थे। Trending Videos केंद्र सरकार नीतियों में तुरंत बदलाव करे  मेधा पाटकर ने आगे कहा कि देश में आर्थिक असमानता के चलते अमीर और अमीर और गरीब और गरीब होता जा रहा है। बांध निर्माण के नाम पर आदिवासी समाज को विस्थापित किया जा रहा है। केंद्र सरकार को अपनी टैक्स नीति में बदलाव लाना होगा ताकि देश की आर्थिक संपदा कुछ लोगों के हाथों में नहीं रहे।  पाटकर ने आगे कहा कि देश का श्रमिक वर्ग आज अपने अधिकार चाहता है। देश का किसान और मजदूर दोनों ही आज परेशान है और इनकी लड़ाई ताउम्र कामरेड होमी एफ दाजी ने लड़ी। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्याम सुंदर यादव ने कहा कि आज संख्या में भले ही हम कम हैं, लेकिन हमें कोई भी कमजोर नहीं समझे। जब जब मजदूर और किसान के हितों की अनदेखी होगी इंटक खामोश नहीं बैठेगा। अभय दुबे ने कहा कि होमी दाजी ने हमेशा समाज में खड़े अंतिम  व्यक्ति के लिए लड़ाई लडी। उन्होंने साम्राज्यवाद और पूंजीवाद का हमेशा खुलकर विरोध किया। दाजी ने हमेशा मेहनत कश मजदूरों और किसानों की जय जयकार की। आज के समय में दाजी को याद करने का मतलब उन मूल्यों को याद करना है जिसकी आज की सरकार ने हत्त्या कर दी है। जो काम दाजी ने किया उसी पथ पर आज कांग्रेस के नेता राहुल गांधी चल रहे हैं। भारत  जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा इसका प्रमाण है।  दाजी के संस्मरण सुनाए जया मेहता ने कहा कि होमी एफ दाजी का शुरुआती जीवन बड़ा गरीबी में बीता। वे सच्चे अर्थों में मजदूरों के बड़े जोशीले नेता थे और सारे इंदौर में उनका बड़ा मान सम्मान था। उनकी विचारधारा एकदम स्पष्ट थी। वे अपने विचारों पर हमेशा अडिग रहे। उनकी मजदूरों के प्रति जो जिम्मेदारी थी, उसे उन्होंने पूरी शिद्दत् से निभाया। होमी दाजी का मानना था कि जब तक देश को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आजादी नहीं मिलती तब तक वह अधूरी है। वे कारपोरेटड संस्थाओं के सख्त खिलाफ थे, जो प्रायः सरकार को दबाते हैं। दाजी की राजनीति पर आज भी गर्व सत्यम सागर ने कहा कि देश दाजी की राजनीति पर आज भी गर्व करता है, जिसने 17 वर्ष की उम्र में भारत की आजादी के आंदोलन में भाग लिया। दाजी की राजनीति ऐसी थी जिसे हराने के लिए उद्योगपतियों को अपनी तिजोरी तक खोलनी पड़ी। स्टेट प्रेस क्लब के प्रवीण कुमार खारीवाल ने कहा कि हमारा क्लब समसामयिक और लोगों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए सदैव तत्पर है। ऐसी संस्थाओं को हम प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराते हैं। फारूखी भाई ने भी दाजी के साथ के कई संस्ममरण सुनाए। अतिथि स्वागत शिवाजी मोहिते, अरविंद पोरवाल ने किया। कार्यक्रम का संचालन किया विवेक मेहता ने। आभार माना  रुद्रपाल यादव ने। इस मौके पर गांधीवादी अनिल त्रिवेदी, कैलाश लिंबोदिया, रामबाबू अग्रवाल, अतुल सेठ, डॉ. ओ पी जोशी, हरेराम वाज पेयी, राहुल निहोरे, दिनेश कोठारी, मिलिंद रावल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sun, 08 Sep 2024 10: 08 PM IST

कामरेड होमी एफ दाजी एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है जिसने हमेशा श्रम की प्रतिष्ठा बढ़ाई और जीवन भर श्रमिकों के अधिकारों और गैर बराबर समाज के लिए लड़ते रहे। होमी दाजी केवल इंदौर के ही नहीं देश और दुनिया के मजदूर नेता थे जिन्हें सुनने के लिए भीड़ जमा होती थी। ये विचार वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के हैं, जो उन्होंने पूर्व सांसद एवं जन नेता कामरेड होमी एफ दाजी स्मृति राष्ट्रीय संवाद वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में हमारी भूमिका में कहे। अभिनव कला समाज में यह आयोजन समाजवादी विचार प्रसार केंद्र न्यास, स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र., अभ्यास मंडल, श्रम संगठनों की संयुक्त अभियान समिति ने संयुक्त रूप से किया था। मंच पर कांग्रेस के राष्टीय प्रवक्ता अभय दुबे, सामाजिक कार्यकर्ता जया मेहता, भाकपा मप्र के राज्य सचिव मंडल सदस्य सत्यम सागर, इंटक के अध्यक्ष श्याम सुंदर यादव, स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, रुद्रपाल यादव, फारूक भाई मंच पर विशेष रूप से उपस्थित थे।

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केंद्र सरकार नीतियों में तुरंत बदलाव करे 
मेधा पाटकर ने आगे कहा कि देश में आर्थिक असमानता के चलते अमीर और अमीर और गरीब और गरीब होता जा रहा है। बांध निर्माण के नाम पर आदिवासी समाज को विस्थापित किया जा रहा है। केंद्र सरकार को अपनी टैक्स नीति में बदलाव लाना होगा ताकि देश की आर्थिक संपदा कुछ लोगों के हाथों में नहीं रहे। 
पाटकर ने आगे कहा कि देश का श्रमिक वर्ग आज अपने अधिकार चाहता है। देश का किसान और मजदूर दोनों ही आज परेशान है और इनकी लड़ाई ताउम्र कामरेड होमी एफ दाजी ने लड़ी। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्याम सुंदर यादव ने कहा कि आज संख्या में भले ही हम कम हैं, लेकिन हमें कोई भी कमजोर नहीं समझे। जब जब मजदूर और किसान के हितों की अनदेखी होगी इंटक खामोश नहीं बैठेगा। अभय दुबे ने कहा कि होमी दाजी ने हमेशा समाज में खड़े अंतिम  व्यक्ति के लिए लड़ाई लडी। उन्होंने साम्राज्यवाद और पूंजीवाद का हमेशा खुलकर विरोध किया। दाजी ने हमेशा मेहनत कश मजदूरों और किसानों की जय जयकार की। आज के समय में दाजी को याद करने का मतलब उन मूल्यों को याद करना है जिसकी आज की सरकार ने हत्त्या कर दी है। जो काम दाजी ने किया उसी पथ पर आज कांग्रेस के नेता राहुल गांधी चल रहे हैं। भारत  जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा इसका प्रमाण है। 

दाजी के संस्मरण सुनाए
जया मेहता ने कहा कि होमी एफ दाजी का शुरुआती जीवन बड़ा गरीबी में बीता। वे सच्चे अर्थों में मजदूरों के बड़े जोशीले नेता थे और सारे इंदौर में उनका बड़ा मान सम्मान था। उनकी विचारधारा एकदम स्पष्ट थी। वे अपने विचारों पर हमेशा अडिग रहे। उनकी मजदूरों के प्रति जो जिम्मेदारी थी, उसे उन्होंने पूरी शिद्दत् से निभाया। होमी दाजी का मानना था कि जब तक देश को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आजादी नहीं मिलती तब तक वह अधूरी है। वे कारपोरेटड संस्थाओं के सख्त खिलाफ थे, जो प्रायः सरकार को दबाते हैं।

दाजी की राजनीति पर आज भी गर्व
सत्यम सागर ने कहा कि देश दाजी की राजनीति पर आज भी गर्व करता है, जिसने 17 वर्ष की उम्र में भारत की आजादी के आंदोलन में भाग लिया। दाजी की राजनीति ऐसी थी जिसे हराने के लिए उद्योगपतियों को अपनी तिजोरी तक खोलनी पड़ी। स्टेट प्रेस क्लब के प्रवीण कुमार खारीवाल ने कहा कि हमारा क्लब समसामयिक और लोगों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए सदैव तत्पर है। ऐसी संस्थाओं को हम प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराते हैं। फारूखी भाई ने भी दाजी के साथ के कई संस्ममरण सुनाए। अतिथि स्वागत शिवाजी मोहिते, अरविंद पोरवाल ने किया। कार्यक्रम का संचालन किया विवेक मेहता ने। आभार माना  रुद्रपाल यादव ने। इस मौके पर गांधीवादी अनिल त्रिवेदी, कैलाश लिंबोदिया, रामबाबू अग्रवाल, अतुल सेठ, डॉ. ओ पी जोशी, हरेराम वाज पेयी, राहुल निहोरे, दिनेश कोठारी, मिलिंद रावल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 

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