न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Tue, 27 Aug 2024 05: 32 PM IST
उच्च शिक्षित और विज्ञान में विश्वास रखने वाले लोग भी ईश्वर की आस्था में पूर्ण विश्वास रखते हैं। एेसा ही उदाहरण है इंदौर की अंशिता शर्मा का। अंशिता इंदौर के लोकप्रिय यशोदा माता मंदिर की पांचवी पीढ़ी हैं और गोद भराई के लिए ईश्वर की आस्था में पूर्ण विश्वास रखती हैं। उनके द्वारा मां यशोदा से गोद भराई के लिए दूर दूर से महिलाएं यहां पर आती हैं। लंदन, आस्ट्रेलिया और कई देशों से महिलाएं यहां पर संतान की चाहत में आती हैं। अंशिता के दादा जी के दादाजी ने इस मंदिर की स्थापनी की थी और यह मंदिर निःसंतान दंपतियों की झोली खुशियों से भरने के लिए देशभर में माना जाता है। इसके साथ गर्भवती महिलाएं और नव दंपति भी यहां पर होने वाली संतान के लिए मां यशोदा और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लेने आते हैं।
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बेंगलुरू में एचआर हैं अंशिता
अंशिता ने इंदौर से उच्च शिक्षा हासिल की और अब वे बेंगलुरू में एक मल्टीनेशन कंपनी में कार्यरत हैं। वे कंपनी में एचआर के पद पर हैं और जन्माष्टमी के विशेष पर्व पर इंदौर आई हुई हैं। उनके पुश्तैनी मंदिर में जन्माष्टमी के पर्व पर दूर दूर से महिलाएं संतान की चाहत में आती हैं। इस दिन वे अपने परिवार के साथ सभी महिलाओं की गोद भराई की रस्में पूरी करती हैं।
20 साल से निःसंतान दंपतियों की भी झोली भर गई
अंशिता ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि वे पिछली चार पीढ़ियों से यहां पर निःसंतान दंपतियों की गोद भरती हुई देख रही हैं। वे पुजारी परिवार की पांचवी पीढ़ी से हैं और उन्होंने बताया कि जिन दंपति को 15 से 20 साल संतान नहीं हुई थी वे भी यहां पर आकर खुशियां लेकर गए। इन चमत्कारों ने ईश्वर की आस्था में मेरा विश्वास और भी अधिक मजबूत किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा और विज्ञान अपनी जगह है लेकिन यदि हम पूरे मन, समर्पण और विश्वास के साथ किसी संकल्प को करते हैं तो वह अवश्य सार्थक होता है।
हर गुरुवार सुबह 9 से 12 तक होती है गोद भराई
मंदिर में सेवा कार्य करने वाली रेखा पंचोली अंशिता की मौसी हैं। उन्होंने बताया गोद भराई की प्रक्रिया में वे महिलाओं को सिर्फ सवा किलो चावल, पानी वाला नारियल, फूल, अगरबत्ती और मिठाई लाना है। हर गुरुवार को सुबह 9 से 12 यह प्रक्रिया होती है। जन्माष्टमी और अगले दिन का विशेष महत्व है। गोद भराई की प्रक्रिया में महिलाएं मां से मन्नत मांगती हैं और गोद भरने के बाद इच्छा अनुसार मां को साड़ी भगवान कृष्ण को नए कपड़े लाती हैं।
जयपुर से बैलगाड़ी से इंदौर लाए थे मूर्तियां
235 साल पहले मंदिर की स्थापना की गई थी। मंदिर की मूर्तियां बैलगाड़ी से जयपुर से इंदौर लाए थे। यहां मां यशोदा की गोद में श्री कृष्ण हैं। पास में राधा और रुक्मणी भी साथ में हैं।
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