indore-news:-बड़ी-बिल्डिंग-देखकर-स्कूल-न-चुनें,-यह-देखें-वहां-संस्कार-कैसे-दिए-जा-रहे-हैंः-कंचन-नितिन-गडकरी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Mon, 01 Jul 2024 08: 30 PM IST मालवा की मैडम मोंटेसरी और 1947 से बाल शिक्षा की जनक कही जाने वाली एवं क्षेत्र में शिक्षा के माध्यम से समाजसेवा की अलख जगाने वाली स्व. पद्मश्री शालिनी ताई मोघे (बड़े ताई) की 13वीं पुण्यतिथि के अवसर पर बाल निकेतन संघ परिवार द्वारा दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पागनीसपागा स्थित बाल निकेतन संघ में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले दिन समाजसेविका एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पत्नी कंचन नितिन गडकरी ने ताई के जीवन और उनके विचारों को समर्पित शिलालेख का अनावरण किया। वहीं कार्यक्रम के दूसरे दिन, 1 जुलाई 2024 को बेंगलुरु के वीलिव फाउंडेशन के डायरेक्टर एवं प्रसिद्ध लेखक अनंत गंगोला द्वारा व्याख्यान दिया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना और भक्ति गीतों से हुई। तत्पश्चात विद्यार्थियों द्वारा ताई को समर्पित एक स्वरबद्ध कविता का पाठ किया गया जिसके बोल थे जो डरी नहीं, रुकी नहीं, अडिग रहीं, चलती रहीं, तुम एक ही वो मिसाल हो। समाजसेविका कंचन नितिन गडकरी ने कहा, मुझे बेहद खुशी है कि मैं एक ऐसे स्कूल में आई हूं, जहां बच्चों के संस्कारों पर काम किया जा रहा है। जब मैंने बाल शिक्षा पद्धति की प्रदर्शनी देखी, तो मुझे ऐसा लगा कि इसकी जरूरत पूरे देश में है। यही वे वर्ष होते हैं, जब हम बच्चे का भविष्य निर्माण करते हैं, और यही बच्चे देश का निर्माण करते हैं, इसलिए बहुत जरूरी है कि उनकी नींव मजबूत हो। केवल बड़ी-बड़ी बिल्डिंग देखकर स्कूलों को न चुनें, बल्कि यह देखें कि कहां संस्कार दिए जा रहे हैं, कहां चरित्र निर्माण करना सिखाया जा रहा है। यह जिम्मेदारी न केवल स्कूलों की है, बल्कि परिजनों की भी है कि वे अपने घर में अपने बच्चों को ऐसे संस्कार दें, जिससे बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें। यह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि मुझे बड़े ताई की पुण्यतिथि पर बाल निकेतन संघ में आने का मौका मिला और यहां मैंने बाल शिक्षा एवं संस्कार शिक्षा को मूर्त रूप लेते हुए देखा यह मध्य भारत का शायद ऐसा पहला विद्यालय है, जहां आज भी इन पद्धतियों से शिक्षा दी जा रही है। दूसरे दिन आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध समाजसेवी एवं लेखक अनंत गंगोला ने कहा, मुझे बेहद खुशी है कि आज बड़े ताई के पुण्यतिथि पर मैं यहां आ पाया। दूसरों के लिए काम करना, औरों के लिए जीना जीवन में सबसे बड़ी स्थिति है, और बड़े ताई एक ऐसी शख्सियत थीं जिन्होंने न ये किया बल्कि इसे जीवन में अपनाने की प्रेरणा भी दी। ये बच्चे खुशनसीब हैं जो बाल निकेतन जैसे विद्यालय में पढ़ रहे हैं जो एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर रहा है। बाल निकेतन संघ की सचिव डॉ. नीलिमा अदमणे ने ताई के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा, हमें खुशी है कि गडकरी आज यहां हमारे बीच हैं। वह भी इसी तरह के विचारों से सरोकार रखती हैं और बाल उत्थान एवं महिला उत्थान के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं। अनंत गंगोला की किताब की तारीफ करते हुए डॉ. अदमणे ने कहा, मैंने उनकी किताब को खुद पड़ा है ये वाकई बेहद प्रेरित करने वाली थी। जिस तरह से गंगोला ने समाज के पिछड़े वर्ग के लिए कार्य किया है वह वाकई प्रशंसनीय है। जिन मूल्यों पर बड़े ताई ने कार्य किया उन्ही मूल्यों पर गंगोला और गडकरी काम कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि ये दोनों हस्तियां आज हमारे साथ मौजूद हैं।

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Mon, 01 Jul 2024 08: 30 PM IST

मालवा की मैडम मोंटेसरी और 1947 से बाल शिक्षा की जनक कही जाने वाली एवं क्षेत्र में शिक्षा के माध्यम से समाजसेवा की अलख जगाने वाली स्व. पद्मश्री शालिनी ताई मोघे (बड़े ताई) की 13वीं पुण्यतिथि के अवसर पर बाल निकेतन संघ परिवार द्वारा दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

पागनीसपागा स्थित बाल निकेतन संघ में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले दिन समाजसेविका एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पत्नी कंचन नितिन गडकरी ने ताई के जीवन और उनके विचारों को समर्पित शिलालेख का अनावरण किया। वहीं कार्यक्रम के दूसरे दिन, 1 जुलाई 2024 को बेंगलुरु के वीलिव फाउंडेशन के डायरेक्टर एवं प्रसिद्ध लेखक अनंत गंगोला द्वारा व्याख्यान दिया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना और भक्ति गीतों से हुई। तत्पश्चात विद्यार्थियों द्वारा ताई को समर्पित एक स्वरबद्ध कविता का पाठ किया गया जिसके बोल थे जो डरी नहीं, रुकी नहीं, अडिग रहीं, चलती रहीं, तुम एक ही वो मिसाल हो।

समाजसेविका कंचन नितिन गडकरी ने कहा, मुझे बेहद खुशी है कि मैं एक ऐसे स्कूल में आई हूं, जहां बच्चों के संस्कारों पर काम किया जा रहा है। जब मैंने बाल शिक्षा पद्धति की प्रदर्शनी देखी, तो मुझे ऐसा लगा कि इसकी जरूरत पूरे देश में है। यही वे वर्ष होते हैं, जब हम बच्चे का भविष्य निर्माण करते हैं, और यही बच्चे देश का निर्माण करते हैं, इसलिए बहुत जरूरी है कि उनकी नींव मजबूत हो। केवल बड़ी-बड़ी बिल्डिंग देखकर स्कूलों को न चुनें, बल्कि यह देखें कि कहां संस्कार दिए जा रहे हैं, कहां चरित्र निर्माण करना सिखाया जा रहा है। यह जिम्मेदारी न केवल स्कूलों की है, बल्कि परिजनों की भी है कि वे अपने घर में अपने बच्चों को ऐसे संस्कार दें, जिससे बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें। यह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि मुझे बड़े ताई की पुण्यतिथि पर बाल निकेतन संघ में आने का मौका मिला और यहां मैंने बाल शिक्षा एवं संस्कार शिक्षा को मूर्त रूप लेते हुए देखा यह मध्य भारत का शायद ऐसा पहला विद्यालय है, जहां आज भी इन पद्धतियों से शिक्षा दी जा रही है।

दूसरे दिन आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध समाजसेवी एवं लेखक अनंत गंगोला ने कहा, मुझे बेहद खुशी है कि आज बड़े ताई के पुण्यतिथि पर मैं यहां आ पाया। दूसरों के लिए काम करना, औरों के लिए जीना जीवन में सबसे बड़ी स्थिति है, और बड़े ताई एक ऐसी शख्सियत थीं जिन्होंने न ये किया बल्कि इसे जीवन में अपनाने की प्रेरणा भी दी। ये बच्चे खुशनसीब हैं जो बाल निकेतन जैसे विद्यालय में पढ़ रहे हैं जो एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर रहा है।

बाल निकेतन संघ की सचिव डॉ. नीलिमा अदमणे ने ताई के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा, हमें खुशी है कि गडकरी आज यहां हमारे बीच हैं। वह भी इसी तरह के विचारों से सरोकार रखती हैं और बाल उत्थान एवं महिला उत्थान के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं। अनंत गंगोला की किताब की तारीफ करते हुए डॉ. अदमणे ने कहा, मैंने उनकी किताब को खुद पड़ा है ये वाकई बेहद प्रेरित करने वाली थी। जिस तरह से गंगोला ने समाज के पिछड़े वर्ग के लिए कार्य किया है वह वाकई प्रशंसनीय है। जिन मूल्यों पर बड़े ताई ने कार्य किया उन्ही मूल्यों पर गंगोला और गडकरी काम कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि ये दोनों हस्तियां आज हमारे साथ मौजूद हैं।

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