अभ्यास मंडल की व्याख्यानमाला को संबोधित करते न्यायमूर्ति राजेश बिंदल। – फोटो : अमर उजाला
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अभ्यास मंडल की व्याख्यानमाला में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने अपने विचार व्यक्त किए। ‘आर्टिफिशल इंटेलीजेंस अवसर और चुनौतियां’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा तकनीक के कारण दिमाग का इस्तेमाल कम होने लगा है। लोगों को अब अपने मोबाइल नंबर याद नहीं रहते। यह तकनीक पर ज्यादा निर्भर रहने के नकारात्मक पहलू है।
बिंदल ने कहा कि उनके पिता हिसाब केलकुलेटर से पहले जोड़ लेते थे, क्योंकि उनका दिमाग इस तरह विकसित हो चुका था, लेकिन अब बच्चों को टेबल याद नहीं रहती है। तकनीक के जरिए सही अनुवाद संभव नहीं है। कई बार गलतियां हो जाती हैं। कोर्ट में भी तकनीक के जरिए अनुवाद करने में कई गलती हो जाती हैं।
बिंदल ने कहा कि इंसान अब तकनीक पर निर्भर हो चुका है। हमें उसके साथ ही रहना होगा। बच्चे मोबाइल लेकर बैठे रहते हैं। वे परिवार से कट जाते हैं। गूगल बाबा के कारण टीचर से ज्यादा ज्ञान बच्चों को है। स्कूल अब बच्चों को सही या गलत की शिक्षा, अच्छे नागरिक बनने की सीख दे सके तो भी ठीक है।
तकनीक के कारण गोपनीयता नहीं बची
बिंदल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण गोपनीयता नहीं बची। आपकी जानकारी कंपनियों के लिए डेटा का काम कर रही है। उसका उपयोग मार्केट कर रहा है।
उन्होंने कहा कि ज्यादा फोटो अपलोड करने से बचे, क्योंकि डीप फेक का उपयोग होने लगा है। इससे अपराध बढ़ने लगे हैं।
सही इस्तेमाल से फायदे भी हैं
बिंदल ने कहा कि तकनीक के फायदे भी हैं। कोर्ट सुनवाई ऑनलाइन हो गई है। लोगों को घर बैठे रोजगार मिल जाता है। अपराधों को रोकने के लिए तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। रोबोटिक सर्जरी होने लगी है। तकनीक का हमें सही इस्तेमाल सीखना होगा।
तकनीक ने बढ़ाई बेरोजगारी
तकनीक के कारण बेरोजगारी बढ़ने का खतरा पैदा हो गया। हमारे देश में अभी ऐसे हालात नहीं है, लेकिन विदेशों में AI लोगों की नौकरियां ले रहा है। मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि इंदौर अपने मूल्यों व परंपराओं को नहीं छोड़ता और नवाचार को भी अपनाता है। इंदौर में इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम लागू किया है। एआई का उपयोग सफाई में हो रहा है।
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