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निर्मला मोतीलाल गुर्जर - फोटो : अमर उजाला, इंदौर विस्तार Follow Us नगर निगम की कचरा गाड़ी ने एक महिला को टक्कर मार दी और कुचलते हुए निकल गई। हादसे में महिला के दोनों पैर काटना पड़े। मामला 25 फरवरी 2018 का है। अब इस मामले में जिला कोर्ट ने महिला को 50 लाख रुपए मुआवजा दिलाया है। यह मुआवजा बीमा कंपनी, नगर निगम और ड्राइवर देगा। महिला की ओर से एडवोकेट गोविंद आर. मीणा ने साल 2018 में ही जिला कोर्ट में मुआवजा आवेदन लगा दिया था। फैसला 12 अगस्त 2023 को सुनाया गया है।  क्या था मामला 44 साल की निर्मला मोतीलाल गुर्जर मूलत: देवास जिले के खातेगांव की रहने वाली है। 25 फरवरी 2018 को महिला अपनी बहन मधु के साथ गांव धुंधियाखेड़ी से बस से इंदौर पहुंची थी। बस से उतरने के बाद दोनों पैदल मूसाखेड़ी जा रही थीं। पीछे से नगर निगम की कचरा गाड़ी आई और महिला को बुरी तरह कुचलते हुए निकल गई। महिला के पैर में गंभीर चोट आने के कारण उसे एमवाय अस्पताल में लाया गया। इसके बाद एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ले गए। यहां जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने सर्जरी किया तो दोनों पैर काटने पड़े। पैर कटने के बाद से वह असहाय हो गई। वह पूरी तरह से परिवार पर आश्रित है। महिला के पति किसान हैं, एक बेटा भी है।  किस आधार पर मिला इतना मुआवजा कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने कहा कि महिला सुबह से लेकर शाम तक घर का पूरा काम करती थी जो अब नहीं कर पा रही है। न ही भविष्य में कर सकेगी। इसलिए वह इस तरह के मुआवजे की हकदार है। दोनों पैर कटने से महिला के कमाई का जरिया 100% खत्म हो गया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि घरेलू महिला सुबह से शाम तक काम करती है। सुबह उठते ही चाय बनाती है। परिवार के लिए खाना बनाती है। बच्चों और बड़ों के कपड़े धोती है, साफ सफाई का काम करती है। कोर्ट ने उसके इस घरेलू काम के बदले 10 हजार रुपए प्रति महीना आय मानी। कोर्ट ने इस बात पर भी विचार किया कि महिला अब जिंदगी भर ऐसी स्थिति से गुजरेगी तो उसे एक अटैंडर की जरूरत होगी। ऐसे में अटैंडर को हर महीने 5 हजार रुपए भी देने पड़ेंगे। कोर्ट ने महिला के जीवन की सौम्यता में आई कमी का भी आकलन किया और इसके लिए 3 लाख रुपए देने का आदेश दिया। घटना के बाद से महिला ने एक साल तक काम नहीं किया, उसके लिए भी 10 हजार रुपए प्रति महीने के हिसाब से 1.20 लाख रुपए अलग से मिलने चाहिए। महिला के इलाज में करीब 2 लाख रुपए खर्च हुए, यह भी इंश्योरेंस कंपनी को चुकाना पड़ेगा। महिला के लंबे समय तक के जीवन के लिए आई आकांक्षा की कमी में 3 लाख रुपए देने का आदेश दिया। आने-जाने के लिए वाहन खर्च के 1 लाख रुपए अलग से तय किए गए हैं।

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निर्मला मोतीलाल गुर्जर – फोटो : अमर उजाला, इंदौर

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नगर निगम की कचरा गाड़ी ने एक महिला को टक्कर मार दी और कुचलते हुए निकल गई। हादसे में महिला के दोनों पैर काटना पड़े। मामला 25 फरवरी 2018 का है। अब इस मामले में जिला कोर्ट ने महिला को 50 लाख रुपए मुआवजा दिलाया है। यह मुआवजा बीमा कंपनी, नगर निगम और ड्राइवर देगा। महिला की ओर से एडवोकेट गोविंद आर. मीणा ने साल 2018 में ही जिला कोर्ट में मुआवजा आवेदन लगा दिया था। फैसला 12 अगस्त 2023 को सुनाया गया है। 

क्या था मामला
44 साल की निर्मला मोतीलाल गुर्जर मूलत: देवास जिले के खातेगांव की रहने वाली है। 25 फरवरी 2018 को महिला अपनी बहन मधु के साथ गांव धुंधियाखेड़ी से बस से इंदौर पहुंची थी। बस से उतरने के बाद दोनों पैदल मूसाखेड़ी जा रही थीं। पीछे से नगर निगम की कचरा गाड़ी आई और महिला को बुरी तरह कुचलते हुए निकल गई। महिला के पैर में गंभीर चोट आने के कारण उसे एमवाय अस्पताल में लाया गया। इसके बाद एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ले गए। यहां जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने सर्जरी किया तो दोनों पैर काटने पड़े। पैर कटने के बाद से वह असहाय हो गई। वह पूरी तरह से परिवार पर आश्रित है। महिला के पति किसान हैं, एक बेटा भी है। 

किस आधार पर मिला इतना मुआवजा
कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने कहा कि महिला सुबह से लेकर शाम तक घर का पूरा काम करती थी जो अब नहीं कर पा रही है। न ही भविष्य में कर सकेगी। इसलिए वह इस तरह के मुआवजे की हकदार है। दोनों पैर कटने से महिला के कमाई का जरिया 100% खत्म हो गया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि घरेलू महिला सुबह से शाम तक काम करती है। सुबह उठते ही चाय बनाती है। परिवार के लिए खाना बनाती है। बच्चों और बड़ों के कपड़े धोती है, साफ सफाई का काम करती है। कोर्ट ने उसके इस घरेलू काम के बदले 10 हजार रुपए प्रति महीना आय मानी। कोर्ट ने इस बात पर भी विचार किया कि महिला अब जिंदगी भर ऐसी स्थिति से गुजरेगी तो उसे एक अटैंडर की जरूरत होगी। ऐसे में अटैंडर को हर महीने 5 हजार रुपए भी देने पड़ेंगे। कोर्ट ने महिला के जीवन की सौम्यता में आई कमी का भी आकलन किया और इसके लिए 3 लाख रुपए देने का आदेश दिया। घटना के बाद से महिला ने एक साल तक काम नहीं किया, उसके लिए भी 10 हजार रुपए प्रति महीने के हिसाब से 1.20 लाख रुपए अलग से मिलने चाहिए। महिला के इलाज में करीब 2 लाख रुपए खर्च हुए, यह भी इंश्योरेंस कंपनी को चुकाना पड़ेगा। महिला के लंबे समय तक के जीवन के लिए आई आकांक्षा की कमी में 3 लाख रुपए देने का आदेश दिया। आने-जाने के लिए वाहन खर्च के 1 लाख रुपए अलग से तय किए गए हैं।

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