चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट में मामला हुआ दर्ज – फोटो : अमर उजाला
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इंदौर में फर्जी दस्तावेजों से 11 अपराधियों को छुड़वाने का मामला सामने आया है। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) की कोर्ट में यह फर्जीवाड़ा हुआ है। जालसाजों के संगठित गिरोह ने फर्जी आईडी और पावती से 11 अपराधियों की रिहाई करवाई है। इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। छोटी ग्वालटोली पुलिस ने बताया कि फर्जीवाड़े में एक वकील का नाम भी सामने आया है। डीसीपी जोन-3 पंकज पांडे ने बताया कि शक होने पर पुलिस ने जांच करवाई। इसमें पता चला आरोपित फर्जी आधार कार्ड बनाकर अलग-अलग व्यक्तियों को कोर्ट में पेश कर आरोपियों की जमानत करवा लेते थे।
पुलिस ने इस मामले में दो आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद पूछताछ की तो उनके होश उड़ गए। इन्होंने एक पूरा गिरोह बना रखा था। सभी फर्जी दस्तावेज के जरिए अपराधियों को छ़ुड़वाते थे। गिरोह फर्जी आधार कार्ड भी बनवा लेता था। इसके बाद कोर्ट में लोगों को पेश कर जमानत करवा ली जाती थी। अपराधियों को छुड़वाने के बदले गिरोह उनसे मोटी रकम वसूलता था। पुलिस इस मामले में पकड़ में आए दोनों आरोपितों के अन्य साथियों का पता लगवाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस यह आशंका है कि गिरोह में और भी लोग जुड़े हुए हैं।
कैसे खुला मामला
टीआई उमेश यादव ने एक मामले में आनंद उर्फ डॉन नाइक और कमलेश बेरवा को गिरफ्तार किया। देर रात एसीपी तुषार सिंह ने पूछताछ की तो आरोपितों ने विजय प्रजापति नामक वकील का नाम लिया। इस केस में सांवेर निवासी सुरेश रामचंद्र के नाम की पावती का इस्तेमाल किया गया। सुरेश ने बताया कि वह कभी कोर्ट में पेश ही नहीं हुआ। इससे पता चला कि गिरोह दूसरे के आईडी कहीं से लेकर उनका गलत उपयोग कर रहा था। पुलिस अब इस मामले में आगे की जांच कर रही है।
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