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लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें कलेक्टर कार्यालय में जुटे इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, महू जिलों के सैकड़ों आदिवासी छात्र, धरने पर बैठे, प्रदेश सरकार को दी बड़े आंदोलन की चेतावनी   आदिवासी छात्राओं ने किया प्रदर्शन - फोटो : प्रजेंटेशन को देखते एलजी व अन्य अधिकारी। विस्तार Follow Us इंदौर के आसपास के जिलों के सैकड़ों आदिवासी छात्र आज इंदौर कलेक्टर कार्यालय में इकट्ठे हुए। उन्होंने अनुसूचित जनजाति का संविदा वर्ग-3 (2019-20) में चयन परीक्षा हेतु 50 प्रतिशत के स्थान पर 40 प्रतिशत कर लगभग 4000 रिक्त पदों की पूर्ति किए जाने के संबंध में ज्ञापन दिया। छात्रों ने बताया कि प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा वर्ष 2019-2020 विज्ञापन जारी होकर मार्च 2022 को चयन परीक्षा आयोजित की गई थी जिसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा हेतु 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य किया गया था। चूंकि वर्तमान समय में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में लगभग 4000 पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के रिक्त है मध्य प्रदेश में संविदा वर्ग-3 की परीक्षा काफी समय के अंतराल में आयोजित की गई है। अनुसूचित जनजाति के छात्र कठिन परिस्थितियों में कर रहे तैयारी छात्रों ने अधिकारियों को यह भी बताया कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र विभिन्न प्रकार की समस्याओं जिनमें आर्थिक, सामाजिक एवं भौगोलिक जैसी विकट परिस्थितियों के कारण भर्ती परीक्षा के वर्तमान निर्धारित मापदंड अनुसार 50% कर अंक अर्जित करने में सक्षम नहीं है। क्योंकि उपरोक्त परिस्थितियों / समस्याओं के कारण अनुसूचित जनजाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं के लिए बड़े शहरों तक सर्विस की कोचिंग के लिए जाना संभव नहीं है, इस कारण बेरोजगार युवा शिक्षा की तकनीकी सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं तथा समाज की शिक्षित बेटियां शहरों में अकेली रहकर शासकीय सर्विस की प्रवेश परीक्षाओं की कोचिंग वर्तमान परिवेश में सुरक्षित रहकर नहीं कर सकती हैं। इस कारण पूर्व आयोजित शिक्षक भर्ती पात्रता परीक्षाओं में अनिवार्य न्यूनतम अंक में हमेशा छूट दी जाती रही है। वर्ष 2005/2009/2013 के शिक्षक भर्ती में न्यूनतम 40% अंक के आधार पर भर्ती की गई थी। इसी प्रकार सन् 2003 की शिक्षक भर्ती में न्यूनतम पात्रता अंक में क्वालीफाई के लिए 40% का निर्धारण रखा गया था। इसी शिक्षक भर्ती में शासन ने सामान्य वर्ग के आर्थिक कमजोर वर्ग के आरक्षित अभ्यर्थियों के निर्धारित कोटे के लिये अहर्ता अंकों की अनिवार्यता को 60% से घटाकर इसमें आंशिक शोधन करते हुए 50% किया है।  40 प्रतिशत से भर्ती की मांग छात्रों ने बतााय इसी क्रम में वे मांग कर रहे हैं कि मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए भी क्वालीफाई हेतु न्यूनतम अंक 50% में छूट दी जाकर न्यूनतम अंक 40% से इसी चरण में भर्ती की जाए ताकि अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण सभी रिक्त पदों (बैकलाग सहित) की समयसीमा में पूर्ति की जा सके तथा शासन द्वारा की जा रही शिक्षक भर्ती का अनुसूचित जनजाति वर्ग के होनहार MP TET परीक्षा दे चुके शिक्षित बेरोजगार युवाओं को समय पर शासकीय सेवा से जुड़ने व समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का लाभ प्राप्त हो सके। 

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कलेक्टर कार्यालय में जुटे इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, महू जिलों के सैकड़ों आदिवासी छात्र, धरने पर बैठे, प्रदेश सरकार को दी बड़े आंदोलन की चेतावनी
  आदिवासी छात्राओं ने किया प्रदर्शन – फोटो : प्रजेंटेशन को देखते एलजी व अन्य अधिकारी।

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इंदौर के आसपास के जिलों के सैकड़ों आदिवासी छात्र आज इंदौर कलेक्टर कार्यालय में इकट्ठे हुए। उन्होंने अनुसूचित जनजाति का संविदा वर्ग-3 (2019-20) में चयन परीक्षा हेतु 50 प्रतिशत के स्थान पर 40 प्रतिशत कर लगभग 4000 रिक्त पदों की पूर्ति किए जाने के संबंध में ज्ञापन दिया।

छात्रों ने बताया कि प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा वर्ष 2019-2020 विज्ञापन जारी होकर मार्च 2022 को चयन परीक्षा आयोजित की गई थी जिसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा हेतु 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य किया गया था। चूंकि वर्तमान समय में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में लगभग 4000 पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के रिक्त है मध्य प्रदेश में संविदा वर्ग-3 की परीक्षा काफी समय के अंतराल में आयोजित की गई है।

अनुसूचित जनजाति के छात्र कठिन परिस्थितियों में कर रहे तैयारी
छात्रों ने अधिकारियों को यह भी बताया कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र विभिन्न प्रकार की समस्याओं जिनमें आर्थिक, सामाजिक एवं भौगोलिक जैसी विकट परिस्थितियों के कारण भर्ती परीक्षा के वर्तमान निर्धारित मापदंड अनुसार 50% कर अंक अर्जित करने में सक्षम नहीं है। क्योंकि उपरोक्त परिस्थितियों / समस्याओं के कारण अनुसूचित जनजाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं के लिए बड़े शहरों तक सर्विस की कोचिंग के लिए जाना संभव नहीं है, इस कारण बेरोजगार युवा शिक्षा की तकनीकी सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं तथा समाज की शिक्षित बेटियां शहरों में अकेली रहकर शासकीय सर्विस की प्रवेश परीक्षाओं की कोचिंग वर्तमान परिवेश में सुरक्षित रहकर नहीं कर सकती हैं। इस कारण पूर्व आयोजित शिक्षक भर्ती पात्रता परीक्षाओं में अनिवार्य न्यूनतम अंक में हमेशा छूट दी जाती रही है। वर्ष 2005/2009/2013 के शिक्षक भर्ती में न्यूनतम 40% अंक के आधार पर भर्ती की गई थी। इसी प्रकार सन् 2003 की शिक्षक भर्ती में न्यूनतम पात्रता अंक में क्वालीफाई के लिए 40% का निर्धारण रखा गया था। इसी शिक्षक भर्ती में शासन ने सामान्य वर्ग के आर्थिक कमजोर वर्ग के आरक्षित अभ्यर्थियों के निर्धारित कोटे के लिये अहर्ता अंकों की अनिवार्यता को 60% से घटाकर इसमें आंशिक शोधन करते हुए 50% किया है। 

40 प्रतिशत से भर्ती की मांग
छात्रों ने बतााय इसी क्रम में वे मांग कर रहे हैं कि मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए भी क्वालीफाई हेतु न्यूनतम अंक 50% में छूट दी जाकर न्यूनतम अंक 40% से इसी चरण में भर्ती की जाए ताकि अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण सभी रिक्त पदों (बैकलाग सहित) की समयसीमा में पूर्ति की जा सके तथा शासन द्वारा की जा रही शिक्षक भर्ती का अनुसूचित जनजाति वर्ग के होनहार MP TET परीक्षा दे चुके शिक्षित बेरोजगार युवाओं को समय पर शासकीय सेवा से जुड़ने व समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का लाभ प्राप्त हो सके। 

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